फैसले से मुस्लिम पक्ष नाखुश
१ अक्टूबर २०१०इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने सुन्नी वक्फ बोर्ड की याचिका को खारिज कर दिया और अयोध्या की विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटने का निर्णय दिया है. वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी का कहना है, "हम अदालत के उस फैसले का विरोध करेंगे, जिसके तहत विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटने की बात कही गई है. हाई कोर्ट के फॉर्मूले के मुताबिक वक्फ बोर्ड को एक तिहाई जमीन मिलनी है, जो हमें स्वीकार नहीं. हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे."
हालांकि उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड इस मामले पर समझौता करने के लिए तैयार है और अगर कहीं से बातचीत का प्रस्ताव आता है तो हम उस पर विचार कर सकते हैं.
उधर, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के संयोजक एसक्यूआर इलियास ने फैसले को संतुलित करने वाला कदम बताते हुए इस पर निराशा जताई है. जमीयत उलेमा ए हिन्द के अब्दुल हमीद नोमानी ने भी ऐसी ही राय रखी है. उनका कहना है कि यह फैसला किसी अदालत का निर्णय नहीं लग कर समझौते की कार्रवाई लगती है.
इलियास ने कहा, "अगर वह जमीन किसी मंदिर की है, तो क्या तर्क है कि उसका एक हिस्सा मस्जिद के लिए दिया जाए या मस्जिद की है तो मंदिर को क्यों दिया जाए. मिल्कियत के मामले में न्यायपालिका को स्पष्ट निर्णय देना चाहिए."
ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल के मंजूर आलम का कहना है कि फैसला पूरी तरह से गुमराह करने वाला और अंतर्विरोधों से भरा हुआ है. उनके मुताबिक जजों ने सबूत और तथ्यों की बजाय आस्था के आधार पर फैसला दिया. दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी का कहना है कि अभी हमारे लिए सुप्रीम कोर्ट का रास्ता खुला है.
जिलानी ने कहा कि बोर्ड के पास 90 दिन का समय है ताकि वह सुप्रीम कोर्ट में अपनी अपील दायर कर सके क्योंकि हाई कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि तीन महीने तक यथास्थिति बनाए रखी जाएगी. उन्होंने कहा, "हम जल्दबाजी में नहीं हैं. हमारे पास 90 दिन का समय है और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक के बाद हम सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे."
हैदराबाद के मजलिस इत्तेहादुल मुसलेमीन ने भी फैसले पर निराशा जताई है और कहा है कि इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी. संगठन के प्रमुख असादुद्दीन उवैशी ने कहा, "इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला निराश करने वाला है. मुसलमानों को सिर्फ एक तिहाई जमीन स्वीकार नहीं होगी. इसलिए सुप्रीम कोर्ट जाना लाजिमी है."
रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल
संपादनः एस गौड़