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पाक को अमेरिकी सैन्य मदद पर नजर रखोः भारत

२५ अक्टूबर २०१०

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे में आतंकवाद के खिलाफ साझेदारी पर बात होगी. लेकिन फिलहाल भारत की चिंता यह है कि तालिबान से लड़ने के लिए पाकिस्तान को जो 2 अरब डॉलर की अमेरिकी मदद दी जा रह है, उसका दुरुपयोग न हो.

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तालिबान से लोहा लेना हैतस्वीर: AP

नवंबर में ओबामा के भारत दौरे में दोनों देशों के बीच हेडली मामले में सहयोग के अलावा आतंकवाद के खिलाफ साझेदारी पर बात होने की संभावना है. हालांकि भारत को पाकिस्तान के लिए दो अरब डॉलर की अमेरिकी मदद खल रही है. भारत को शक है कि पाकिस्तानी सेना इस मदद को उसके खिलाफ इस्तेमाल कर सकती है. भारत पहले भी इसी तरह के आरोप लगाता रहा है.

भारत सरकार चाहती है कि अमेरिकी मदद की सख्त निगरानी की जानी चाहिए और पैसों के इस्तेमाल को भी ध्यान से देखा जाना चाहिए ताकि भारत के खिलाफ गलत इसका इस्तेमाल न हो. हालांकि कुछ सूत्र इस बात से हैरान हैं कि पाकिस्तान को नौसेना के लिए भी मदद दी गई है जबकि तालिबान के पास किसी भी तरह की नौसेना होने की कोई खबर नहीं है.

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पाकिस्तान में हैं तालिबान के अहम ठिकानेतस्वीर: picture-alliance/ dpa

भारत ने कई बार अमेरिका से कहा है कि पाकिस्तान की सैन्य क्षमता का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होना चाहिए. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता पीजे क्राउली ने इस सिलसिले में शनिवार को कहा कि पाकिस्तान को मदद का यह मतलब नहीं है कि अमेरिका भारत को अनदेखा करेगा. पाकिस्तान और भारत, किसी को भी यह अहसास नहीं होना चाहिए कि अमेरिका दोनों में से एक को ज्यादा प्राथमिकता देता है. इससे पहले शुक्रवार को अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने पाकिस्तान के लिए दो अरब यूरो की सुरक्षा मदद का एलान किया था.

यह मदद खास तौर से तालिबान के खिलाफ कार्रवाई और तेज करने के लिए है. इसके अलावा पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय सैन्य प्रशिक्षण और ट्रेनिंग (आईमेट) के लिए 29 करोड़ यूरो की मदद का एलान किया गया है. हाल ही में भारत के रक्षा मंत्री एके एंटनी ने अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन से बातचीत के दौरान इस बात को लेकर चिंता जताई थी कि पाकिस्तान को अमेरिका से जो सैन्य मदद मिलती है, उसे कई बार भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी

संपादनः ए कुमार

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