"पेंसिल चबाने से बीमार पड़े बच्चे"
१७ जून २०१४चीन के एक अधिकारी की मीडिया में जमकर आलोचना हो रही है. इस अधिकारी ने कहा था कि स्कूल में सीसे वाली पेंसिल चबाने के कारण ही तीन सौ बच्चे बीमार पड़े. सरकारी मीडिया और ऑनलाइन मंच पर इस बचकाने बयान की कड़ी आलोचना की जा रही है.
चीन के हुनान प्रांत के एक गांव में बच्चों के खून में सीसे की मात्रा राष्ट्रीय मानकों से तीन गुणा ज्यादा पाई गई. चीन की समाचार एजेंसी शिंहुआ के मुताबिक स्थानीय केमिकल फैक्ट्री से होने वाला प्रदूषण इसके लिए जिम्मेदार है. शिंहुआ ने स्थानीय अधिकारियों के हवाले से लिखा कि फैक्ट्री को जांच के लिए बंद कर दिया गया है.
लेकिन डापू नगर के प्रमुख ने सरकारी चैनल सीसीटीवी को कहा, "स्कूलों में बच्चे पेंसिल का इस्तेमाल करते हैं, यह भी कारण हो सकता है कि पेंसिल चबाने की वजह सीसे की मात्रा अत्यधिक स्तर तक पहुंच गई होगी."
चीनी भाषा में जिस चिह्न का इस्तेमाल भारी धातु के लिए होता है, उसी का इस्तेमाल पेंसिल के लिए भी करते हैं. चीनी सरकारी वेबसाइट पीपुल्स डेली में संपादक की राय में अधिकारी पर जमकर निशाना साधा गया. "यह वैज्ञानिक ज्ञान है कि पेंसिल ग्रफाइट से बनती हैं." अपने संपादकीय में झांग युशनेंग ने लिखा, "क्या अधिकारी का यह बयान अज्ञानता दिखाता है या फिर लोगों की भलाई के प्रति अनादर को दर्शाता है."
यह अधिकारी चीन में इंटरनेट यूजर्स के भी निशाने पर आ गया है. एक शख्स ने ट्विटर पर लिखा, "कैसे कोई इतने कम बौद्धिक स्तर वाला अधिकारी सार्वजनिक तौर पर सामने आ सकता है." पिछले 30 वर्षों में चीन में जिस तेजी से औद्योगीकरण हुआ, उसका खामियाजा पर्यावरण को भी उठाना पड़ा है. साथ ही लोगों की सेहत पर भी इसका बुरा असर पड़ा है. हाल के शोध से पता चला है कि चीन की लगभग दो तिहाई मिट्टी प्रदूषित है. साथ ही 60 फीसदी भूमिगत जल प्रदूषित है और यह पीने लायक नहीं है. साल 2011 में चीन के झेझांग प्रांत में सीसे के कारण 172 लोग, जिनमें 53 बच्चे शामिल हैं, बीमार पड़ गए थे. तब अधिकारियों ने 74 लोगों को हिरासत में लिया था.
एए/आईबी (एएफपी)