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फुटबॉल पर चीन का विजय का सपना

९ दिसम्बर २०१५

सपना देखना कोई चीन से सीखे क्योंकि चीन सपने को साकार करना भी जानता है. अलग अलग इलाकों में आगे होने का सपना देखने वाला चीन अब फुटबॉल के मैदान को भी हथियाना चाहता है. तरकीब चीन के निवेशकों ने निकाली है.

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Hong Kong vs China Fußballspiel Fans
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/K. Cheung

चीन के अरबपति यूरोप के प्रमुख फुटबॉल क्लबों में धन लगा रहे हैं. उनकी आंखों के सामने चीन का बड़ा बाजार ही नहीं है बल्कि एक सपना भी है. चीन के खिलाड़ियों को विश्व स्तर पर खेलते देखने का सपना. चीन भविष्य में सबसे बड़ा फुटबॉल बाजार होगा, लेकिन फिलहाल वहां फुटबॉल का स्तर बहुत अच्छा नहीं है. इसे बदलने की मांग खुद राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने की है जो स्वयं बहुत बड़े फुटबॉल प्रेमी हैं. उनके तीन सपने हैं, "वर्ल्ड कप के लिए क्वॉलिफाई करना, वर्ल्ड कप का आयोजन करना और वर्ल्ड कप जीतना."

फुटबॉल की दुनिया में चीन के उदय के लिए देश के अरबपति विदेशी क्लबों को चीन के फायदे वाले फुटबॉल बाजार में घुसने दे रहे हैं लेकिन साथ ही खुद भी अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल के कारोबार में हस्तक्षेप कर रहे हैं. अक्टूबर में शी जिंनपिंग की ब्रिटेन यात्रा पर प्रमुख क्लब मैनचेस्टर सिटी का दौरा अप्रत्याशित नहीं था. इस हफ्ते चीन के इंवेस्टमेंट ग्रुप चाइना मीडिया कैपिटल और सरकार फंड सिटीक कैपिटल ने सिटी फुटबॉल ग्रुप सीएफजी में 37.7 करोड़ यूरो का निवेश किया है और क्लब का 13 प्रतिशत शेयर खरीद लिया है. सीएफजी के पास सिर्फ मैनचेस्टर सिटी ही नहीं बल्कि न्यूयॉर्क सिटी और मेलबर्न सिटी के अलावा जापानी क्लब योकोहामा एफ मारिनोस के कुछ हिस्से भी हैं.

700 अरब डॉलर का उद्योग

बदले में अबू धाबी के शेख मंसूर बिन जायद के नेतृत्व वाले सीएफजी को चीन में बड़े कारोबार में हिस्सेदारी की उम्मीद है. खेल पत्रकार यान चियांग कहते हैं, "सीएफजी चीनी बाजार में घुसना चाहता है जो उसकी वैश्विक निवेश योजना का हिस्सा है, लेकिन साथ ही यह समझौता चीनी फुटबॉल के विकास की संभावना देता है. यह संसाधनों का आदान प्रदान है." सीएफजी ने पहले भी चीन के बाजार में घुसने की कोशिश की है और इस मकसद से वह बीजिंग और शंघाई के क्लबों के साथ बात भी कर रहा था, लेकिन बात बनी नहीं. अब उसने ऐसा पार्टनर चुना है जिसके खेल उद्योग के साथ मीडिया और राजनीतिक हलकों में भी अच्छे रिश्ते हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि आकार, आयाम और संभावना के हिसाब से चीन विश्व का सबसे बड़ा फुटबॉल बाजार है. इस समय चीन के खेल उद्योग का मूल्य 22 अरब डॉलर होने का अनुमान है. सरकार की योजना है कि वह अगले दस साल में बढ़कर 700 अरब डॉलर का हो जाए. तब चीन दुनिया का सबसे बड़ा खेल बाजार होगा. अनुमान है कि उसमें फुटबॉल का हिस्सा 40 प्रतिशत होगा. सीएफजी के अध्यक्ष खलदून अल मुबारक कहते हैं, "फुटबॉल दुनिया का और चीन का सबसे लोकप्रिय खेल है. इस सहयोग के साथ विस्तार के लिए गैरप्रतिस्पर्धी प्लैटफॉर्म बना है." चीनी पार्टनर सीएमसी के प्रमुख ली रुईगांग कहते हैं कि चीन का फुटबॉल विकास के दिलचस्प और निर्णायक दौर में है. उन्होंने 2014 में चीनी फुटबॉल लीग के टेलिविजन अधिकार पांच साल के लिए 1.1 अरब यूरो में खरीदे थे.

धन की कमी नहीं

सीएमसी के अलावा दूसरे चीनी कारोबारी भी वैश्विक खेल संगठनों में पैसा लगा रहे हैं. अगस्त में प्रोपर्टी डेवलपर डालियान वांडा ने 65 कोरड़ डॉलर खर्च कर आइरनमैन ब्रांड और वर्ल्ड ट्रायथलन कॉरपोरेशन खरीदा. जनवरी में इस कंपनी ने 4.5 करोड़ यूरो में स्पेनी फुटबॉल क्लब अटलेटिको मैड्रिड का 20 प्रतिशत शेयर खरीदा था. एक महीने बाद फरवरी में डालियान वांडा ने 1 अरब यूरो में स्विट्जरलैंड की स्पोर्ट मार्केटिंग कंपनी इनफ्रंट को खरीद लिया. चीन में इस समय धन की कमी नहीं है. नवंबर में चीन एंटरटेनमेंट कंपनी रास्टर ने बार्सिलोना के क्लब आरसीडी एसपान्योल का 65 प्रतिशत शेयर खरीदा, जिस पर डेढ़ करोड़ यूरो खर्च होने का अनुमान है.

चीन के भारी निवेश का मकसद सिर्फ मुनाफा कमाना नहीं है, बल्कि अनुभव इकट्ठा करने के अलावा चीनी खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल के मंच पर स्थापित करना भी है. ली रुइगांग अपने पार्टनर सीएफजी के फुटबॉल ज्ञान, खिलाड़ियों के विकास के अनुभव और ट्रेनिंग प्रोग्राम से अत्यंत उत्साहित हैं. पिछले सालों में चीनी क्लबों ने कई नामी खिलाड़ियों को लीग में खेलने के लिए खरीदा है. चीन इस समय दुनिया की सूची में 84 में नंबर पर है, उसे अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल जगत में चोटी पर पहुंचने के लिए लंबा रास्ता तय करना है.

एमजे/आईबी (डीपीए)