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पूरी होने वाली है समुद्री जीवों की गिनती

२८ अगस्त २०१०

समुद्र में मछलियां में ज्यादा हैं या झींगे. जापान का समुद्री जीवन ज्यादा खूबसूरत है या अमेरिका का. समुद्री जीवों को गिनें तो उनकी संख्या कितनी होगी और इस काम में कितने बरस लगेंगे. अब इन सब सवालों के जवाब खोज लिए गए हैं.

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तस्वीर: AP

अगर हम आपसे पूछें कि किसी समुद्री जीव का नाम बताएं तो आपके दिमाग में सबसे पहले क्या आता है? मछली ना. लेकिन क्या आप जानते हैं कि समुद्री जीवों में मछलियों की संख्या तो बहुत कम है. वहां सबसे ज्यादा तो केकड़ों, झींगों, क्रेफिश यानी चिंगट और श्रिंप की प्रजातियां पाई जाती हैं. कुल प्रजातियों का 19 फीसदी. मछलियां तो बस 12 फीसदी हैं. असल में जिन समुद्री जीवों के बारे में हम ज्यादा जानते हैं वे तो समुद्री जीवन का एक छोटा सा हिस्सा हैं. इस बारे में इंसान को बहुत ज्यादा इसलिए नहीं पता था कि क्योंकि कभी समुद्री जीवों को गिना तो गया नहीं. लेकिन अब समुद्री जीवों को गिन लिया गया है. वैज्ञानिकों ने दस साल का वक्त लगाकर दुनिया के 25 प्रमुख सागरों में रहने वाले जीवों को गिन डाला है.

हम और आप तो सिर्फ अंदाजा ही लगा सकते हैं कि यह कितनी बड़ी योजना होगी. ईस्टोनिया के मरीन इंस्टिट्यूट में पढ़ाने वाले डॉ. हेन ओयावेयर इस विशाल परियोजना का हिस्सा हैं. वह बताते हैं, "यह कार्यक्रम दस साल पहले शुरू हुआ और अब अक्टूबर में खत्म होगा. इस कार्यक्रम में अस्सी देश शामिल हुए. इसमें 2,700 से ज्यादा वैज्ञानिक लगे हुए थे. इस काम पर कुल 65 करोड़ अमेरिकी डॉलर का खर्च आया."

इस विशाल प्रॉजेक्ट ने समुद्री जीवन के बारे में ऐसी ऐसी दिलचस्प जानकारियां दी हैं कि महसूस होने लगा है कि इस अद्भुत दुनिया के बारे में हम कितना कम जानते हैं. इस गणना से पता चला है कि वे समुद्री जीव, जिन्हें बहुत पंसद किया है या जिनकी चर्चा बहुत ज्यादा होती है मसलन व्हेल मछली, सी लायन, सील, सी बर्ड, कछुए और दरियाई घोड़ों की तादाद बहुत ज्यादा नहीं है. ये तो कुल समुद्री जीवों का सिर्फ एक फीसदी हैं. एक और हैरत की बात पता चली कि बहुत सारे जीव ऐसे हैं जो इधर उधर नहीं जाते हैं. वे अपने इलाकों में सीमित रहते हैं.

Flash-Galerie Krake Tintenfisch Paul Oktopus
तस्वीर: AP[M]

इस समुद्री जीवन की गणना के प्रमुख लेखक न्यूजीलैंड के मार्क कॉस्टेलो बताते हैं कि ये प्रजातियां बहुत घरेलू किस्म की हैं. ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अंटार्कटिका और साउथ अफ्रीका के वे इलाके जो अलग थलग पड़े हैं इन घरेलू प्रजातियों के सबसे पसंदीदा इलाके हैं. डॉ. ओयावेयर के पास भी बड़ी दिलचस्प जानकारियां हैं. वह कहते हैं, "आमतौर पर जितने बड़े प्राणी होते हैं उनका फैलाव उतना ही कम होता है. इस मामले में मछलियां तुलनात्मक रूप से बड़े आकार की प्राणी हैं इसलिए उनकी प्रजातियों की संख्या छोटे छोटे जीवों की तुलना में बहुत कम है. मसलन क्रम्पटन या क्रस्ट मर्लोस्क विविधता के मामले में मछलियों से कहीं ज्यादा आगे हैं."

