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नोएडा में पहला आइकिया स्टोर

३० अक्टूबर २०१३

स्वीडिश कंपनी आइकिया अब भारत में भी पैर पसारने जा रही है. आइकिया भारत में 10 हजार 500 करोड़ की पूंजी से अपना करोबार शुरु करेगी. सिंगल रिटेल ब्रांड में भारत का अब तक का यह सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश होगा.

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तस्वीर: AFP/Getty Images

दिल्ली से सटे यूपी के नोएडा में आइकिया ने अपना पहला इंटीग्रटेड फर्नीचर यूनिट लगाने का मन बनाया है. लेकिन भारत का पारंपरिक फर्नीचर उद्योग इससे सशंकित है लेकिन हस्तकला पर आधारित फर्नीचर उद्योग इससे खुश है.

इस साल स्थापना के 70 वर्ष पूरा कर रही आइकिया का इरादा वैसे तो भारत में कुल चार स्टोर खोलने का है लेकिन उसकी सबसे अधिक दिलचस्पी यूपी में है. इसीलिए कंपनी के प्रॉपर्टी मैनेजर जेफ डालिन ने यूपी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक औपचारिक बैठक में कहा कि वे भारत में अपना पहला स्टोर नोएडा या ग्रेटर नोएडा में खोलना चाहते हैं. जेफ डॉलिन ने बताया कि फिलहाल दुनिया भर में आइकिया के 342 स्टोर चल रहे हैं जिनमें एक लाख 54 हजार लोग काम करते हैं और कंपनी का सालाना टर्न ओवर 27 बिलियन 50 मिलियन यूरो है. डॉलिन के मुताबिक 2020 तक आइकिया अपना ये टर्न ओवर दोगुना करने पर विचार कर रही है और भारत में स्टोर खोले बिना यह संभव नहीं हो सकता. उनके अनुसार यूपी हमारी प्राथमिकता में है जहां हमने कम कीमत और अच्छी गुणवत्ता वाले फर्नीचर बाजार में उतारने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि स्थानीय व्यापारियों को भी आइकिया बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएगा.

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स्थानीय कारपेंटरों को कितना फायदा?तस्वीर: DW/S. Waheed

यूपी के औद्योगिक विकास एवं अवस्थापना प्रमुख सचिव सूर्य प्रताप सिंह ने आइकिया के अधिकारियों से मिलने के बाद बताया कि हर उस विदेशी निवेश का स्वागत है जो स्थानीय व्यापारियों के हितों के प्रतिकूल न हो. इस बैठक में सचिव औद्योगिक निवेश धीरज साहू भी मौजूद थे.

एसोचेम यूपी के महासचिव डीएस रावत के मुताबिक आइकिया के आने से यूपी के विदेशी निवेश में 27 फीसदी का सकल इजाफा होगा क्योंकि भारत में आइकिया इन्क्लूसिव अर्थव्यवस्था के तहत ही निवेश करेगी. आदित्य बिड़ला समूह की फर्नीचर चेन स्टाइल स्पा के उत्तर भारत के वरिष्ठ प्रबंधक रजत सिंह कहते हैं कि भारत के फर्नीचर उद्योग ने कीड़े से निजात हासिल कर ली है. अभी तक हमारे यहां पारंपरिक रूप से शीशम, टीक की लकड़ी के फर्नीचर बनवाने की समृद्ध परंपरा रही है. लेकिन इस लकड़ी को बाकायदा प्रोसेस करने की कोई तकनीक विकसित नहीं होने के कारण मंहगे से मंहगे फर्नीचर में कीड़ा लग जाता था. दीमक लग जाती थी. क्योंकि दुकानदार कच्ची लकड़ी इस्तेमाल करते हैं. पिछले एक दशक में कई कंपनियां आईं जिन्होंने प्रोसेस्ड वुड का हल्का और मोल्डेड फर्नीचर बाजार में लगभग उतने ही दाम में उतारा जितने में स्थानीय बाजार में देसी फर्नीचर मिलता था. रजत के मुताबिक आज स्टाइल स्पा जैसी दर्जन भर कंपनियां भी ग्राहकों की मांग पूरी नहीं कर पा रही हैं. बिग बाजार, इवोक और डूरियन समेत सालाना करीब 1200 करोड़ का कारोबार यूपी में हो रहा है.

सात से अधिक यूरोपीय देशों में करीब 10 करोड़ सालाना का निर्यात करने वाले हस्तकला फर्नीचर के गढ़ सहारनपुर के एक निर्यातक आजम अहमद आइकिया के भारत में प्रवेश का स्वागत करते हैं. वो कहते हैं कि इससे हमारी कला को और अधिक पारखी मिलेंगे. हालांकि वह चीनी लकड़ी के फर्नीचर को एक खतरा भी मानते हैं. कहते हैं कि वह सस्ता जरूर है पर उसकी क्वालिटी बेहद खराब है. लखनऊ में इंदिरा नगर के सामने लकड़ी के फर्नीचर के लंबे बाजार में सभी दुकानदार और कारीगर परेशान हैं. अजीज अहमद कहते हैं कि शहरों में तो अब कंपनी फर्नीचर छा गया, हमारे लिए देहाती ग्राहक ही बचा है, वह भी कब तक पता नहीं. कारपेंटर सलीम को फिक्र है काम की. पर उन्हें अपनी मेहनत पर भरोसा है. कहते हैं मेहनतकश का पेट खाली नहीं रहता.

रिपोर्ट: सुहेल वहीद, लखनऊ

संपादन: आभा मोंढे

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