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फुटबॉल के खुमार में डूबा कोलकाता

२८ अक्टूबर २०१७

कोलकाता में यूं तो दुर्गापूजा की खुमारी उतरते ही अंडर-17 विश्वकप फुटबाल का बुखार चढ़ने लगा था. लेकिन इंग्लैंड और स्पेन के बीच खेले जाने वाले फाइनल से पहले यह बुखार सिर चढ़ कर बोलने लगा.

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Indien Kalkutta Fußball Stadion Yuvabharati Krirangan (Salt lake Stadium)
तस्वीर: DW/Sirsho Bandopadhyay

पारंपरिक रूप से ब्राजील और अर्जेंटीन टीमों के समर्थक कहे जाने वाले स्थानीय फुटबाल प्रेमी सेमीफाइनल में इंग्लैंड के हाथों ब्राजील की शिकस्त से कुछ मायूस जरूर थे. बावजूद इसके लोगों के जोश में कोई कमी नहीं आई. राज्य का सबसे बड़ा त्यौहार दुर्गापूजा खत्म होने के साथ ही पूरा कोलकाता फुटबाल के रंगों में रंग गया. राज्य सरकार ने भी अपने स्तर पर जमकर इस विश्वकप का प्रचार किया.  राजधानी के सभी इलाकों में अलग-अलग रंगीन पोस्टरों में फुटबाल और कोलकाता के रिश्तों का जिक्र था ही, इस विश्वकप को लेकर आम लोगों में पैदा हुए उत्साह को लेकर भी खूब बातें हुईं.  ऐसे तमाम पोस्टर राज्य सरकार की ओर से लगवाए गए.  यही नहीं सरकार ने काफी रकम खर्च कर महानगर के पूर्वी छोर पर बने विवेकानंद युवाभारती क्रीड़ांगन या साल्टलेक स्टेडियम की सूरत ही बदल दी थी.  इस स्टेडियम को देखने पर लगता था कि यह कोलकाता नहीं बल्कि विदेशी में बना कोई स्टेडियम है.  फीफा के अधिकारी भी नई साज-सज्जा में सजे स्टेडियम को देख कर हैरान रह गए और उन्होंने इसकी खूब सराहना की.

Indien Kalkutta Fußball Stadion Yuvabharati Krirangan (Salt lake Stadium)
तस्वीर: DW/Sirsho Bandopadhyay

कोलकाता और फुटबॉल का रिश्ता बहुत पुराना है.  यहां ईस्ट बंगाल और मोहनबागान जैसी दो टीमों के मैच देखने के लिए अरसे से मैदान खचाखच भरते रहे हैं.  दशकों से इन दोनों टीमों के बीच जारी गहरी प्रतिद्वंद्विता आज तक न तो रत्ती भर कम हुई है और न ही फुटबाल प्रेमियों के जोश में कोई अंतर आया है.  इन दोनों टीमों के अलावा मोहम्मडन स्पोर्टिंग और टालीगंज अग्रगामी जैसे क्लबों के भी अनगिनत फैन हैं.  बीते कुछ साल से इंडियन साकर लीग यानी आईएसएल  के कारण स्थानीय मैदान पर नामी-गिरामी विदेशी खिलाड़ियों के आने से फुटबालप्रेमियों का उत्साह कई गुना बढ़ गया है.  पेले, माराडोना, लियोनेल मेसी और जर्मन खिलाड़ी ओलिवर कान समेत दुनिया के कई जाने-माने फुटबॉलर भी कलकत्ता का दौरा कर चुके हैं.

