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पार्किंसन के मरीज पहनेंगे गैजेट

१६ अगस्त २०१४

इंटेल कॉर्प, वियरबेल गैजेट जैसे स्मार्टवॉच के इस्तेमाल की योजना पार्किंसन के मरीजों को मॉनिटर करने के लिए बना रहा है. गैजेट्स की मदद से बीमारी से जुड़े आंकड़े जमा किये जा सकते हैं और शोधकर्ताओं से साझा किए जा सकते हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

कंप्यूटर चिप बनाने वाली कंपनी इंटेल ने कहा है कि वह माइकल जे फॉक्स फाउंडेशन से हाथ मिला रही है. 14 साल पहले इस फाउंडेशन की स्थापना अभिनेता माइकल जे फॉक्स ने की थी. वे खुद भी पार्किंसन बीमारी से जूझ रहे हैं. दोनों मिलकर इस गंभीर बीमारी पर बहुचरणीय अनुसंधान करेंगे. विश्व भर में पार्किंसन बीमारी के 50 लाख मरीज हैं. यह घातक बीमारी अल्जाइमर के बाद सबसे आम है जो दिमाग से जुड़ी है.

प्रारंभिक लक्ष्य वियरबेल डिवाइस के इस्तेमाल को प्रैक्टिकल बनाना है, ताकि मरीजों की निगरानी दूर से की जा सके और डाटा को खुली प्रणाली में जमा किया जा सके. यह डाटा शोधकर्ताओं तक आसानी से पहुंचाया जा सकेगा. शोध का अगला चरण दो महीनों में शुरू होगा, इसमें फाउंडेशन यह पता लगाएगा कि मरीज पर इलाज का क्या असर हो रहा है. शोध में शामिल होने वाले मरीजों पर वियरबेल डिवाइस से निगरानी रखी जाएगी.

फाउंडेशन की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च पार्टनरशिप) की सोहिनी चौधरी के मुताबिक, "जैसे जैसे इस तरह के उपकरण बाजार में आएंगे, हम सटीक माप जुटा पाएंगे और चिकित्सा शास्त्र के प्रभाव को निर्धारित कर पाएंगे."

सोहिनी के मुताबिक क्लीनिकल परीक्षण बहुत विविध रहे हैं, उदाहरण के लिए मरीज अपने डॉक्टर को यह सूचित करता है कि उसे कंपन कुछ मिनटों के लिए महसूस हुआ, जबकि वास्तव में यह कुछ ही सेकेंड तक चला. सोहिनी को उम्मीद है कि भविष्य में मरीज और डॉक्टर के पास सटीक डाटा होगा जो कि वियरबेल डिवाइस के जरिए "आवृत्ति और तीव्रता" बता पाएगा.

सोहिनी का कहना है कि फाउंडेशन धन इकट्ठा करने के लिए लगातार काम करता रहेगा जिससे मरीजों के लिए पहनने वाले उपकरण की लागत पूरी की जा सके. इस तरह की डिवाइस के इस्तेमाल से फाउंडेशन और अन्य शोध समूह क्लीनिकल परीक्षण के लिए मरीजों के दल का लाभ उठा सकते हैं. आज पार्किंसन के मरीज क्लीनिकल परीक्षण में इस वजह से नहीं शामिल हो सकते हैं क्योंकि वो अनुसंधान सुविधा से दूर रहते हैं.

लेकिन वियरबेल डिवाइस से काफी सुविधा है. डिवाइस के जरिए उन मरीजों को ट्रैक किया जा सकता हैं जो काम पर हैं या फिर घर पर. डिवाइस के जरिए ग्रामीण इलाकों में रहने वाले मरीज भी इस तरह के परीक्षण में शामिल हो सकते हैं.

एए/ओएसजे (रॉयटर्स)