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फर्गुसन ने अमेरिका को बदला

गेरो श्लीस/एमजे१० अगस्त २०१५

फर्गुसन में हुए हिंसक प्रदर्शनों के एक साल बाद अमेरिका का नस्लवाद का दुःस्वप्न फिर से विश्व जनमत की आंखों के सामने है. गेरो श्लीस का कहना है कि उस समय जो कुछ हुआ उसने देश को और राष्ट्रपति को गहरे प्रभावित किया है.

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USA Ferguson
तस्वीर: Getty Images/S. Olson

एक साल से अमेरिका में नस्लवादी विवाद को एक नया नाम मिल गया है, फर्गुसन. पुलिस की हिंसा में मारे गए किशोर माइकल ब्राउन और उसके बाद अप्रत्याशित हिंसक प्रदर्शनों ने सिर्फ मिसौरी के छोटे श्रमिक शहर को ही नहीं झकझोरा, ब्लिक पूरे देश को झकझोर दिया. फर्गुसन ने अमेरिका को बदल दिया. पहले भी अश्वेत किशोर श्वेत पुलिस वालों की गोली का शिकार हुए हैं. पहले भी नस्लवादी विवाद खुले, तकलीफदेह जख्म रहे हैं, जिनका भरना नजर नहीं आ रहा.

लेकिन गृहयुद्ध जैसे झगड़ों वाली तस्वीरें, सैनिकों की तरह कार्रवाई करते पुलिसवाले और शहर पुलिस के नस्लवादी पू्र्वाग्रहों के सबूतों ने बहुत से नागरिकों को स्थायी रूप से डरा दिया. राज्यसत्ता के शब्द ने उनके लिए अचानक डरावना रूप ले लिया. पहले अमेरिकी नागरिक सुरक्षाकर्मियों और अश्वेत किशोरों के झगड़ों में सरकारी प्रतिनिधियों का पक्ष लेते थे, अब वे पुलिस में कोई भरोसा नहीं दिखाते.

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डॉयचे वेले के गेरो श्लीस

नस्लवाद और पुलिस हिंसा

उस समय से नस्लवादी विवाद और पुलिस की बर्बरता एक दूसरे से जुड़ गए हैं. एक मेल जिसने साल के दौरान क्लीवलैंड, नॉर्थ चार्ल्स्टन और बाल्टीमोर और लोगों को शिकार बनाया. इस बीच 50 में से आधे प्रांत पुलिसकर्मियों की वर्दी में कैमरा फिट करना चाहते हैं, अतिरिक्त ट्रेनिंग करवा रहे हैं या स्वतंत्र जांच आयोग बना रहे हैं, यह इस बात की उम्मीद जगाता है कि वे सबक लेने की प्रक्रिया शुरू हुई है. इस साल में फर्गुसन शहर भी बदल गया है. इस घटना के बाद हुए चुनाव में भागीदारी दोगुनी हो गई और अश्वेत पार्षदों का हिस्सा तिगुना हो गया.

इस बीच फर्गुसन में नया पुलिस प्रमुख, नया नगरप्रमुख और नया जज है. वे सब के सब एफ्रो अमेरिकी हैं और शहर के अश्वेत बहुमत से आते हैं. इसके अलावा एक और अच्छी खबर यह है कि अमेरिकी कानून मंत्रालय की एक रिपोर्ट के बाद शहर के बजट को बेहतर बनाने के लिए फाइन लेने की उकसावे वाली नीति में कमी आई है. इसके बावजूद फर्गुसन एक विभाजित शहर है. श्वेत और अश्वेत समुदायों के बीच अविश्वास गहरा गया है. पुलिस लोगों के साथ संबंध बनाने के प्रयास कर रही है लेकिन अभी भी अश्वेत बहुमत ने उसे स्वीकार नहीं किया है.

बोल से काम की ओर

फर्गुसन ने सिर्फ देश को ही नहीं बदला है बल्कि अपने पहले अश्वेत राष्ट्रपति को भी. अपने दूसरे कार्यकाल के बीच तक बराक ओबामा ने नस्लवादी विवादों में अश्वेत समुदाय का पक्ष लेने की हिचकिचाहट दिखाई. फर्गुसन के बाद वे स्पष्ट होने लगे, पक्ष लेने लगे और अक्सर अश्वेत तथा लैटिन मूल के किशोरों के साथ श्वेतों के मुकाबले अलग बर्ताव करने के लिए पुलिस और न्याय प्रणाली की आलोचना करने लगे. ड्रग अभियुक्तों को माफी और न्याय प्रणाली में सुधार की उनकी कोशिश दिखाती है कि सिर्फ घोषणा से ज्यादा कुछ करना चाहते हैं.

नस्लवादी विवाद अमेरिका के साथ उसके जन्म से ही जुड़े हैं. वह उसके डीएनए में घुसा है. इसकी गहराई में जाने के लिए देश को पहले ईमानदारी दिखानी होगी. यह अपने कार्यकाल की सर्दियों में ज्यादा मजबूत होने वाले राष्ट्रपति की सबसे बड़ी चुनौती है. शायद ओबामा पिछले महीनों की कामयाबी के बाद वह करने की हिम्मत दिखा पाएं जिनकी उनके समर्थकों को लंबे समय से प्रतीक्षा है. नस्लवादी विवाद पर अहम भाषण की. एक भाषण जो समस्या को रातों रात खत्म तो नहीं कर पाएगा, लेकिन जो अमेरिका और दुनिया को बदल सकता है.