1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

पड़ोस के घर से अपने घर लौटी गीता

२६ अक्टूबर २०१५

दो देशों की तल्खी एक बच्ची पर इतनी भारी पड़ी कि उसे अपने घर लौटने में 13 साल लग गए. पाकिस्तान से नई दिल्ली पहुंची गीता की यही कहानी है.

https://p.dw.com/p/1GuAx
तस्वीर: Reuters/A. Abidi

बोलने और सुनने में असमर्थ गीता का सोमवार को नई दिल्ली एयरपोर्ट पर जोरदार स्वागत हुआ. भारतीय अधिकारियों ने फूलों के गुलदस्ते के साथ गीता और पाकिस्तानी चैरिटी संस्था ईदी फाउंडेशन के कर्मचारियों का स्वागत किया. भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इसे बेटी की घर वापसी बताया.

खुद को गीता का भाई बताने वाले विनोद कुमार भी बिहार से नई दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे. विनोद के मुताबिक, "हम उससे मिलने को बेताब हैं. बहुत लंबा इंतजार था. हम गीता को परिवार से मिलाने के लिए दोनों देशों को प्रयासों के शुक्रगुजार हैं."

लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि पहले गीता का डीएनए टेस्ट होगा. विनोद कुमार के परिवार का कहना है कि गीता उनकी बेटी है. डीएनए टेस्ट में इसका पता चल जाएगा. अगर डीएनए मैच नहीं हुआ तो भारतीय अधिकारी गीता के लिए दूसरी व्यवस्था करेंगे और उसके परिवार की खोज की जाएगी.

Pakistan Geeta nach Gerichtstermin in Karachi
कराची से विदा होती गीतातस्वीर: Reuters/A. Soomro

तकरीबन 11 साल की उम्र में गीता भटक कर पाकिस्तान पहुंच गई. नई दिल्ली और लाहौर के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में वह पाकिस्तानी रेंजर्स को अकेली मिली. रेंजर्स ने मामले की छानबीन करने की कोशिश की, लेकिन बोलने और सुनने में असमर्थ गीता अपने घर के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं दे सकी और पाकिस्तान में ही फंसी रह गई. बाद में मामला पुलिस से होता हुआ चैरिटेबल संस्था ईदी फाउंडेशन तक पहुंचा. फाउंडेशन ने बच्ची को अपने पास रखा. फाउंडेशन ने ही उसे गीता नाम दिया. इसी दौरान गीता ने भारतीय नक्शे को पहचाना और धीरे धीरे पता चलने लगा कि बच्ची भारत की है.

गीता की वापसी के लिए सोशल मीडिया पर ईदी फाउंडेशन की भी सराहना हो रही है. 1986 में मैग्सेस पुरस्कार जीतने वाले दंपत्ति बिलकीस ईदी और अब्दुल सत्तार के नेक काम सुर्खियां बटोर रहे हैं.

गीता की कहानी हाल ही में आई बॉलीवुड फिल्म बजरंगी भाईजान जैसी है. लेकिन गीता अकेली बच्ची नहीं है जो भारत और पाकिस्तान के तल्ख रिश्तों के बीच फंसीं. भोपाल में फंसा रमजान इसकी एक और मिसाल है. शहर की एक बालकल्याण संस्था के मुताबिक, रमजान की मां कराची की मूसा कॉलोनी में रहती है. लेकिन रमजान और उनकी मां के पास नागरिकता साबित करने के लिए कोई दस्तावेज नहीं हैं.

उम्मीद की जा रही है कि गीता की वापसी के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच ऐसे मामलों में सहयोग बढ़ेगा. एक तरफ जम्मू कश्मीर में जहां दोनों देशों की सेनाएं नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी कर रही हैं, वहीं दूसरी तरफ भावुकता की एक डोर भी फिर से जुड़ रही है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस बीच इलाज के लिए भारत आना चाह रहे कुछ पाकिस्तानी परिवारों को वीजा देना भी शुरू कर दिया है.

ओएसजे/एसएफ