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फेसबुक यूजर लिखेंगे 'हॉर्न ओके प्लीज'

२४ जुलाई २०१०

लोगों के अनुभवों को जमा करके उसे किताब की शक्ल में छापना कोई नई बात नहीं, लेकिन एक नए लेखक ने अपनी पहली किताब के लिए अनोखी पहल की है. उन्होंने फेसबुक पर अपनी एक कम्युनिटी के फैन्स से इस किताब के लिए लिखने को कहा है.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

कार्तिक आयंगर की यह पहल एक नए चलन की शुरुआत हो सकती है. वह कन्याकुमार से लेह लद्दाख तक 40 दिन के सफर पर निकले हैं. इस यात्रा में वह अपनी कम्युनिटी के फैन्स से मिलेंगे, उनसे बातचीत करेंगे और उनके अनुभवों को अपनी किताब में जगह देंगे. इस किताब का नाम है ‘हॉर्न ओक प्लीज'.

हाल ही में फेसबुक ने एलान किया है कि उसके यूजर्स की संख्या 50 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है. यानी दुनिया का हर 14वां इनसान फेसबुक का इस्तेमाल कर रहा है.

आयंगर बताते हैं, “हमने फेसबुक पर पहला रिएलिटी शो शुरू किया है. इसके जरिए हम भारत, खासकर नौजवान भारत का रंग रूप दिखा रहे हैं.” आयंगर की इस कम्युनिटी के 9000 फैन्स हैं. इन्हें वह होप पर्स कहते हैं.

Screenshoot Facebook Zwirbler
तस्वीर: facebook

आयंगर कहते हैं, “हमारी योजना है कि हम शहर शहर जाकर इन लोगों से मिलेंगे और उनसे शहरी भारत में बड़े होने के अनुभव जानेंगे. मेरी किताब के आखिरी दो चैप्टर इन सभी लोगों के नामों पर ही होंगे. यही लोग हैं जिन्होंने मुझे प्रेरित किया.”

इस सफर में आयंगर के साथ उनके दोस्त रोहित तिवारी भी होंगे. रोहित की भूमिका फोटोग्राफर की रहेगी. आयंगर उभरते भारत की कहानी ही नहीं, चेहरा और खूबसूरती को भी अपनी दो किताबों के जरिए पेश करना चाहते हैं. एक किताब में यात्रा के अनुभव होंगे और दूसरी में तस्वीरें. इन किताबों के जरिए वह लेह में गरीब बच्चों की मदद भी करना चाहते हैं.

इस किताब के 17 चैप्टर्स में से 10 की तो उन्होंने योजना भी बना ली है. उनका कहना है कि इस किताब में हर पेज पर पागलपन होगा और हंसी ठहाके होंगे. वह कहते हैं, “मेरी किताब में भारत की स्लमडॉग छवि नहीं होगी. मैं तो भारत की रंगीन और खूबसूरत तस्वीर को दिखाना चाहता हूं.”

दुनिया के कई हिस्सों में रह चुके आयंगर अपने सारे अनुभवों को इस किताब में समेट देना चाहते हैं. वह अपने भविष्य के सपनों को लेकर बेहद बेबाक और स्पष्ट हैं. वह कहते हैं, “मैं बहुत अमीर और मशहूर बनना चाहता हूं. मैं एक दिन अब्दुल कलाम की तरह भारत का राष्ट्रपति भी बनना चाहता हूं. मैं चाहता हूं कि इसी साल इस किताब की 10 लाख प्रतियां बिकें. हां, मैं लालची हूं और स्वार्थी भी. मैं चेतन भगत को उनकी जगह से हटाकर वहां खुद बैठना चाहता हूं.”

आयंगर की किताब अक्तूबर तक पूरी होनी है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए जमाल