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प्रियंका से चुनाव माहौल गरमाया

२९ अप्रैल २०१४

भारत में चुनाव का सफर आधा पार करने के बाद पहली बार कांग्रेस की तरफ लोगों का रुझान हो रहा है और इसकी वजह हैं प्रियंका गांधी. लेकिन सवाल है कि क्या प्रियंका ने सामने आने में बहुत देर कर दी.

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तस्वीर: DW/S. Waheed

गांधी नेहरू परिवार के उत्तराधिकारी के तौर पर 43 साल के राहुल गांधी को बहुत पहले प्रोजेक्ट किया जा चुका है और बहुत पहले 42 साल की प्रियंका गांधी ने साफ कर दिया है कि राजनीति में आने का उनका कोई इरादा नहीं है. लेकिन चुनाव के बीच अचानक वह अपने बयानों से सुर्खियों में आ गई हैं.

इंदिरा की झलक

शक्ल सूरत में अपनी दादी इंदिरा गांधी से मिलती जुलती प्रियंका ने बीजेपी के हिन्दूवादी नेता नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव को "दिल की लड़ाई" बताया है और बताया है कि वह आखिरकार मोदी को परास्त करने सामने आ गई हैं क्योंकि मोदी का एजेंडा "निगेटिव" है, "कांग्रेस की विचारधारा लोगों को जोड़ने की है, जबकि विपक्ष की विचारधारा उन्हें तोड़ने की है."

हिन्दू छवि की वजह से गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी पर आरोप लगते हैं कि भारत की जनता बंट रही है. मोदी पर 2002 के कुख्यात गुजरात दंगों का आरोप है. हालांकि अदालत ने उन्हें कभी दोषी नहीं पाया है. कुछ मुकदमे 12 साल बाद अभी भी चल रहे हैं.

जायदाद का जंजाल

अखबारों और टेलीविजनों में राहुल गांधी की जगह अब दो बच्चों की मां प्रियंका गांधी सुर्खी बन रही हैं. लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि प्रियंका ने यह कदम उठाने में काफी देर कर दी. इसके अलावा उनके पति रॉबर्ट वाड्रा पर जिस तरह वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे हैं, उससे भी कांग्रेस और नेहरू गांधी परिवार बैकफुट पर है. वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी खोजी रिपोर्ट में पिछले हफ्ते बताया था कि किस तरह मामूली रकम से बिजनेस शुरू करने वाले वाड्रा ने तीन चार साल में अकूत संपत्ति हासिल कर ली.

वाड्रा को आम तौर पर अलोकप्रिय शख्सियत के तौर पर देखा जाता है. हाल ही में जब वह दिल्ली में अपनी पत्नी प्रियंका गांधी के साथ वोट डाल कर निकले, तो उन्होंने गहरे गले का टीशर्ट और गुलाबी रंग की पतलून पहन रखी थी. उनके इस पोशाक पर सोशल वेबसाइटों पर खूब ठिठोली हुई. वाड्रा लगातार सभी आरोपों से इनकार करते आए हैं. दिल्ली के थिंक टैंक इंडिया फोकस के संस्थापक सुभाष अग्रवाल का कहना है, "प्रियंका से साथ उपनाम (वाड्रा) की समस्या है और उनकी अपील के साथ वाड्रा कहीं न कहीं जुड़े होते हैं."

राहुल और प्रियंका

अपनी दादी इंदिरा गांधी और पिता राजीव गांधी की हत्या बचपन में देख चुके राहुल और प्रियंका एक दूसरे के बेहद करीब माने जाते हैं. लेकिन प्रियंका जहां अपने हाव भाव से वोटरों का दिल जीतने में कामयाब रहती हैं, वहीं राहुल सत्ता को "जहर" बताते हैं और आम तौर पर शर्मीले स्वभाव के हैं. नेहरू गांधी परिवार की जीवनी लिखने वाले पत्रकार राशिद किदवई का कहना है, "प्रियंका एकदम लोगों पर प्रभाव डाल सकती हैं और अपने भाषणों में कुछ अलग तरह का पेश कर सकती हैं, जो लोगों को पसंद आता है. जबकि राहुल गांधी में यह बात नहीं."

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तस्वीर: DW/S. Waheed

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी करीब 10 साल से राहुल गांधी को सत्ता संभालने के लिए तैयार कर रही हैं. लेकिन राहुल ऐसा नहीं कर पा रहे हैं. अमेरिकी राजनयिक की 2007 में लीक हुई रिपोर्ट में उन्हें "खाली सूट" बताया गया था. सुभाष अग्रवाल का कहना है, "प्रियंका ने बीजेपी को थोड़ा हिलाया है और अब चुनाव प्रचार अचानक एकतरफा नहीं दिखने लगा है. लेकिन उन्होंने आने में बहुत देर कर दी है."

सियासत से दूर

कांग्रेस के कई नेता चाहते हैं कि प्रियंका गांधी सक्रिय राजनीति में आ जाएं लेकिन प्रियंका ने हर बार इनकार कर दिया है. इस बार भी उन्होंने कहा है कि वह सिर्फ अपनी मां और भाई के चुनाव क्षेत्रों में ही प्रचार करेंगी. कांग्रेस पार्टी के शकील अहमद का कहना है, "हमें उनके फैसले का स्वागत करना चाहिए."

लेकिन अब भी समझा जाता है कि अगर कांग्रेस में नेहरू गांधी परिवार की विरासत कोई संभाल सकता है, तो वह प्रियंका गांधी हैं, राहुल नहीं. लेकिन अंदरूनी हलकों में चर्चा है कि पति रॉबर्ट वाड्रा की वजह से उन्हें इस रोल को निभाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने हाल ही में अपने ब्लॉग में लिखा, "वाड्रा को सिर्फ कानून का डर है. वे कितने भी ऊपर क्यों न हों, कानून उनसे ऊपर है."

एजेए/एमजे (एएफपी)