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फेसबुक पोस्ट के लिए भारतीय युवक गिरफ्तार

१८ मार्च २०१५

उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक स्कूली छात्र को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया. उसकी गलती यह थी कि उसने एक रसूखदार प्रांतीय मंत्री के खिलाफ फेसबुक पर सामग्री पोस्ट की थी.

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तस्वीर: Reuters

उत्तर प्रदेश के शहरी विकास मंत्री आजम खान के गृहनगर रामपुर की पुलिस के मुताबिक बरेली के स्कूली छात्र को पकड़ने के लिए उसके घर पर छापा मारा गया और उसे उसके घर से अरेस्ट कर कोतवाली थाने के लॉक अप में रखा गया. गिरफ्तारी आजम खान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली की शिकायत पर की गई. भारतीय मीडिया के अनुसार शिकायतकर्ता ने कहा, "मैंने पुलिस को सूचना दी कि इस व्यक्ति ने श्री खान के नाम पर विवादास्पद और भड़काऊ सामग्री पोस्ट की है जो झूठ है. इसने हिंदू और मुसलमान दोनों की भावनाओं को आहत किया है और खान की छवि को नुकसान पहुंचाया है."

कोतवाली प्रमुख दिनेश कुमार शर्मा ने कहा, "पोस्ट में एक समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा इस्तेमाल की गई थी और आजम खान के बारे में गलत बातें कही गई थीं." आरोपी 11वीं का छात्र है. उसके खिलाफ आईटी एक्ट की धारा 44 ए और आईपीसी की धाराओं 153 ए, 504 और 505 के तहत मामला दर्ज किया गया है. सर्किल अफसर आले हसन ने कहा, "लड़के ने फेसबुक पर कुछ टिप्पणियां पोस्ट की थी जो सांप्रदायिक तनाव भड़का सकती थीं तथा शांति और सद्बावना को नुकसान पहुंचा सकती थीं." मंगलवार को उसे अतिरिक्त चीफ ज्यूडिशल मैजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया.

कोर्ट में लड़के के परिजनों ने बताया कि उसने वह पोस्ट अपलोड नहीं की थी, बस कहीं और से शेयर की थी. कोर्ट ने लड़के को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में खान ने पुलिस कार्रवाई का बचाव किया है और कहा, "यदि आप इस तरह की भाषा लिखते हैं, तो कानून का कड़ाई से पालन किया जाता है और आपने देखा कि 24 घंटे के अंदर गिरफ्तारी कर ली गई."

भारत की पुलिस पिछले समय में सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रिय हो रही है और असली दुनिया में अपराधों को रोकने से अधिक सोशल मीडिया पर विरोध पर काबू पाने की कोशिश कर रही है. दो साल पहले अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान मुंबई पुलिस ने कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी को उनके कार्टूनों के कारण गिरफ्तार कर लिया था और उन पर देशद्रोह का आरोप थोप दिया था. अब बंबई हाईकोर्ट ने कहा है कि उनके कार्टून सरकारी मशीनरी के खिलाफ थे, वे हिंसा का आह्वान नहीं कर रहे थे. अदालत ने अभिव्यक्ति की आजादी पर जोर देते हुए कहा है कि हर नागरिक को सरकारी मशीनरी की कड़े शब्दों में आलोचना करने का अधिकार है.

एमजे/ओएसजे (पीटीआई, वार्ता)