पनामा नहर विवाद में स्पेन की मध्यस्थता
७ जनवरी २०१४पनामा नहर चलाने वाली कंपनी एसीपी और नहर का विस्तार कर रही कंपनी जीयूपीसी के बीच मध्यस्थता के सिलसिले में आना पास्टोर कंपनियों के प्रतिनिधियों के अलावा पनामा के राष्ट्रपति रिकार्डो मार्टिनेली से मिली हैं. उन्होंने कहा कि हालांकि यह कंपनियों के बीच विवाद का मामला है, लेकिन हम उसके समाधान में मदद करना चाहते हैं. राष्ट्रपति मार्टिनेली ने भरोसा जताया है कि खर्च में बढ़ोत्तरी का विवाद जल्द सुलझा लिया जाएगा.
इसके पहले पनामा नहर अथॉरिटी के अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि वे नहर को चौड़ा करने का काम कर रही कंपनी के साथ समझौते करने के लिए तैयार हैं, हालांकि इस काम के लिए उन्होंने कंपनी की अतिरिक्त 1.2 अरब यूरो की मांग पूरा करने से इनकार किया है.
पनामा नहर को चौड़ा करने और बड़े जहाजों के लिए नए लॉक बनाने का प्रोजेक्ट स्पेन और इटली की कंपनियों के नियंत्रण वाली 'ग्रूपो यूनिडोस पोर एल कनाल कंसोर्टियम' (जीयूपीसी) के पास है. पिछले हफ्ते उसने पनामा नहर अथॉरिटी को धमकी दी थी कि अगर अधिकारी अतिरिक्त राशि नहीं देते हैं तो काम बीच में ही रोक दिया जाएगा. उन्होंने प्रशासन को तीन हफ्ते का समय दिया था. स्पेन के सरकारी अधिकारियों का एक दल इस मामले पर बातचीत के लिए रविवार पनामा पहुंचा.
जीयूपीसी का कहना है कि संचालकों के दोषपूर्ण भूगर्भीय अध्ययन के कारण पनामा नहर को चौड़ा करने के काम में बजट को बढ़ाने का सवाल खड़ा हो गया है. स्पेनी कंपनी साकिर के अनुसार जीयूपीसी ने पिछले हफ्ते औपचारिक रूप से एसीपी तक संदेश पहुंचा दिया था कि अगर निर्धारित अवधि में मंजूरी नहीं मिलती है तो काम रोक दिया जाएगा. साकिर ने कहा, "अगर पनामा नहर अथॉरिटी (एसीपी) के अधिकारी अटलांटिक और प्रशांत महासागर को मिलाने वाले अस्सी किलोमीटर लंबे पानी के रास्ते के लिए अलग से 1.2 अरब यूरो नहीं देंगे, काम रोक दिया जाएगा."
नहर के अटलांटिक सिरे पर लॉक बनाने के लिए जिम्मेदार विभाग के प्रमुख होजे पेलीज ने बताया कि जब संगठन ने नहर के प्रशांत महासागर के सिरे की ओर खुदाई शुरू की तो पाया कि लौह और खनिजों वाला पत्थर उस तरह के कंक्रीट के लिए उपयुक्त नहीं था जो लॉक बनाने में इस्तेमाल होना था. इसलिए उन्हें उसे कहीं और से लाने का बंदोबस्त करना पड़ा जिसके कारण कीमत पर असर पड़ रहा है.
दबाव का जवाब
एक हफ्ते से चल रहे विवाद में संगठन के भूगर्भीय परिस्थितियों के बारे में दिए गए विवरण के बाद इस मामले में रास्ता निकाले जाने की उम्मीद की जा रही है. शुरुआती नानुकुर के बाद एसीपी अधिकारियों ने इस बात के संकेत दिए कि इस बारे में वे जीयूपीसी के साथ बात कर समझौते का रास्ता निकाल सकते हैं. हालांकि पनामा के अधिकारियों ने संगठन की मांगी हुई रकम की मांग पूरी करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है.
पिछले हफ्ते एसीपी के प्रबंधक होर्गे क्वियानो ने कहा था, "एसीपी के खिलाफ दबाव बनाने के चाहे जो पैंतरे आजमाए जाएं, हमारी मांग यही रहेगी कि कंपनी उस कॉन्ट्रैक्ट का आदर करे जिस पर उन्होंने सहमति जताई थी और हस्ताक्षर किए थे." पनामा नहर को चौड़ा करने का 2.4 अरब यूरो की लागत का काम 2009 में शुरू हुआ और उसके 2015 तक पूरा होने की आशा की जा रही थी.काम शुरू ही तय समय से नौ महीने की देरी से हुआ था.
नए लॉक की आवश्यक्ता
1914 में जब पनामा नहर खोली गई, तब सालाना 1,000 जहाज इससे गुजरा करते थे. आज हर दिन यहां से लगभग 42 जहाज गुजरते हैं. अटलांटिक को सीधे प्रशांत महासागर से जोड़ने वाली पनामा नहर विश्व के प्रमुख जलमार्गों में है. इस नहर से गुजरने के लिए हजारों टन भारी जहाज को 85 फुट ऊपर उठाया जाता है और ये काम तीन ब्लॉकों यानी लॉकों में पानी भरकर किया जाता है.
फिलहाल पनामा नहर से सिर्फ वे ही जहाज गुजर पाते हैं जो माप में 1050 फीट लंबाई, 110 फीट चौड़ाई और 41.2 फीट गहराई के भीतर आते हैं. जबकि आधुनिक जहाज आकार में काफी बड़े हैं. नहर में तैयार किए जा रहे नए लॉक 12000 कंटेनरों वाले बड़े जहाजों के साइज के अनुरूप होंगे. जबकि पुराने लॉक पनामा से गुजरने वाले सिर्फ 5000 कंटेनरों वाले जहाजों के लिए ही उचित हैं. नए लॉक चैंबर 1400 फीट लंबे, 180 फीट चौड़े और 60 फीट गहरे बनाए जाने की योजना है. नए लॉक में पोतों को बिठाने के लिए लोकोमोटिव की जगह टगबोट होंगे.
पनामा कनाल को चौड़ा करने के काम को तीसरे सेट के लॉक का प्रोजेक्ट भी कहा जाता है. इसके 2015 तक पूरा हो जाने पर पनामा नहर से पहले के मुकाबले ज्यादा बड़े आकार के जहाज गुजर सकेंगे जिससे कि इस मार्ग का ज्यादा इस्तेमाल हो सकेगा. उम्मीद की जा रही है कि नए तीसरे सेट के लॉक तैयार हो जाने पर मार्ग की क्षमता दुगनी हो जाएगी. प्रोजेक्ट के अंतर्गत नहर के दोनों सिरों अटलांटिक महासागर की तरफ और प्रशांत महासागर की तरफ एक एक नए लॉक कॉम्प्लेक्स बनाए जाने हैं. प्रत्येक में पानी जमा करने के तीन चैंबर होंगे जिनकी मदद से पोत विस्थापित किए जाएंगे. दुनिया भर में व्यापार के लिए चलने वाले 5 फीसदी पानी के जहाज पनामा से होकर गुजरते हैं. पनामा नहर 2014 में 100 साल की हो जाएगी.
रिपोर्ट: समरा फातिमा (एएफपी)
संपादन: महेश झा