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पहला ट्रांसप्लांट करने वाले डॉक्टर की मौत

२७ नवम्बर २०१२

अमेरिकी डॉक्टर जोसेफ ई मरे ने 1954 में इन्सान के शरीर पर पहला ट्रांसप्लांट किया. 93 की उम्र में उनकी मौत बॉस्टन के एक अस्पताल में हुई.

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मरे (ऊपर बाएं) अपने पहले मरीज रिचर्ड हेरिक (नीचे बाएं) के साथतस्वीर: AP

1990 में मरे को ट्रांसप्लांट पर शोध के लिए नोबल पुरस्कार से नवाजा गया. उस वक्त उन्होंने एक अखबार से इंटरव्यू में कहा, "आजकल तो किडनी ट्रांसप्लांट इतने आम लगते हैं. लेकिन पहला तो बिलकुल सागर के पार लिंडबर्ग की पहली उड़ान जैसा था." मरे ने पहली बार एक आदमी के शरीर से गुर्दा निकालकर एक दूसरे व्यक्ति के शरीर में लगाया था. 23 साल का यह व्यक्ति और आठ साल जिंदा रहा, उसने शादी की और उसके दो बच्चे भी हुए.

मरे ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ट्रांसप्लांट में जेनेटिक्स की अहमियत समझी. उनके यूनिट के प्रमुख ने उन्हें एक प्रयोग के बारे में बताया जिसमें मरीज के जुड़वां भाई के शरीर से एक हिस्से को दूसरे के शरीर में लगाया गया.

मरे ने इसके बाद लगातार कुछ ऐसी तरकीब निकालने की सोची जिसके जरिए शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को खत्म किया जा सकता था. इन्सान का शरीर इस तरह बना हुआ है कि वह हर बाहरी कण को शरीर से बाहर निकालने या उसे खत्म करने की कोशिश करता है.

शरीर की यह प्रणाली बीमारी वाले कीटाणुओं के खिलाफ तो फायदेमंद साबित होती है लेकिन अगर प्रतिरोपण में बाहर से शरीर में अंग लगाया जा रहा हो, तो उसे शरीर में रखने में परेशानी होती है. शरीर इस बाहरी अंग को स्वीकार करने से मना भी कर सकता है. मरे ने गुर्दे का सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट करके साबित किया कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को काबू में किया जा सकता है.

Organtransplantation Organspende Operation Nierentransplantation
तस्वीर: picture-alliance/dpa

चिकित्सा के अलावा मरे जेनेटिक्स, भौतिकी और भूगर्भ विज्ञान में भी दिलचस्पी लेते थे. उन्होंने एक बार कहा था कि वह इस ग्रह पर और 10 जिंदगियां जीना चाहते हैं और वह इन सारे विषयों में अपना एक एक जीवन लगा देते.

एमजी/एएम (रॉयटर्स, डीपीए)

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