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फेमीना को जर्मनी का अहम पुरस्कार

महेश झा१० नवम्बर २०१४

जर्मन शिक्षा मंत्री प्रो. योहान्ना वांका ने इस साल की ग्रीन प्रतिभा प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार दिया. विजेताओं में भारत की 24 वर्षीया जल संसाधन रिसर्चर फेमीना पंडारा वलप्पिल भी शामिल हैं.

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फेमीना पंडारा वलप्पिल (बाएं से तीसरी)तस्वीर: A. Blanke

आयोजकों के अनुसार खाद्य सुरक्षा की दिक्कतों को दूर करना और पर्यावरण की रक्षा करना फेमीना के महात्वाकांक्षी शोधकार्य की आधारशिला रही है. अपनी खास जानकारी के जरिए वे पर्यावरण और आर्थिक स्तर पर खाद्य सुरक्षा की स्थिति में बदलाव लाना चाहती हैं. ग्रीन टैलेंट प्रतियोगिता का निर्णायक मंडल वैज्ञानिक और अंतरविषयक साधनों से कृषि की जटिल समस्या को सुलझाने में फेमीना के कुशल प्रस्तावों से अत्यंत प्रभावित हुआ.

जल संसाधनों के इस्तेमाल के परंपरागत रवैये को बदलना फेमीना के शोध के केंद्र में रहा है. जल संसाधन इंजीनीयरिंग के मास्टर्स थिसिस के लिए उन्होंने पानी की स्वच्छता, खाद्य सुरक्षा और कृषि अर्थव्यवस्था की तकनीकों का इस्तेमाल किया. इंधन के बढ़ती मांग की वजह बायो इंधन बनाने के लिए कृषि सामग्री की मांग बढ़ी है. इसकी वजह से खेत का इस्तेमाल बायो इंधन बनाने के लिए होने लगा है और अनाज की उपज कम होने के कारण उसकी कीमत बढ़ी है. इसके अलावा खाद के ज्यादा इस्तेमाल से पानी का स्तर गिरा है. फेमीना के शोध में इन समस्याओं के समाधान की कोशिश है.

प्रतियोगिता के विजेताओं को शिक्षा मंत्रालय के नए भवन में पुरस्कार देते हुए वांका ने भावी अंतरराष्ट्रीय सहयोग की इस पहलकदमी के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि पिछले सालों में इस प्रतियोगिता के विजेताओं की संख्या ही नहीं बढ़ी है, बल्कि इसके प्रति आकर्षण और ग्रीन टैलेंट प्रोग्राम की अंतरराष्ट्रीय ख्याति भी बढ़ी है. टिकाऊ विकास के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, "वैश्विक टिकाऊ विकास के लक्ष्य वैज्ञानिक सहयोग और ज्ञान के आदान प्रदान के जरिए ही हासिल किए जा सकते हैं."

इस साल की ग्रीन प्रतियोगिता में 100 देशों के 800 से ज्यादा प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. 25 विशेषज्ञों के एक उच्च स्तरीय निर्णायकमंडल ने 25 युवा वैज्ञानिकों का चुनाव किया. पिछले छह साल से जर्मन शिक्षा मंत्री के संरक्षकत्व में हो रही प्रतियोगिता में भविष्य के प्रमुख वैज्ञानिकों का चुनाव किया जा रहा है. विजेताओं को जर्मनी में आयोजित होने वाले दो हफ्ते के अंतरराष्ट्रीय टिकाउ विकास सेमिनार के लिए आमंत्रित किया जाता है. इस दौरान पुरस्कार लेने के अलावा विजेता टिकाऊ विकास के क्षेत्र में जर्मनी के प्रमुख शोध संस्थानों का दौरा करते हैं और चोटी के अंतरराष्ट्रीय रिसर्चरों के मिलते हैं.