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पाकिस्तान में जज पर हमला

२६ जून २०१३

पाकिस्तान में हुए बम हमलों में जहां 12 लोगों की मौत हो गई, वहीं एक जज को निशाना बनाए जाने के बाद लोगों में चिंता फैल गई है. कराची के हमले में जज बुरी तरह घायल हो गए हैं.

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तस्वीर: Reuters

मकबूल बकीर सिंध हाई कोर्ट में जज हैं. उन पर सड़क चलते जिस वक्त हमला हुआ, वह भीड़ भाड़ का वक्त था और इसमें नौ लोग मारे गए. बकीर शिया समुदाय के हैं और तालिबान ने उन्हें पहले भी मारने की धमकी दी थी. उन्हें लश्करे झंगवी की तरफ से भी धमकी मिल चुकी है, जिसने हाल के दिनों में शियाओं पर कई हमलों का दावा किया है.

हमला उस वक्त हुआ, जब बकीर अपने सुरक्षा बलों के साथ बर्न्स रोड से गुजर रहे थे. उसी वक्त वहां मोटर साइकिल पर रखे बम में विस्फोट हो गया. पुलिस के मुताबिक जज की सुरक्षा में लगे आठ लोगों सहित कम से कम नौ लोग मारे गए और 14 लोग घायल हो गए.

पुलिस अधिकारी अमीर शेख ने बताया, "मरने वालों में छह पुलिस अधिकारी, दो रेंजर और जज का एक ड्राइवर शामिल है." अधिकारियों ने पहले मरने वालों की संख्या सात बताई थी.

Pakistan Anschlag in Kohat
तस्वीर: BASIT GILANI/AFP/Getty Images

बकीर को अस्पताल में भर्ती किया गया है, जहां उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है. शेख का कहना है, "उन्हें तालिबान और लश्करे झंगवी की तरफ से धमकियां मिल चुकी थीं. दूसरे आतंकवादी संगठनों ने भी उन्हें मारने की धमकी दी थी." बकीर दूसरे मामलों के अलावा पाकिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ गठित अदालतों में भी जज की हैसियत से काम कर रहे हैं. इन अदालतों में आतंकवाद के खिलाफ मामलों को जल्द निपटाने की कोशिश की जा रही है.

पुलिस का कहना है कि बम विस्फोट के लिए छह किलोग्राम विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया, जिन्हें एक मोटर साइकिल पर रखा गया था.

कराची में करीब पौने दो करोड़ लोग रहते हैं और पाकिस्तान की जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी लगभग 42 फीसदी है. हाल के दिनों में यह हत्याओं और दूसरे राजनीतिक अपराधों के लिए बदनाम हो गया है. पिछले साल यहां राजनीतिक और शिया सुन्नी झड़पों में 2000 से ज्यादा लोग मारे गए, जो पिछले दो दशक में सबसे ज्यादा था.

इस बीच, उत्तर पश्चिम में एक और बम विस्फोट में सरकार समर्थक कबीलाई गुट के सरदार मलिक हाशिम खान की जान चली गई. अधिकारियों ने बताया कि बन्नू जिले के जानी खेल में हुए हमले में सरदार के अलावा उसके भाई और भतीजे की भी मौत हो गई. सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि खान ने 2007-08 में सरकार की उस कार्रवाई का समर्थन किया था, जो तालिबान के खिलाफ की गई थी.

सुरक्षा अधिकारी का कहना है, "यह एक शक्तिशाली बम धमाका था, जिसने गाड़ी को पूरी तरह बर्बाद कर दिया. मलिक हाशिम, उसके भाई और भतीजे की मौके पर ही मौत हो गई." एक दूसरे अधिकारी ने दावा किया कि शवों को पहचानना तक मुमकिन नहीं था.

दोनों ही हमलों के लिए अभी तक किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली है. लेकिन इस तरह के हमलों में आम तौर पर तालिबान का हाथ हुआ करता है. पिछले दिनों नंगा पर्वत के पास 10 पर्वतारोहियों को मार डाला गया था, जिसमें विदेशी भी शामिल थे और जिसकी जिम्मेदारी तालिबान ने ली है.

एजेए/एनआर (एएफपी, डीपीए)

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