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पाकिस्तान का सच

२१ नवम्बर २०१४

रजिया शेख की नजरें आसमान की तरफ हैं, आंखें आंसुओं से भरी हुई हैं और गोद में पाक कुरान है. वह लापता बेटी के लिए खुदा से इंसाफ की मांग कर रही हैं. झूठी शान के नाम पर एक और कत्ल हुआ है.

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तस्वीर: AAMIR QURESHI/AFP/Getty Images

40 वर्षीय विधवा रजिया शेख अपनी बेटी की तस्वीरें दिखाते हुए चीखने लगती है. पहली तस्वीर में चमकदार आंखें और जोश है तो दूसरी तस्वीर में बेजान और ठंडा शरीर जो सफेद कफन में लिपटा हुआ है. अनगिनत दुखी मांओं में रजिया भी एक है जो "कारो-कारी" हत्याओं की पीड़ित है. इन हत्याओं को अंजाम देने का मकसद परिवार की इज्जत को बचाना या फिर बदला लेना है. पाकिस्तान में महिलाओं की हालत सुधारने पर काम करने वाली औरत फाउंडेशन के मुताबिक 2008 से अब तक तीन हजार से ज्यादा हत्याएं "सम्मान" के नाम पर कर दी गई है.

शादी और हत्या

दक्षिण सिंध प्रांत में सिंधु नदी के पास स्थित सचल शाह मियानी गांव में एक कमरे के मकान के बाहर बैठी रजिया अपनी आपबीती सुनाती है. इसकी शुरूआत 2010 में तब हुई जब रजिया की बड़ी बेटी खालिदा कराची में अपने ससुराल से लापता हो गई. खालिदा के साथ क्या हुआ यह साफ नहीं लेकिन उसके ससुरालवालों का आरोप रजिया पर है, एक विधवा जो गरीब होते हुए भी अपनी इज्जत को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है.

जब रजिया अपनी बेटी के लापता होने के गम में डूबी हुई थी, तब उसके ससुरालवालों ने यह मांग शुरू कर दी कि उसकी छोटी बेटी शाहिदा की शादी उनके दूसरे बेटे से कर दी जाए. रजिया ने इससे इनकार कर दिया और उसके बाद तीन शख्स उसके घर में घुस आए और छोटी बेटी को गोली मार दी. उन्होंने इस हत्या को सही करार दिया और आरोप लगाया कि वह व्यभिचार कर रही थी और दोषियों को सजा नहीं हुई.

कानून देता है इजाजत

बिलखती हुई रजिया कहती है, "अल्लाह की खातिर मैं मंत्रियों, जजों और पुलिस से अपील करती हूं कि मुझे इंसाफ दिलाएं." इस तरह के हमलों को रोकने की सरकार की कोशिशें असफल रही हैं और पाकिस्तान के गरीब और ग्रामीण इलाकों में इस तरह की हत्याएं बड़ी समस्या हैं. माली धन के अभाव में, सम्मान की अवधारणाएं और परिवार का नाम बहुत महत्व रखता है.

इसके अलावा पाकिस्तान का कानून इसकी इजाजत देता है कि पीड़ित के रिश्तेदार हत्यारे को ब्लड मनी के बदले उसे "माफ" कर दे. इसका मतलब यह है कि अगर रिश्तेदार ने ही हत्या कराई है तो केस चलने से बचा जा सकता है. पाकिस्तान में आमतौर शादियां परिवार द्वारा तय की जाती हैं और अक्सर चचेरे, मौसेरे या फुफेरे भाई बहन के बीच होती है.

सम्मान नहीं लालच है

सिंध में विशेष बल की प्रमुख इरम अवान 2008 से इस समस्या से निपटने के लिए काम कर रही हैं. अवान कहती हैं, "कई मामलों में, "प्रतिष्ठा" सिर्फ एक बहाना होता है जबकि असली मकसद ये है कि वे अपनी बहन या बेटी को संपत्ति में हिस्सा नहीं देना चाहते हैं." ऐसी हत्याएं सिर्फ प्यार और शादी के कारण नहीं होती. पाकिस्तान में न्याय प्रणाली स्थानीय राजनीति में फंसी हुई है, खासकर सिंध जैसे इलाकों में, जहां बड़े बड़े जमींदारों के पास ताकत है.

"सम्मान" के सवालों को अन्य असंबंधित मुद्दों को निपटाने के लिए लागू किया जा सकता है. सुक्कुर शहर के पश्चिम में स्थित छोटे से गांव में मोहम्मद हसन छिप कर रह रहा है. ऐसा स्थानीय सामंती जमींदार के द्वारा हसन को "कारो" घोषित किए जाने के बाद हुआ. "कारो कारी" का मतलब इज्जत के नाम पर कत्ल होता. हसन का कहना है, "मेरी जमीन पर विवाद शुरू होने के बाद मुझे कारो घोषित कर दिया गया. वे जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं."

जमींदार ने अपने आदमियों को हसन को धमकाने भेजा, हसन को विकल्प दिया गया कि या तो वह अपनी जमीन उनके हवाले कर दे या फिर विवाद को सुलझाने के लिए आठ लाख रुपये दे. हसन की आमदनी का एक ही जरिया यह जमीन है. वह कहता है कि उसकी जिंदगी खतरे में है और जमींदार के लोग उस पर तीन बार हमला कर चुके हैं. अनुमानों के मुताबिक सिंध में हर साल 350 से ज्यादा हत्याओं को अंजाम दिया जाता है.

एए/आईबी (एएफपी)