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पदकों से सजा है संधू का करियर

अशोक कुमार (संपादन: एस गौड़)७ सितम्बर २०१०

मानवजीत सिंह संधू भारत के उन अग्रणी निशानेबाजों में से एक हैं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति रखते हैं. संधू का करियर कई शानदार कामयाबियों का गवाह रहा है. दिल्ली कॉमनवेल्थ खेलों में भारत को उनसे पदक की उम्मीद है.

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मानवजीत सिंह संधूतस्वीर: AP

संधू ने 2006 के कॉमनवेल्थ खेलो में कांस्य पदक अपने नाम किया. उसी साल उन्होंने क्रोएशिया की राजधानी जगारेब में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और सीधा स्वर्ण पदक पर निशाना साधा. वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक मिलने से न सिर्फ उस वक्त वह विश्व रैंकिंग में नंबर एक पर पहुंच गए, बल्कि इस शानदार कामयाबी के लिए उन्हें 2006-07 के राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

निशानेबाज के तौर पर संधू का करियर बहुत जल्दी शुरू हो गया. बचपन से निशानेबाजी की तरफ रुझान की एक वजह यह भी रही कि उनके पिता गुरबीर सिंह संधू अंतरराष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज रह चुके हैं. उन्हें अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. मानवजीत के लिए उनके पिता ही पहले गुरु रहे.

ट्रैप शूटिंग के माहिर संधू का अब तक का करियर पदको से सजा रहा है. 1998 के कॉमनवेल्थ खेलों में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता तो एशियाई खेलों में चार रजत पदक उनके नाम रहे हैं. एशियन क्ले शूटिंग चैंपियनशिप में चार बार स्वर्ण पदक पर उनका निशाना लगा है.

लेकिन उनका बेहतरीन प्रदर्शन 2006 की आईएसएसएफ वर्ल्ड चैंपियनशिप में रहा, जब उन्होंने स्वर्ण पदक जीता. संधू 2004 और 2008 के ओलंपिक खेलों में भी हिस्सा ले चुके हैं. लेकिन बीजिंग ओलंपिक में उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा और वह 10वें स्थान पर आए.

इसी साल संधू ने कॉमनवेल्थ शूटिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक अपने नाम किया. इससे अगले ही हफ्ते मैक्सिको में हुए ट्रैप शूटिंग वर्ल्ड कप में फिर उन्हें सोना मिला. 2 अप्रैल 2010 को जारी हुई विश्व रैंकिंग में उन्हें तीसरे स्थान पर रखा गया है. 2006 में वह इस रैंकिंग के सरताज थे.

फिलहाल संधू दिल्ली कॉमनवेल्थ खेलों के लिए तैयार हैं. निशानेबाजी में भारत को पहला गोल्ड मेडल दिलाने वाले अभिनव बिंद्रा और शानदार निशानेबाज गगन नारंग के साथ वह दिल्ली में भारत की चुनौती को पेश करेंगे.