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परिवारों के बिना दफनाने पर कुर्दों में गुस्सा

२९ जनवरी २०१६

तुर्की में नए कानून के तहत पुलिस को कर्फ्यू के दौरान मारे गए लोगों का अंतिम संस्कार करने की छूट दी गई है. दक्षिण पूर्व तुर्की में कुर्द विद्रोही गुटों के खिलाफ लड़ाई के चलते तुर्की में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लागू है.

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Türkei Kurden PKK Kämpfer Trauerzug in Cizre
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Akengin

सेना का प्रतिबंधित कुर्द संगठन पीकेके के खिलाफ पिछले कई दिनों से चल रहा व्यापक अभियान जारी है. इस अभियान के अंतर्गत कई इलाकों में कर्फ्यू लागू है. नए कानून के मुताबिक कर्फ्यू के दौरान मारे गए लोगों की पहचान होने पर भी उनका अंतिम संस्कार करने की पुलिस को छूट है. सियासिन बुरुंतेकिन गुस्से और आंसुओं को रोकती हुई बताती हैं कि उनकी रिश्तेदार को तुर्क सुरक्षा बल ने गोली मार दी और बगैर रिश्तेदारों को सूचना दिए उन्हें दफना भी दिया. आइसे बुरुंतेकिन की कब्र पर पहली बार पहुंची सियासिन याद करते हुए बताती हैं कि वह सिपोली इलाके में कर्फ्यू के दौरान अपने बच्चे के लिए दूध लेने बाहर निकली थीं. सिपोली सीरिया और इराक के साथ तुर्की के थ्री प्वाइंट बॉर्डर के पास है. सियासिन ने बताया उनकी रिश्तेदार की गर्दन में गोली लगी, "पुलिस ने परिवार को बताए बिना उन्हें दफना दिया."

कर्फ्यू के अंतर्गत आने वाले इलाकों के लिए नया नियम 7 जनवरी से लागू हुआ जिसके मुताबिक अगर मारे गए व्यक्ति की लाश लेने कोई नहीं आता है तो उसकी पहचान होने पर भी सुरक्षा बल के लोग उसका अंतिम संस्कार कर सकते हैं. कानून का मकसद अंतिम संस्कार को रैलियों या विद्रोही संगठनों के समर्थन प्रदर्शनों में तब्दील होने से बचाना है. खबरों के मुताबिक दिसंबर में विद्रोह के जोर पकड़ने के बाद से अब तक दर्जनों आम नागरिक अपनी जान गंवा चुके हैं. कुर्दों के लिए पूर्ण कर्फ्यू की हालत में मुर्दाघर से अपने रिश्तेदारों के शव लेने जाना भी संभव नहीं है.

सियासिन के मुताबिक पुलिस ने यह तक नहीं बताया कि उनकी रिश्तेदार को कहां दफनाया गया है. इलाके के आसपास मौजूद लोगों के जरिए उन्हें यह जानकारी मिली. कई अन्य कुर्दों की तरह वह कहती हैं, "इसका जिम्मेदार एर्दोवान है. मैं अपने आप को इस देश के नागरिक के तौर पर और नहीं देख सकती." वह कहती हैं कि राष्ट्रपति रैचप तैयप एर्दोवान को बढ़ती हिंसा के लिए जिम्मेदारी लेनी चाहिए.

तयबत इनान का परिवार भी कम गुस्से में नहीं. खालिद इनान की 57 वर्षीय पत्नी की टांग में उस समय पुलिस की गोली लगी जब वह पड़ोसी के घर से लौट रही थीं. उस समय वह अपने घर से कुछ मीटर की दूरी पर ही थीं. खालिद ने पत्नी को अंदर खींचने के लिए रस्सी फेंकी लेकिन वह कामयाब नहीं हो सके. वह अगले दिन तक जिंदा थीं. खालिद याद करते हैं, "वह बार बार कह रही थी, बाहर मत आना वरना तुम भी मारे जाओगे."

खालिद के भाई अब्दुल्लाह ने कुर्द समर्थक एचडीपी पार्टी के सांसद को फोन कर एंबुलेंस का इंतजाम करवाया. लेकिन रास्ते में उन्हें पुलिस ने रोक लिया. अब्दुल्लाह बताते हैं इसके बाद पुलिस ने उनसे उनके घर का पता पूछा. और फिर उनके घर को आग लगा दी. पुलिस तयबन के शव को मुर्दाघर ले गई. पुलिस ने परिवार को फोन कर नए कानून के हवाले से बताया कि तयबत को पुलिस ही दफना देगी.

एसएफ/एमजे (डीपीए)