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पाकिस्तान में शिशु हत्या के बढ़ते मामले

१८ जनवरी २०११

पाकिस्तान के शहर कराची में कूड़े के ढेर में दो नवजात शिशु मिले हैं जो दुनिया में आते ही जिंदगी की जंग हार गए. हाल के सालों में पाकिस्तान में मृत पाए गए नवजात शिशुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है.

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तस्वीर: Samir Kumar Dey

एक धर्मार्थ संगठन एधि फाउंडेशन से जुड़े मोहम्मद सलीम ने बताया, "ये बच्चे एक या दो दिन के हैं." सलीम के साथियों ने इन बच्चों को नहलाया जिसके बाद उन्हें दफनाया जाएगा. पाकिस्तान जैसे देश में शादी से पहले या शादी के बाहर बच्चों को अच्छा नहीं माना जाता और इस्लामी कायदों के मुताबिक बने कानून में व्याभिचार के लिए मौत तक की सजा का प्रावधान है. ऐसे में देश में नवजात शिशुओं की मौतों के मामले बढ़ रहे हैं.

एधि फाउंडेशन के सधे हुए अनुमान के मुताबिक पाकिस्तान में पिछले साल एक हजार से ज्यादा बच्चों को या तो मार दिया गया या उन्हें फेंक दिया गया. ये आंकड़े खास कर पाकिस्तान के बड़े शहरों में जुटाए गए हैं. इनमें ग्रामीण इलाके शामिल नहीं हैं जहां नवजात शिशुओं की मौत के काफी मामले हो सकते हैं. एधि फाउंडेशन का कहना है कि उसे दिसंबर के महीने में ही कूड़े या फिर गटर में फेंके 40 बच्चे मिले. फाउंडेशन के पास 2010 में इस तरह मारे गए 1,210 बच्चों की जानकारी मौजूद हैं. 2008 में यह संख्या 890 और 2009 में 999 थी. इन बच्चों में ज्यादातर लड़कियां होती हैं.

वे भी प्यार के काबिल हैं

कराची में एधि फाउंडेशन के मैनेजर अनवर काजमी सिर्फ एक दिन के एक बच्चे के बारे में बताते हैं जिसे जला दिया गया. वहीं एक मस्जिद की सीढियों पर मिले बच्चे को पत्थरों के जरिए मारा गया. वह बताते है कि ऐसा एक इमाम के कहने पर हुआ जो घटना के बाद फरार हो गया. जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता अब्दुल सत्तार एधी कहते हैं, "लोग ऐसे बच्चों को फेंक देते हैं क्योंकि वे सोचते हैं कि ये नाजायज हैं, लेकिन वे भी उतने ही निर्दोष और प्यार के काबिल हैं जितने दूसरे इंसान." इस तरह मारे जाने वाले बच्चों में ज्यादातर की उम्र एक हफ्ते से ज्यादा नहीं होती.

कराची शहर के बाहर एधि फाउंडेशन ने इन शिशुओं के लिए एक कब्रिस्तान बनाया है. इसमें काम करने वाले 65 वर्षीय खैर मोहम्मद कहते हैं, "सैंकड़ों बच्चों को दफनाने के बाद जब एक प्लॉट भर गया तो हमने यह जगह ली." काजमी कहते हैं कि उनके संगठन को जिन नवजात शिशुओं की लाशें मिलती हैं, उनमें हर दस में से नौ लड़कियां होती हैं. भारत की तरह पाकिस्तान में भी बहुत से लोग लड़कियों को बोझ समझते हैं.

नकारा कानून

पाकिस्तान में गर्भपात कराने पर भी पाबंदी है. केवल तभी गर्भपात की अनुमति है अगर गर्भ के कारण किसी महिला की जान को खतरा हो. जानकार कहते हैं कि अगर गर्भपात पर पाबंदी को हटा लिया जाए तो शिशुओं की बढ़ती मौतों को रोका जा सकता है. पाकिस्तानी कानून के हिसाब से बच्चा फेंकने के जुर्म में सात साल तक की सजा हो सकती है जबकि अगर कोई व्यक्ति बच्चे को गोपनीय तरीके से दफनाता पाया गया तो उसे दो साल जेल में बिताने पड़ सकते हैं. लेकिन शिशुओं की मौत को लेकर शायद ही किसी पर कानूनी कार्रवाई होती है. वकील अब्दुल रशीद कहते हैं, "बहुत सारे थाने तो शिशु को मारने के मामले में शिकायत ही दर्ज नहीं करते हैं. ऐसे मामलों में जांच तो दूर की बात है."

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ओ सिंह

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