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फैसले में अदालत ने क्या क्या कहा

३० सितम्बर २०१०

अयोध्या मामले में अदालत को फैसला इतना विस्तृत है कि इसे 10,000 पन्नों में लिखा गया है. तीनों जजों ने अलग अलग फैसला सुनाया है. पेश हैं इस फैसले के मुख्य बिंदु.

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तस्वीर: DW/Waheed

अयोध्या मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने जो फैसला सुनाया है वह 10 हजार पन्नों में हैं. तीनों जजों ने अलग अलग फैसला सुनाया. इस फैसले को पूरी तरह पढ़ने और समझने में अभी काफी वक्त लगेगा. लिहाजा फिलहाल विशेषज्ञ किसी तरह के विश्लेषण से बच रहे हैं. हम आपको फैसले के मुख्य बिंदू बता रहे हैं:

कोर्ट ने कहाः

- तीन हिस्सों में बांटी जाएगी विवादित जमीन.

- एक हिस्सा निर्मोही अखाड़े को जाएगा, दूसरा रामलला को और तीसरा टुकड़ा सुन्नी वक्फ बोर्ड को मिलेगा.

- मंदिर की जगह ही बनी है मस्जिद.

- 10,000 पन्नों में आया फैसला.

- तीन महीनों तक स्थिति अभी जैसी ही बनी रहेगी.

- सुन्नी वक्फ बोर्ड का दावा खारिज.

- रामलला को अपनी जगह से नहीं हटाया जाएगा.

- सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए कुमार