फेसबुक ने ट्रेंडिंग टॉपिक्स में मिलावट की?
११ मई २०१६फेसबुक के मालिक मार्क जकरबर्ग को अमेरिकी सीनेट की जांच का सामना करना होगा. सीनेट ने फेसबुक पर शिकंजा थोड़ा और कस दिया है और सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक से पूछा है कि समाचारों के चुनाव में जानबूझ कर कोई घालमेल तो नहीं किया है. आरोप है कि पूर्व में फेसबुक में काम करने वाले कुछ लोगों ने ऐसी खबरों के लिंक जानबूझ कर हटा दिए जिनमें रिपब्लिकन पार्टी की बात थी. इसका असर ट्रेंडिंग न्यूज फ्यूचर पर पड़ा. वहां वे खबरें नजर ही नहीं आईं.
फेसबुक ने इन आरोपों को निराधार बताया है. कंपनी के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जो इन आरोपों की पुष्टि करे. फेसबुक के वाइस प्रेसीडेंट (सर्च) टॉम स्टॉकी ने कहा है कि मेरी टीम ट्रेंडिंग टॉपिक्स का काम देखती है और ऐसे आरोपों का कोई सबूत नहीं मिला है.
सीनेट की कॉमर्स, साइंस और ट्रांसपोर्टेशन कमिटी के चेयरमैन सीनेटर जॉन ट्यून ने जकरबर्ग को पत्र लिखकर इस बारे में सवाल पूछे हैं. उन्होंने लिखा है, ‘'क्या ट्रेंडिंग टॉपिक्स में आने वाले विषय अपने आप बिना किसी भेदभाव के किसी अलगोरिदम की मदद से आते हैं? या फिर उन्हें किसी खास राजनीतिक विचार को दबाने के लिए फिल्टर किया जा सकता है?''
जकरबर्ग से 24 मई तक जवाब देने को कहा गया है. कमिटी ने फेसबुक से कहा है कि ट्रेंडिंग टॉपिक्स पर काम करने वाले अपने कर्मचारियों को कहे कि इस बारे में कमिटी के सदस्यों को बताएं. ऐसी खबरें आई थीं कि फेसबुक के कर्मचारियों ने उन खबरों को ट्रेंडिंग टॉपिक्स से बाहर कर दिया जो उनके हिसाब से कम भरोसेमंद थीं. हालांकि लोग अपनी न्यूज फीड में ऐसी खबरों के लिंक पोस्ट कर सकते थे.
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव का दौर है. वहां भी हालात भारत के चुनाव जैसे ही लगते हैं जबकि जनता के बीच अपने-अपने उम्मीदवारों को लेकर बंटवारा स्पष्ट नजर आ रहा है. ऐसे में सोशल मीडिया प्रचार में जबर्दस्त भूमिका निभा रहा है. स्टॉकी कहते हैं कि जो टीम ट्रेंडिंग टॉपिक्स का काम देखती है उसे निष्पक्षता बनाए रखने को लेकर सख्त निर्देश दिए गए हैं.
वीके/एमजे (एपी)