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बंदूक उठाने वाले हाथ अब चला रहे हैं दुकान

२५ नवम्बर २०१७

कभी नेपाल की क्रांतिकारी सेना में शामिल रहे सैकड़ों पूर्व माओवादी लड़ाके अब काठमांडू या दूसरी जगहों पर छोटी छोटी दुकान लगा कर बैठ गये हैं. खुले बाजार में उनके सामने चुनौतियों का पहाड़ खड़ा है.

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Nepal People's Liberation Army PLA
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Mathema

काठमांडू के बाहरी इलाके में प्लास्टिक डिब्बे से भरी एक छोटी सी दुकान में शेल्फ के पीछे शोमा रायमाझी बैठी हैं. हर डिब्बे में नेपाली नाम लिखा मसाला भरा है, मिर्च, हल्दी, धनिया. मसाला पीसने वाली मशीन एक कोने में चुपचाप पड़ी है और आलमारी के पीछे से प्रेशर कुकर की सीटी की आवाज आ रही है. खाना बनाने के बीच ही समय निकाल कर उनके पति 31 साल के दिनेश रायमाझी दुकान में घुसते हैं. इन दोनों का 9 साल का बेटा वहीं भात, दाल और आमलेट खाकर स्कूल जाने की तैयारी में है.

Nepal People's Liberation Army PLA
तस्वीर: Getty Images/AFP/W. Vatsayana

तीन लोगों का यह परिवार उन हजारों पूर्व माआवोदियों की फौज में शामिल थे जिसे कई साल पहले भंग कर दिया गया. उसके बाद ये लोग नेपाल में जिंदगी जीने की जद्दोजहद कर रहे हैं. इनका हथियारबंद विद्रोह 2006 में शांति समझौते के बाद खत्म हो गया. 2004 में जब नेपाल में संघर्ष अपने चरम पर था तब रायमाझी महज 12 साल की थी. वे उन हजारों युवाओं के दल में शामिल हो गयीं जो सरकारी सेना से लड़ रहे थे. उनका मकसद था नेपाल में कम्युनिस्ट शासन कायम करना. इनमें ज्यादातर युवा नेपाल के ग्रामीण इलाकों से बराबरी और समृद्धि के वादे पर लाए गये थे. पार्टी ने सैकड़ों लोगों की जबरन भर्ती की थी. इन लोगों को सेना के ठिकानों पर हमला करने और टेलिफोन के टावर या फिर पुलों को उड़ाने के काम में लगाया जाता था.

Nepal Kindersoldaten Flash-Galerie
तस्वीर: AP

10 साल पहले माओवादियों और सरकार के बीच समझौता हुआ जिसके बाद संघर्ष खत्म हो गया. इस संघर्ष में 16 हजार से ज्यादा लोगों की जान गयी. इस संघर्ष ने पहले से ही गरीब रहे इस देश की अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान पहुंचाया. आज इसे विदेशी सहायता और खाड़ी के देशों में रहने वाले लाखों आप्रवासियों के भेजे पैसे पर गुजारा करना पड़ता है. गैर सरकारी संगठन नेशनल पीस कैम्पेन के मुताबिक 1996 से 2003 के बीच के संघर्ष से नेपाल पर करीब 66.2 अरब डॉलर का बोझ पड़ा. जंग के बाद स्थिति में सुधार बहुत धीमा है. दसियों हजार से ज्यादा पूर्व लड़ाकों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करना नेपाल के लिए एक बड़ी चुनौती है.

Nepal Kindersoldaten Flash-Galerie
तस्वीर: AP

32 हजार से ज्यादा पूर्व माओवादी लड़ाके 2007 में संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में चल रही छावनियों में रखे गये. बाद में संयुक्त राष्ट्र ने देखा कि इनमें से सिर्फ 19,600 ही समाज में एकीकरण के हकदार थे. हजारों लोगों को पांच से 8 लाख नेपाली रुपये की एकमुश्त रकम दे कर छुट्टी कर दी गयी. इनसे कहा गया कि इस पैसे से कोई व्यापार कर लो.

रायमाझी उन चार हजार पूर्व लड़ाकों में हैं जिन्हें कैम्प से इसलिए निकाल दिया गया क्योंकि संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि वे बच्चे थे और उन्हें शांति समझौते के बाद भर्ती किया गया. माओवादियों की सेना में सेक्शन कमांडर और एक जांबाज सैनिक रही रायमाझी इस फैसले से काफी निराश हुईं. समाचार एजेंसी डीपीए से बातचीत में उन्होंने कहा, "मैंने 50 लड़ाकों की टुकड़ी का नेतृत्व किया." आज वो बड़ी व्यग्रता से मसाले कि दुकान में ग्राहकों का इंतजार करती हैं. ये दुकान उन्होंने अपने पिता की मदद से खोली.

यह मौसमी व्यापार है जो हिंदू त्यौहारों के दिनों में बढ़ जाता है, नेपाली अपने भोजन में इन मसालों का प्रयोग करते हैं. उनके पति माओवादियों के सांस्कृतिक गुट का हिस्सा थे अब वो ठेकेदार के रूप में काम करते हैं. इन दिनों यहां निर्माण का काम खूब हो रहा है. दो साल तक प्रवासी मजदूर के रूप में कतर में रहने के बाद वे वापस लौट आए.

Maoisten-Chef Prachanda
तस्वीर: dpa

रायमाझी जैसे सैकड़ों पूर्व माओवादियों के परिवार ने पूरे देश में मोबाइल फोन, दस्तकारी के सामान, कपड़े, प्रसाधन का सामान बेचने की छोटी छोटी दुकान खोल ली है. 36 साल की भगवती प्रधान ने जंग में अपने पति को खो दिया. अब वो दूसरों के सहयोग से सब्जियां उगाती हैं. तीन साल पहले उन्होंने पूर्व माओवादी रेखा बस्तोला के साथ मिल कर एक सब्जी फार्म बनाया. प्रधान कहती हैं, "हम काठमांडू में सब्जियों के बढ़ते बाजार पर ध्यान दे रहे हैं. हमने ज्यादा सब्जी उगाने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल किया है हालांकि हमें यह नहीं पता कि बाजार कैसे काम करता है."

इन लोगों से जो वादा किया गया था वो पूरा नहीं हुआ. हथियारबंद संघर्ष भले ही खत्म हो गया हो लेकिन जिंदगी का संघर्ष अभी जारी है, हाथों में अब बंदूक की जगह कहीं मसाले हैं तो कहीं सब्जियां.

एनआर/एमजे (डीपीए)