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पाकिस्तान के दोस्त चाहते हैं लोकतांत्रिक सुधार

१५ अक्टूबर २०१०

पाकिस्तान के दोस्त चाहते हैं कि उसे अपने देश में लोकतांत्रिक सुधारों के अधिक कदम उठाने चाहिए. ब्रसेल्स में आज फ्रेंड्स ऑफ डेमोक्रैटिक पाकिस्तान की बैठक हो रही है.

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पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशीतस्वीर: AP

पाकिस्तान को समर्थन देने वाले महत्वपूर्ण देशों की बैठक शुक्रवार को ब्रसेल्स में हो रही है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी इस बैठक में भाग लेंगे.

बैठक से पहले जर्मन विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले ने कहा है कि पाकिस्तान में आई भयानक बाढ़ के बाद मदद और व्यापारिक रियायतें महत्वपूर्ण थीं, लेकिन स्थायी सफलता के लिए पाकिस्तान द्वारा सुधारों को आगे बढ़ाये जाने की जरूरत है.

पाकिस्तान के दोस्तों के दल में 26 देश और अंतरराष्ट्रीय संगठन हैं. ब्रसेल्स में राजनयिकों ने कहा है कि पाकिस्तान को समर्थन देने वाले देश इस बात पर चिंतित हैं कि वहां सुधारों की प्रक्रिया धीमी हुई है.

अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने पाकिस्तान को बाढ़ की विभीषिका से निबटने के लिए 46 करोड़ डॉलर की सहायता दी है. पड़ोसी भारत ने भी ढ़ाई करोड़ डॉलर की फौरी सहायता मुहैया कराई है.

अमेरिका की विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने गुरुवार को पाकिस्तान के धनी लोगों से बाढ़पीड़ितों की मदद में और योगदान देने की मांग की. क्लिंटन ने कहा, "यह पूरी तरह अस्वीकार्य है कि पाकिस्तान के धनी अपने ही लोगों की मदद के लिए उचित योगदान नहीं दे रहे हैं जबकि यूरोप, अमेरिका और दूसरे देशों के करदाता धन दे रहे हैं."

यूरोपीय संघ की विदेश नीति की प्रभारी कैथरीट एश्टन ने कहा है कि यह बैठक पाकिस्तान के दोस्तों के लिए मुश्किल वक्त में अपना सहयोग दिखाने का मौका है. इस संगठन की यह तीसरी बैठक है. यूरोपीय संघ ने इस संगठन की नींव रखी.

उधर विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक ने कहा है कि पाकिस्तान में बाढ़ से लगभग 9.7 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है. इसमें बाढ़ से सीधी क्षति, अप्रत्यक्ष नुकसान और पुनर्निर्माण का खर्च शामिल है.

यह आकलन पाकिस्तान की सरकार को नागवार गुजरेगा क्योंकि उसने 43 अरब डॉलर के नुकसान की बात कही है और राजकोष की खस्ता हालत के कारण उसे विदेशों से भारी सहायता की उम्मीद है.

जुलाई में आई बाढ़ में एक करोड़ लोग बेघर हो गए हैं और दो करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं. प्रेक्षकों को डर है कि पाकिस्तान अपनी बदौलत पुनर्निर्माण नहीं कर सकता और भारी दबाव से देश की स्थिरता खतरे में पड़ सकती है. तालिबान विरोधी संघर्ष में पाकिस्तान अमेरिका का महत्वपूर्ण सहयोगी है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: वी कुमार

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