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फिर चोटी पर मैर्केल

क्रिस्टॉफ श्ट्राक१ जनवरी २०१५

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल की तारीफ के फिर दुनिया भर में पुल बांधे जा रहे हैं. लंदन के द टाइम्स ने उन्हें 'पर्सन ऑफ द ईयर' चुना है और अमेरिकी टाइम ने उन्हें दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में शुमार किया है.

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तस्वीर: AFP/Getty Images/T. Charlier

वह अहम शख्सियत हैं. जर्मनी के सबसे प्रभावशाली नेताओं की सूची में उन्हें सबसे ऊपर रखा जाना इन दिनों आम बात है. उनकी अपनी क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक पार्टी में उन्हें चुनौती देने वाला कोई नहीं, कभी कभी वे पार्टी सम्राट जैसी लगती हैं. साथ ही अंतरराष्ट्रीय पटल पर चांसलर के तौर पर उनकी छवि में चार चांद लगते ही जा रहे हैं. लंदन के द टाइम्स अखबार का उन्हें साल की सबसे अहम शख्सियत का सम्मान देना यूरोपीय बंधनों से खुद को दूर रखने वाले ब्रिटेन की तरफ से सम्मान का प्रतीक है.

घरेलू स्तर पर, 2014 में एक बार फिर मैर्केल महागठबंधन की अग्रणी शख्सियत के तौर पर सामने आईं. वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीर और कई बार नाटकीय दिखने वाले यूक्रेन संकट के रूप में नई चुनौती मैर्केल के सामने आई. किसी पश्चिमी देश या यूरोपीय संघ के किसी देश के प्रमुख ने रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन, अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और यूक्रेन के राष्ट्रपति पेट्रो पोरोशेंको से फोन पर इतनी बार बात नहीं की जितनी मैर्केल ने की. जर्मनी के सरकारी प्रवक्ता ने कितनी ही बार इस तरह की फोन कालों का एलान किया, जो कि पहले नहीं था.

कई मौकों में फ्रांसीसी राष्ट्रपति की मौजूदगी के बावजूद जर्मन चांसलर और उनके विदेश मंत्री फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर की अहमियत कम नहीं लगी. नहीं, यूरोप समर्थक मैर्केल अपने भरोसेमंद सहयोगी को जानबूझकर अपने साथ रखती हैं. सत्ता में नौ से ज्यादा साल बिताने वाली मैर्केल औद्योगिक देशों के संगठन जी7 में सबसे सीनियर नेता हैं. और उनमें भी जिसे रूसी सोच की सबसे अच्छी समझ है.

यही वजह है कि वह यूरोपीय एकता पर जोर देती हैं. कोई नहीं जानता कि यूक्रेन संकट राजनीतिक रूप से क्या करवट लेगा. हो सकता है कि मैर्केल की 2014 की आपदा कूटनीति 6 साल पहले के आर्थिक संकट से निपटने की प्रयासों जितनी ही अहम होगी. उस समय वह आर्थिक रूप से मजबूत जर्मनी का प्रतिनिधित्व कर रही थीं, आज वह यूरोपीय एकता का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. द टाइम्स ने उन्हें यह खिताब देने के पीछे वजह बताई कि वह यूरोप की सबसे प्रभावशाली राजनेता और दुनिया की सबसे प्रभावशाली महिलाओं में से एक हैं. 2014 ने दिखाया है कि वे भविष्य में यूरोपीय संघ या संयुक्त राष्ट्र की जिम्मेदारियों के लिए भी उपयुक्त कूटनीतिज्ञ हैं.

घरेलू मोर्चे पर

नए करों से मुक्त केंद्रीय बजट, रोजगार के सफल आंकड़े, इंजन के तौर पर अर्थव्यवस्था - ये बातें भी मैर्केल की राजनीतिक काबलियत की तरफ इशारा करती हैं. यह कामयाबी हमें सीएसयू पार्टी के नेता की टिप्पणी की भी याद दिलाती है. सीएसयू के हांस पेटर फ्रीडरिष को एक साल पहले एडाथी मामले के कारण केंद्रीय खाद्य एवं कृषि मंत्री का पद छोड़ना पड़ा था. मैर्केल की आलोचना ने उन्हें अकेला खड़ा कर दिया. उन्होंने कहा था कि मैर्केल को आर्थिक और अनुदारवादी मुद्दों पर अपनी नीति में और पैनापन लाना चाहिए.

दिसंबर की शुरुआत में सीडीयू पार्टी के सम्मेलन में मैर्केल के लिए कम से कम 10 मिनट तक तालियों की गूंज रही. कुछ ही दिन बाद इसी तरह का अभिवादन उन्हें सीएसयू से भी मिला. इस तरह के संकेत मिल रहे हैं कि जर्मन राजनीति में यूनियन पार्टियां कमजोर पड़ रही है. केन्द्रीय स्तर पर नहीं लेकिन राज्यों और बड़े शहरों में. किसी समय पर पार्टी अध्यक्ष को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी. इस तरह देखा जाए तो 2015 बदलाव का साल होगा. लेकिन 2016 में पांच राज्यों में चुनावी दौड़ की शुरुआत होगी.

राज्यों में चुनावी नतीजे अंगेला मैर्केल की सीडीयू पार्टी के लिए आगे का एजेंडा तय करने की पृष्ठभूमि तैयार करेंगे. पार्टियों के सम्मेलनों में ताली बजाने वाले ये बात जानते हैं. वे मैर्केल पर दांव लगा रहे हैं. लेकिन दुनिया की सबसे प्रभावशाली महिलाओं में शुमार अंगेला मैर्केल को भी जमीनी स्तर पर अपनी पार्टी के आम सदस्यों के समर्थन की जरूरत होगी.