Fußball FIFA U 17 Weltmeisterschaft in Indien
तस्वीर: DW/A. Malhotra

फीफा की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में भारतीय फुटबॉल टीम भले अब भी सौवें रैंक के आसपास हो,  इसका स्थानीय फुटबॉल प्रेमियों पर कोई असर नहीं नजर आता.  फुटबॉल विश्वकप चाहे दुनिया के किसी भी कोने में हो रहा हो,  पूरे टूर्नामेंट के दौरान कोलकाता फुटबॉलनगरी में बदल जाता है.  महानगर के किसी मोहल्ले में जाने पर कभी ब्राजील की गलियों में होने का भ्रम होता है तो कभी अर्जेंटीना के किसी इलाके का. उस दौरान पूरा कोलकाता मानो फुटबॉल ही खाने-पहनने और जीने लगता है. कोलकाता के तमाम नामी-गिरामी मिठाई निर्माता की दुकानें उन दिनों विश्वकप में हिस्सा लेने वाली टीमों के खिलाड़ियों,  उनकी जर्सी और विश्वकप के रंग-रूप वाली मिठाइयों से सज जाती हैं. ऐसे में जब किसी फुटबॉल विश्वकप के मैच और फाइनल कोलकाता में ही खेले जा रहे हों तो फुटबाल प्रेमियों के जोश और उत्साह का अनुमान लगाना ज्यादा मुश्किल नहीं है.  इन दिनों भी मिठाई की दुकानों में ऐसा ही नजारा है.                                                                  

U-17-Fußball-Weltmeisterschaft | Indien vs. Kolumbien
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/T. Topgyal

अंडर-17 विश्वकप शुरू होने से पहले फुटबॉल प्रेमियों ने गूगल और विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं की सहायता से इसमें शिरकत करने वाली तमाम टीमों और खिलाड़ियों के नाम व तस्वीरें जुटा ली थीं.  हालत यह है कि अब ब्राजील,  इंग्लैंड,  स्पेन और माली के तमाम खिलाड़ियों के नाम यहां के बच्चे भी जान गए हैं.  तमाम स्थानीय क्लबों और मोहल्लों में इन टीमों के झंडों के साथ उनके खिलाड़ियों की तस्वीरों वाले पोस्टर-बैनर लगे हैं. विश्वकप से जुड़े पोस्टर और बैनर दुर्गापूजा के दौरान लगे बैनरों-पोस्टरों पर भारी पड़े.  इस दौरान तमाम देशों की जर्सियों की भी भारी मांग रही.  यहां होने वाले तमाम मैचों में कम से कम 25 फीसदी युवा दर्शक तो संबंधित टीमों की जर्सियों में ही मैदान में नजर आ रहे थे.

Indien Fußball Kapitän Sunil Chhetri
तस्वीर: MANAN VATSYAYANA/AFP/Getty Images

यही वजह है कि गुवाहाटी में स्टेडियम के गीला होने की वजह से जब इंग्लैंड और ब्राजील के बीच होने वाला सेमीफाइनल मैच कोलकाता शिफ्ट करने का फैसला किया गया तो फुटबॉल प्रेमियों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.  उस मैच की हालत यह थी कि टिकटों की ऑनलाइन बिक्री शुरू होने के 10 मिनट के भतर ही तमाम टिकट बिक गए और अगले दो-तीन घंटों में टिकट खरीदने वालों की प्रतीक्षा सूची एक लाख से ऊपर पहुंच गई.  इससे स्थानीय लोगों की दीवानगी का अंदाज लगाया जा सकता है.  उस मैच के दौरान मैदान के भीतर जितने लोग थे, उससे कहीं ज्यादा बाहर.

फाइनल से पहले तो यहां राज्य के विभिन्न आर्ट कालेजों के दो सौ से भी ज्यादा छात्रों ने दो दिनों तक दिन-रात मेहनत करने के बाद साल्टलेक स्टेडियम के मुख्यद्वार तक जाने वाली सड़क पर लंबी रंगोली बना दी.  स्टेडियम में भीतर घुसते ही दो पैर,  कुछ फुटबाल और कमर पर ग्लोब रखे एक प्रतिमा भी बनाई गई.

रिपोर्ट: प्रभाकर