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परिवार नियोजन में सिर्फ महिला नसबंदी काफी नहीं

२५ जुलाई २०१५

गैर-सरकारी संगठन पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया का मानना है कि सरकार को नसबंदी के अलावा गर्भनिरोध के अन्य विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए ज्यादा खर्च करना चाहिए.

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तस्वीर: Reuters/M. Mukherjee

भारत में परिवार नियोजन के बजट का पचासी प्रतिशत हिस्सा महिलाओं में नसबंदी करने और इसे बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल होता है. गैर-सरकारी संगठन पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया का मानना है कि सरकार को गर्भनिरोध के अन्य विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए ज्यादा खर्च करना चाहिए. संगठन की कार्यकारी निदेशक पूनम मुटरेजा के अनुसार वर्ष 2013-14 के राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम के लिए कुल 4 अरब रुपये के बजट में से 3.4 अरब रुपए महिला नसबंदी पर खर्च किए गए.

जनसंख्या वृद्धि पर लगाम लगाने के लिए भारत के प्रयासों को चीन के बाद सबसे अधिक कठोर माना जाता है. हाल के दशकों में जन्म दर गिरा तो जरूर है, लेकिन जनसंख्या वृद्धि के मामले में भारत अभी भी दुनिया के सबसे तेज वृद्धि वाले देशों में से एक है. महिला नसबंदी के मामले में भारत पहले स्थान पर है. भारत का नसबंदी अभियान पिछले नवंबर में उस वक्त खबरों में आया जब छत्तीसगढ़ के एक नसबंदी शिविर में ऑपरेशन के बाद 15 महिलाओं की मौत हो गई थी और दूसरी कई महिलाओँ को अस्पतालों में भर्ती करना पड़ा था.

जांच में शिविर में व्याप्त गंदगी, गंदे चिकित्सा उपकरणों और मरीजों की देखभाल में समग्र कमी को बिलासपुर के इस हादसे के लिए जिम्मेदार पाया गया. ज्यादातर मरीज गरीब आदिवासी और पिछड़े जाति की महिलाएं थीं. प्रशासन ने सुरक्षित और स्वच्छ सर्जरी के संचालन के लिए अब दिशानिर्देश जारी किए हैं और सही तरीके से नसबंदी के ऑपरेशन करने के लिए स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. लेकिन इनाम के साथ लक्ष्यबद्ध नसबंदी अब भी जारी है.

डॉक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्यकर्मियों को नसबंदी को बढ़ावा देने और सर्जरी करने के लिए नकद इनाम दिया जाता है. नसबंदी कराने वाले पुरुषों और महिलाओं के लिए भी मुआवजा का प्रावधान है. नकद इनाम और मुआवजे की यह व्यवस्था डॉक्टरों को खतरों को नजरअंदाज करते हुए अधिक से अधिक सर्जरियां करने के लिए प्रेरित करते हैं. अक्सर अशिक्षित महिलाएं नसबंदी से जुड़े खतरों को जाने बगैर ही सर्जरी करवाने के लिए तैयार हो जाती हैं.

पूनम मुटरेजा का मानना है कि भारत को गर्भनिरोध के अन्य उपायों को बढ़ावा देने, बेहतर प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने और गर्भ निरोधकों के विकल्पों को बढ़ाने पर और अधिक निवेश करने की जरुरत है. एक अनुमान के अनुसार 32 लाख भारतीय महिलाएं आधुनिक गर्भनिरोधकों के दायरे से बाहर हैं. ऐसे में गर्भनिरोध के ज्यादा विकल्पों के साथ-साथ स्क्रीनिंग और फॉलो-अप की सुविधाओं से न सिर्फ अनचाहे गर्भधारण की संख्या में कमी आएगी बल्कि मातृ मृत्यु दर में कमी लाने में भी मदद मिलेगी.

एपी/एजे (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)