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फिर बनने लगे दावोस में परंपरागत स्लेज

शैरन बैर्कल/एमजे१८ मई २०१६

स्लेज बर्फ की खूबसूरती हैं और बच्चों बड़ों के लिए बर्फ पर मजे लेने का साधन. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबसे सरल और मजबूत स्लेज 19वीं सदी में स्विस शहर दावोस में बना था. वहां से वह पूरी दुनिया में फैल गया.

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तस्वीर: DW

कई सालों की कामयाबी के बाद जब उसका पेटेंट खत्म हो गया तो दुनिया में हर कहीं उसकी नकल होने लगी. खर्च कम हो, इसलिए इन्हें बनाने का काम सस्ती मजदूरी वाले देशों को सौंप दिया गया. लेकिन नाम फिर भी वही रहा, दावोस स्लेज. महंगे स्विट्जरलैंड में बढ़इयों के लिए स्लेज बनाना नुकसान का सौदा हो गया था. फिर 50 साल तक दावोस में नए स्लेज नहीं बने. लेकिन पिछली सर्दियों में कुछ एकदम नया देखने को मिला है. अब फिर से विश्व आर्थिक फोरम के लिए विख्यात दावोस में ही दावोस स्लेज बनने लगे हैं.

इसकी पहल करने वाले दावोस के बढ़ई पॉल आरडुइजर बताते हैं, "दावोस के स्लेज तो बाद में पूर्वी जर्मनी में भी बनाए जाते थे. पर ये असली दावोस का स्लेज थोड़े ही है. असली दावोस स्लेज को तो दावोस में बना होना चाहिए." पॉल आरडुइज़र का दावोस में तीन पीढ़ी से लकड़ी का काम है. जब उनसे पिछले साल स्विस पर्यटन संघ के लिए स्लेज बनाने को कहा गया तो उनके मन में इस हुनर को वापस स्विट्जरलैंड लाने का विचार आया.

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स्विट्जरलैंड का दावोसतस्वीर: DW

कारखानों में बड़े पैमाने में पर बनने वाले स्लेज पॉल आरडुइजर को बेजान लगते हैं. इसलिए उन्होंने इसके खिलाफ कुछ करने का सोचा. क्राउडफंडिग की मदद से मैटेरियल का खर्च निकाल कर उन्होंने 20 स्लेज बेचने की ठानी. वे बताते हैं, "मैंने 20 स्लेज बेचने का लक्ष्य रखा और सोचा कि अगर सौ दिनों में 20 बिक जाएं तो हमें संतोष होना चाहिए. लेकिन सौ दिन में 65 स्लेज बिके और इस बीच हमें 110 स्लेजों की सप्लाई करनी है. ये हमारी उम्मीदों से कहीं ज्यादा था."

दावोस स्लेज के नए संस्करण के लिए सारा मैटेरियल स्विट्जरलैंड से आया है. मसलन मजबूत ऐश वुड. इस हाथ के काम में सात घंटे लगते हैं. दावोस स्लेज का एक टिपीकल फीचर है बैठने के लिए लकड़ी के पांच टुकड़े होते हैं. पॉल आरडुइजर बताते हैं, "एक और फीचर है लकड़ियों को मजबूती देने के लिए लोहे की प्लेट. दावोस स्लेज बनाने वालों ने इसे मजबूती देने के लिए इसका आविष्कार किया था."

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बर्फ पर मस्तीतस्वीर: picture-alliance/dpa/F.Kästle

दावोस के विंटर स्पोर्ट म्यूजियम में स्विट्जरलैंड की कारीगरी और कौशल की परंपरा के नमूने दिखते हैं. शुरू में स्लेज का निर्माण सामान ट्रांसपोर्ट करने के लिए हुआ था. क्योंकि स्लेज बर्फ पर पहियों से बेहतर फिसलती थी. फिर धीरे धीरे विदेशी पर्यटक इसका इस्तेमाल स्पोर्ट और छुट्टियों में मजे के लिए करने लगे. 1883 में दावोस में पहली बार आधिकारिक स्लेज रेस हुई थी. दावोस टूरिज्म संघ के नुओट लीथाकहते हैं, "दावोस के लोगों को इस पर नाज है कि दावोस स्लेज को लोग दुनिया भर में जानते हैं और इसे दुनिया भर में इस्तेमाल भी किया जाता है. अब इस कारीगरी और स्थानीय परंपरा को फिर से जिंदा किया जा रहा है."

पॉल आरडुइजर के यहां सारा काम पहले की ही तरह होने लगा है. कहीं भी सस्ता सामान नहीं दिखता. स्लेज दो साइज में बनाए जाते हैं और ग्राहक चाहें तो उन्हें अपनी पसंद का भी बनवा सकते हैं. दावोस में बने इन ऑरीजिनल स्लेज की कीमत 600 यूरो से शुरू होती है. ग्राहकों को लाइफटाइम गारंटी भी दी जाती है. पॉल आरडुइजर बताते हैं, "दावोस के स्लेज को स्विस घड़ी की तरह परिवारों में पीढ़ी दर पीढ़ी सौंपा जाना चाहिए. आप अपने पोते को स्लेज दें, वह अपने बच्चे को उसे दे, और इस तरह इस परंपरा को फिर से जीवित किया जा सकेगा."

पांच दशक बाद दावोस का असली स्लेज दावोस के पहाड़ों में फिर से फिसलने लगा है. एक पुरानी परंपरा अपनी कला और कौशल के साथ फिर से जीवंत हो उठी है.