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प्रेस की आजादी पर गहरा संकट

ऋतिका पाण्डेय (एएफपी)३ मई २०१६

प्रेस स्वतंत्रता पर नजर रखने वाली संस्था फ्रीडम हाउस का कहना है कि प्रेस की आजादी के मामले में 2015 में 12 सालों का सबसे निचला स्तर दर्ज हुआ है. मध्यपूर्व, मेक्सिको या हांगकांग - पूरे विश्व में हालत चिंताजनक है.

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Irak Pressefreiheit Symbolbild
तस्वीर: Getty Images/M. Fala'ah

सर्वे में शामिल किए गए कुल 199 देशों को देखने से पता चला है कि दुनिया के केवल 13 फीसदी लोग ही फ्री प्रेस वाले इलाके में रहते हैं. लोकतंत्र समर्थक समूह फ्रीडम हाउस का कहना है कि इस समस्या का बड़ा कारण "पक्षपात और ध्रुवीकरण में बढ़ोत्तरी" है. इसके अलावा पत्रकारों को डराया धमकाया जाना और उन पर हो रहे हमले स्थिति को और गंभीर बना रहे हैं.

रिपोर्ट में लिखा है, "ये समस्याएं मध्यपूर्व के देशों में सबसे गहरी हैं, जहां सरकारें और मिलिशिया पत्रकारों और मीडिया संस्थानों पर अपना पक्ष लेने का दबाव बढ़ाते रहे हैं. इससे 'हमारे साथ या हमारे खिलाफ' होने की स्थिति बनती है और जो साथ देने से इंकार करते हैं उन्हें सताया जाता है."

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इस्लामिक स्टेट और दूसरे कई उग्रवादी गुट भी लगातार मीडिया पर हमले कर रहे हैं और अपने खुद के वैकल्पिक माध्यमों के द्वारा बहुत बड़े दर्शक समूह तक पहुंचने में कामयाब हो रहे हैं.

फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट में मेक्सिको में प्रेस के उत्पीड़न, धमकी और हमले पर चिंता जताई गई है. इसके अलावा हांगकांग में उन पांच निवासियों के एकाएक गायब हो जाने पर भी सवाल उठाए गए, जो उस स्थानीय प्रकाशक से जुड़े थे जिसने चीनी नेताओं की निंदा वाली किताबें छापी थीं.

चीन को "दुनिया के सबसे पाबंदी वाले मीडिया वातावरणों में से एक" बताते हुए रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2015 में खासतौर पर यह स्थिति बद से बदतर हुई. बीजिंग ने समाचारों में कई नए विषयों को ब्लॉक करने के लिए सेंसरशिप का इस्तेमाल किया.

फ्रांस में जनवरी 2015 में व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दो पर हुए हमले से प्रेस की आजादी पर सीधे हमले की शुरुआत हुई. वहीं तुर्की, बांग्लादेश, गाम्बिया, सर्बिया, बुरुंडी और यमन जैसे देशों में पत्रकार खतरे में हैं. 62 देशों को आजाद प्रेस वाला तो वहीं 71 के प्रेस को "आंशिक रूप से आजाद" बताया गया. कुल 66 देश ऐसे रहे जहां प्रेस को बिल्कुल आजादी नहीं है. सबसे खराब प्रदर्शन उत्तर कोरिया, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, क्रीमिया, एरिट्रिया, क्यूबा, ईरान और सीरिया जैसे देशों का रहा.

प्रेस की आजादी के मामले में सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा नॉर्वे, बेल्जियम, फिनलैंड, नीदरलैंड्स और स्वीडन का. पिछले हफ्ते आई रिपोर्ट्स विदआउट बॉर्डर की एक अन्य रिपोर्ट में "प्रोपेगैंडा के नए युग में" ग्लोबल प्रेस फ्रीडम के लगातार घटते स्तर की बात उठाई गई थी.

ऋतिका पाण्डेय (एएफपी)