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पाकिस्तानी पंजाब में किडनी के कारोबार की फसल

११ सितम्बर २०१७

पाकिस्तान की इस्मत बीबी के लिए किडनी बेचने का फैसला आसान था. 4 बच्चों की परवरिश और टीबी से जूझते पति का इलाज और लाख रूपये का कर्ज. उन्होंने तुरंत हां कह दिया, पर जब उनका बेटा भी यही करने चला है तो उनसे नहीं देखा जा रहा.

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Pakistan Punjab province
तस्वीर: Mudassar Raja

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के कोट मोमिन में रहने वाली इस्मत बीबी को किडनी बेचे 12 साल हो गये. इस बीच उनके पति की बीमारी और गंभीर हो गयी है. एक बेटी मानसिक रूप से विकलांग है. किडनी देने के बाद अकसर उनके पेट में दर्द उमड़ता है और कर्ज का बोझ और बढ़ गया है. इन सबके बीच बेटे के किडनी बेचने के फैसले ने उनकी नींद उड़ा दी है. इस्मत बीबी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "मैं अपने बेटे से गुहार लगा रही हूं कि वह ऐसा ना करे लेकिन वह इस बात पर अमादा है. मैंने किडनी बेच कर गलती की लेकिन मेरे पास परिवार को पालने का और कोई रास्ता नहीं था."

पंजाब पाकिस्तान का सबसे समृद्ध इलाका है. खेती के साथ ही यहां कपड़ा और दूसरे उद्योग फल फूल रहे है लेकिन इसके साथ ही मानव अंगों का अवैध कारोबार भी खूब चल रहा है. गरीबी और कर्ज के कुचक्र के कारण मानव अंगों के काले बाजार ने यहां जड़ जमा ली है. यहां के बेहद गरीब लोगों को मानव अंगों के कारोबारी अपना निशाना बनाते हैं. इनमें से ज्यादातर दिहाड़ी मजदूर हैं जिनकी मेहनत का इस्तेमाल कर लोगों ने अपना कारोबार फैलाया है लेकिन बदले में इन लोगों को बहुत थोड़े से पैसे दिये.

Pakistan NGO - door of awareness
तस्वीर: Roma Rizvi

दुनिया भर में मानव अंग और उनका दान करने वाले लोगों की भारी कमी है. ऐसे में "ट्रांसप्लांट टूरिज्म" का एक नया आपराधिक तंत्र खड़ा हो गया है. इसमें डॉक्टर और कारोबारियों जैसे प्रभावशाली लोग भी हैं जिन्होंने हर तरफ अपने एजेंट भेज रखे हैं. ये लोग विदेशों में अपने एजेंटों के जरिये ऐसे लोगों की तलाश करते हैं जिन्हें मानव अंगों की जरूरत है. पाकिस्तान में कितने लोगों ने अपने अंग बेचे हैं, इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है लेकिन कुछ अधिकारियों का कहना है कि हर साल ऐसे लोगों की तादाद 1000 तक हो सकती है.

पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली की मानवाधिकारों पर स्थायी कमेटी के चेयरमैन बाबर नवाज खान का कहना है कि पाकिस्तान में मानव अंगों का व्यापार काफी बढ़ गया है. हालांकि उनका यह भी कहना है कि प्रशासन उनके खिलाफ कार्रवाई कर रहा है.  नवाज खान ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "पिछले साल तक पाकिस्तान इस व्यापार का केंद्र था. अनुमान है कि कुछ साल पहले तक मानव अंगों के व्यापार के 85 फीसदी मामलों में पाकिस्तान शामिल होता था लेकिन अब यह शीर्ष 10 देशों में नहीं है."

