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पनडुब्बी से मिले तीन शव

१६ अगस्त २०१३

भारतीय नौसेना के गोताखोरों ने दुर्घटनाग्रस्त पनडुब्बी से तीन शवों को निकाला है. बुधवार को मुंबई में हुई दुर्घटना के दौरान इस पनडुब्बी में 18 नौसेनिक सवार थे.

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तस्वीर: Reuters

नौसेना के प्रवक्ता नरेन्द्र विस्पुते ने मुंबई में पत्रकारों को बताया कि जिस स्थिति में ये तीन शव मिले हैं उससे संकेत मिलते हैं कि शायद ही कोई नौसैनिक इस दुर्घटना में बचा होगा. उन्होंने सिर्फ यह बताया कि शवों की पहचान डीएनए परीक्षण से की जाएगी.

गुरुवार को नौसेना ने तीन अधिकारियों और 15 सैनिकों के नाम सार्वजनिक किए थे. इस पनडुब्बी में सवार अधिकारियों में लेफ्टिनेंट कमांडर निखिलेश पाल, आलोक कुमार और आर वेंकटराज थे. इसके अलावा संजीव कुमार, केसी उपाध्याय, टिमोथी सिन्हा, केवल सिंह, सुनील कुमार दासारी प्रसाद, लिजू लॉरेन्स, राजेश तूटिका, मलय हल्दर, विष्णु वी, सीताराम बादापली भी इस पनडुब्बी में सवार थे.

यह भारतीय नौसेना के इतिहास की सबसे बुरी दुर्घटनाओं में से एक है. बुधवार को आईएनएस सिंधुरक्षक पनडुब्बी पर उस समय धमाके हुए जब वह मुंबई के डॉकयार्ड में थी. इसके बाद यह उथले समंदर में आधी डूब गई.

बुधवार शाम को ही नौसेना के गोताखोर फंसे हुए 18 सैनिकों को ढूंढने पानी में गए लेकिन खराब लाइट और पनडुब्बी में पानी होने के कारण वे बहुत अंदर तक तलाश नहीं कर सके. नौसेना डूबी पनडुब्बी को निकालने के लिए डच कंपनी की मदद लेगी.

Indien Brand in einem U-Boot
आईएनएस सिंधुरक्षक में विस्फोटतस्वीर: Reuters

उधर भारत के रक्षा सचिव राधा कृष्ण माथुर अगले महीने आठ सितंबर को मॉस्को की यात्रा पर जा रहे हैं. भारत की तीनों सेनाओं के उच्चस्तरीय प्रतिनिधि उनके साथ होंगे. इस बैठक में विमानवाही पोत गोर्शकोव और एफजीएफए पर बात होनी है. साथ ही सेना के लिए साझा विकास कार्यक्रम पर भी बातचीत की जाएगी.

अभी यह तय नहीं है कि पनडुब्बी में हुई दुर्घटना का मुद्दा वहां उठाया जाएगा या नहीं. जांच के बाद इस बारे में तय किया जाएगा. दुर्घटनाग्रस्त पनडुब्बी कुछ ही महीने पहले नवीनीकरण के बाद भारत आई थी. जनवरी 2014 तक उसकी वारंटी भी थी.

बताया गया है कि भारत और रूस एक और किलो क्लास की पनडुब्बी आईएनएस सिंधुराष्ट्र को अपग्रेड करने की योजना बना रहे हैं. भारत ने रूस से 10 पनडुब्बियां ली हैं.

भारत के नौसेना सूत्रों ने कहा है कि वह रुसी उपकरण निर्माता की मदद जांच में नहीं लेगा क्योंकि वह करीब दो दशक से इन पनडुब्बियों का इस्तेमाल कर रहा है और उसके पास जांच के लिए जरूरी विशेषज्ञता वाले लोग हैं.

भारत ने रूस से 10 किलो क्लास की पनडुब्बियां 1980 में ली जिनकी डिलेवरी 1986 से 2000 के बीच की गई.

एएम/ (एएफपी, पीटीआई)