इससे समुद्रों के बारे में भी बड़ी रोचक जानकारियां मिली हैं. जैसे न्यूजीलैंड और अंटार्कटिका में मिलने वाली प्रजातियों में आधी ऐसी हैं जो दुनिया में और कहीं नहीं मिलतीं. वैज्ञानिक मानते हैं कि समुद्री जीवों में सबसे सामाजिक प्राणी शायद वाइपरफिश है. यह दुनिया के एक चौथाई समुद्रों में पाई जाती है. आपको पता है समुद्री जीवों के लिहाज से दुनिया के सबसे बढ़िया सागर कौन से हैं? डॉ. ओयावेयर बताते हैं, "ऑस्ट्रेलिया, जापान और चीन के समुद्रों में सबसे ज्यादा विविधता पाई जाती है. इन क्षेत्रों में बीस हजार से ज्यादा प्रजातियां हैं. इसके मुकाबले बोटिक सी में सबसे कम प्रजातियां पाई जाती हैं क्योंकि दूसरों की तुलना में यह बहुत नया सागर है. इसकी उम्र एक हजार से 15 सौ साल के बीच ही है."

सवाल यह भी है कि इतनी बड़ी योजना से वाकई कोई फायदा हुआ है. मसलन, अब हम अगर मछलियों और झींगों के बारे में ज्यादा जानते हैं तो उससे हमें हासिल क्या होगा? डॉ. ओयावेयर कहते हैं, "इस प्रोग्राम के जरिए अब तक हम एक हजार से ज्यादा नई प्रजातियों के बारे में जान पाए हैं. अब हम समुद्री जीवन को ज्यादा करीब से जानते हैं. खासतौर पर उन क्षेत्रों के बारे में जिन पर पहले ज्यादा अध्ययन नहीं हुआ है. अब हम अच्छी तरह जानते हैं कि कौन सी प्रजातियां कहा रह रही हैं. अब हमें पता है कि कौन सी प्रजातियां ऐसी हैं जिन पर इंसान की मौजूदगी का ज्यादा और किस तरह का असर हो रहा है. इसका मतलब है कि अब हम भविष्य के लिए उनकी देखभाल और संरक्षण बेहतर तरीके से कर सकते हैं."

Riff Fische
तस्वीर: flickr_cc

अक्टूबर में यह गणना पूरी हो जाएगी और तब एक अनुमान के मुताबिक हमें दो लाख तीस हजार समुद्री जीवों के बारे में पता होगा. डॉ. कॉस्टेलो बताते हैं कि वैसे प्रजातियों की संख्या दस लाख से ज्यादा है और इस गणना पर दस साल मेहनत करने के बाद हम आज पहले से दस गुना ज्यादा जानते हैं. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि हम इंसान तो बस कुदरत को नुकसान पहुंचाना ही जानते हैं. अभी हाल ही में मेक्सिको की खाड़ी में तेल रिसाव का इतना बड़ा हादसा हुआ, समुद्री जीवों को इतना ज्यादा नुकसान पहुंचा. क्या यह अध्ययन इस तरह के हादसों के वक्त कोई मदद पहुंचा पाएगा? डॉ. ओयावेयर कहते हैं, "यह सेंसस हमें समुद्री जीवन की बेहतर समझ देता है कि कौन सी प्रजाति कहां रह रही है. इसके आधार पर मैनेजमेंट और संरक्षण के काम को बेहतर तरीके से किया जा सकता है. मेक्सिको की खाड़ी में हुआ तेल रिसाव का हादसा. अब हम जानते हैं कि वहां कौन सी प्रजातियां हैं और वे कितनी संवेदनशील हैं. इस सेंसस के नतीजे में हमें ऐसी वैज्ञानिक जानकारियां उपलब्ध करा रहे हैं, जो हमें आगे चलकर नीतियां बनाने में मदद कर सकते हैं."

यह एक बहुत ही कड़वी सच्चाई है कि इंसानी गतिविधियों की वजह से समुद्री जीवन को भारी नुकसान पहुंचा है. बहुत से जीव ऐसे हैं जो या तो गायब हो चुके हैं या गायब होने के कगार पर हैं. इसलिए इनके बारे में जितनी जल्दी और जितना ज्यादा हम जान पाएंगे उतना अच्छा होगा.

रिपोर्टः विवेक कुमार

संपादनः ए कुमार