संतरा नींबू और किडनी

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तस्वीर: Reuters

पंजाब की धरती पर करीब 11 करोड़ लोग रहते हैं जो पाकिस्तान की करीब आधी आबादी है. यह धरती ना सिर्फ देश के लिए गेंहू का कटोरा है बल्कि देश की 60 फीसदी कृषि उपज इसी राज्य से होती है. इसके अलावा यह औद्योगिक रूप से भी सबसे संपन्न इलाका है. धान के हरे भरे लहलहाते खेतों और सुनहरी गेंहू की झूमती बालियों के साथ ही फैक्ट्रियों की कतार भी दिखती है जिनमें कपड़े से लेकर सीमेंट और क्रिकेट के बल्ले से लेकर सर्जिकल उपकरण तक बनते हैं. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी पंजाब की है. यहां गरीबी की दर भी करीब 20 फीसदी है जो बाकी राज्यों की तुलना में सबसे कम है. हालांकि इस समृद्धि का भार जिन मजदूरों के मजबूत कंधों पर है, उनकी इसमें हिस्सेदारी बहुत कम है. मजदूरों का शोषण करने वाले गांव से लेकर शहर तक फैले हैं. अब वो चाहे जमींदार, ठेकेदार हो या फिर फैक्ट्री मालिक. इन मजदूरों को हर दिन 600 पाकिस्तानी रूपये से भी कम की मजदूरी मिलती है.

ज्यादातर मजदूर अपने मालिकों से ब्याज की ऊंची दरों पर पैसा लेते हैं और बहुत जल्द ही कर्ज के दलदल में फंस जाते हैं. सरगोधा जिले का कोट मोमिन पाकिस्तान में नींबू संतरे की पैदावार वाले इलाके के रूप में मशहूर है. लेकिन यहीं आपको ऐसे सैकड़ों लोग मिलेंगे जिन्होंने अपनी किडनी बेच दी है.

सामाजिक कार्यकर्ता और मानव अंग की तस्करी के पीड़ित जफर इकबाल कहते हैं, "मेरे पास 250 लोगों के आवेदन हैं जिन्होंने अपनी किडनी बेच दी है और वे अब सरकार से सहायता मांग रहे हैं." 45 साल के इकबाल ने 2003 में अपनी किडनी बेच दी. उनके भाई की मौत हो गयी थी और उन्हें अपने भाई के परिवार की देखभाल और दो बहनों की शादी के लिए पैसे की जरूरत थी. ठेले पर चाय बेचते हुए इकबाल कहते हैं, "हम लोग छोटे हैं. हम इन ताकवर लोगों से नहीं लड़ सकते."

ट्रांसप्लांट टूरिज्म

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

पाकिस्तान ने 2010 में मानव अंगों के व्यापार पर रोक लगायी. इसमें शामिल डॉक्टरों, बिचौलियों और बेचने या खरीदने वाले के लिए 10 साल की कैद और 10 लाख पाकिस्तानी रूपयों के जुर्माने का प्रावधान है. कानून सिर्फ रिश्तेदारों या फिर परोपकार के लिए अंगों का दान करने की इजाजत देता है. लेकिन कम मजदूरी और कानून का सही ढंग से पालन नहीं होने के कारण मानव अंगों के व्यापार पर रोक लगाना मुश्किल हो रहा है.

ब्रिटेन, सऊदी अरब और दक्षिण अफ्रीका के लोग पाकिस्तान में लाहौर या कराची आकर आवासीय इलाकों में बने प्राइवेट क्लिनिक में अंगों का प्रत्यर्पण करा लेते हैं. विदेशियों को एक किडनी एक करोड़ पाकिस्तानी रूपये में बेची जाती है लेकिन किडनी देने वाले को महज इसका 10 फीसदी हिस्सा ही मिलता है.

पुलिस मानती है कि अंगों का व्यापार करने वाले नेटवर्क को तोड़ना मुश्किल हो रहा है क्योंकि इसमें कई तरह के लोग शामिल हैं जैसे डॉक्टर, नर्स से लेकर पारा मेडिक्स, अस्पताल मालिक और कारोबारी. इनमें से कई प्रभावशाली लोग भी हैं जिनकी राजनेताओं तक पहुंच है.

हालांकि पाकिस्तान की स्वास्थ्य मंत्री सारा अफजल तरार ने कहा, "हम इस अवैध व्यापार को रोकने के लिए प्रतिबद्ध हैं." हालांकि इन शब्दों का उन पीड़ितों के लिए कोई मोल नहीं जो अपनी किडनी बेच चुके हैं. 20 साल के सरफराज कहते हैं, "मेरे पास इतने ही पैसे थे कि या तो अपने लिए दवा खरीदूं या फिर अपने बच्चों के लिए रोटी...मैंने बच्चों का पेट भरना जरूरी समझा."

एनआर/एके(रॉयटर्स)