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बर्लिनाले 2013

७ फ़रवरी २०१३

बर्लिन का अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव उद्योग से जुड़े लोगों के लिए खास मौका. लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने वाला बड़ा समारोह और अंतरराष्ट्रीय पटल पर अहम फिल्म समारोह आज से शुरू हो रहा है.

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तस्वीर: Reuters

हमेशा की तरह लेकिन बेहतरीन स्तर और नए कदमों वाला. इन शब्दों के साथ 63वें बर्लिनाले को परिभाषित किया जा सकता है. इसमें बड़े प्रोडक्शन भी शामिल हैं लेकिन स्वतंत्र फिल्म बनाने वालों और इस समारोह में शामिल होने वाले प्रोड्यूसरों और निर्देशकों की बढ़ती संख्या का वादा समारोह प्रमुख डीटर कॉसलिक करते हैं. इस साल कई फिल्में महिलाओं की और महिलाओं के बारे में हैं. बर्लिनाले की परंपरा के अनुसार ही समाज और राजनीति की चुनौती दिखाती दुनिया की बेहतरीन फिल्में यहां देखने को मिलेंगी.

समारोह की सभी श्रेणियों में कुल 404 फिल्में दिखाई जा रही हैं. इस साल स्वर्ण और रजत भालू के लिए प्रतियोगिता में कुल 19 प्रोडक्शन हैं. यहां भी कई फिल्में बेचैन कर देने वाली हैं. ऐसी ही एक कहानी बोस्नियाई ऑस्कर विजेता डैनिस तानोविच की भी है जो जिंदा रहने की मजबूरियों को दिखाती है. साथ ही बोस्निया हैर्जेगोविना में रोमा परिवार की जिद को भी दिखाती है. उनकी फिल्म "एन एपिसोड इन द लाइफ ऑफ एन आयरन पिकर" शौकिया कलाकारों को लेकर बनाई गई है और साथ ही इसके कई हिस्से हैंड कैमरा से फिल्माए गए हैं.

रूस के बोरिस ख्लेबनिकोव की फिल्म दर्शकों को उत्तरी हिस्से कोला प्रायद्वीप के बारे में बताती है. वह अपनी फिल्म सिनॉप्सिस में एक ऐसे ईमानदार व्यक्ति की कहानी दिखाते हैं जो भ्रष्टाचार और लालच का शिकार नहीं होना चाहता. इस प्रक्रिया में वह अपनी सारी कीमती और नजदीकी चीजें दांव पर लगा देता है. अमेरिकी निर्देशक गस फान सांट राजनीति पर बनी थ्रिलर दिखा रहे हैं. उनकी फिल्म फ्रैकिंग के आस पास घूमती है. एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें जमीन में गहरे खुदाई कर गैस निकाली जाती है.

Deutschland Berlinale 2013 Wettbewerb Filmszene Promised Land
प्रॉमिस्ड लैंड फिल्म का दृश्यतस्वीर: Scott Green

बड़े नाम

इस बार फिल्म महोत्सव में मैट डेमन. यूड लॉ, स्टीवन सोडेरबर्ग, जुलिएट बिनोच, कैथरीन डेनोव, इजाबेल ऊपर्ट जैसे बड़े नाम अमेरिकी और फ्रांसीसी फिल्मों से हैं. इसके अलावा गहरी उत्सुकता ईरानी फिल्म पर्दे के साथ भी जुड़ी हुई है. यह फिल्म जफर पनाही और कम्बोजिया पार्तोवी ने बनाई है. एक फिल्म जो एक घर में दो कैदियों के बारे में है. इस फिल्म से पहले 2010 में पनाही पर 20 साल तक लिखने और निर्देशन पर रोक लगा दी गई थी. उन्हें सरकार के खिलाफ प्रचार करने का दोषी पाया गया था.

जर्मनी से सुनहरे या रजत भालू की दौड़ में एक ही फिल्म है और वह भी एक डॉक्यूमेंट्री. यह बर्लिनाले के 63 साल के इतिहास में पहली बार है. थोमस आर्सलान की फिल्म गोल्ड में नीना हॉस मुख्य भूमिका में हैं. महोत्सव के आखिर में ट्रॉफी किसे मिलेगी इसका चयन इस साल वोंग कार वेई के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय जूरी करेगी. एक पुरस्कार पहले से ही तय है और वह है फ्रांसीसी निर्देशक क्लोद लांसमन के नाम. उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड के तहत सुनहरा भालू मिलेगा. डीटर कॉसलिक के मुताबिक उन्होंने होलोकॉस्ट पर सबसे महत्वपूर्ण फिल्म शोआह बनाई थी. "और मुझे लगता है कि यह सही समय है सिर्फ क्लोद लांसमन को सम्मान देने का नहीं बल्कि बर्लिनाले के 63 साल में पहली बार एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म को यह पुरस्कार देने का भी." इस साल भारत से आने वाली फिल्मों में काई पो चे, मराठी फिल्म सोन्याचा अंबा भी शामिल हैं.

Berlinale Festivaldirektor Dieter Kosslick
समारोह के प्रमुख डीटर कॉसलिकतस्वीर: Berlinale

सबके लिए फिल्में

हाल के सालों में बर्लिनाले का दायरा लगातार बढ़ा है. अब इसमें बच्चों और किशोरों की फिल्में भी दिखाई जाती हैं. चूंकि लोगों की रुचि इसमें लगातार बढ़ रही है इसलिए इस महोत्सव में कई तरह की अलग अलग फिल्में दिखाई जाने लगी हैं. रेट्रोस्पेक्टिव में भी कई अलग अलग विषय शामिल किए जाते हैं. इस बार रेट्रोस्पेक्टिव 1933 के बाद अंतरराष्ट्रीय फिल्मों पर वाइमार रिपब्लिक की फिल्मों के प्रभाव को समर्पित है.

पैनोरमा में कुछ अलग ही तरह की फिल्में दिखाई जाएंगी. इसमें अमेरिकी महाद्वीप की फिल्मों के अलावा मध्यपूर्व की भी पांच फिल्में शामिल हैं. इसके अलावा काफी फिल्में समलैंगिकता के बारे में भी हैं. इस श्रेणी के प्रभारी क्रिस्टोफ टेरहेष्टे कहते हैं कि फिल्म की कला एक नया कोण ढूंढने की कोशिश कर रही है. सवालों पर औपचारिक जवाब ढूंढने की भी कि फिल्में सच्चाई को कैसे प्रतिबिंबित कर सकती हैं.

63वां अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव बर्लिन में आज से बर्लिनाले पैलेस में समारोही शो के साथ शुरू होगा. इसमें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कलाकार, जर्मनी के मशहूर लोग और जूरी अध्यक्ष वोंग कार वेई शामिल होंगे. दस दिन चलने वाले इस फिल्मोत्सव की शुरुआत में द ग्रैंडमास्टर फिल्म दिखाई जाएगी, जो प्रतियोगिता से बाहर है. दो कुंग फू मास्टर्स की यह कहानी 1936 में जापानी आक्रमण के पहले की शाम की है. अगले दिन से मामला गंभीर हो जाएगा. बर्लिन में प्रतियोगिता की शुरुआत होगी और दर्शक सिनेमा घरों पर टूट पड़ेंगे.

रिपोर्टः सिल्के बार्टलिक/आभा मोंढे

संपादनः महेश झा