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बंद होगा पारे का थर्मामीटर

११ अक्टूबर २०१३

140 देशों के प्रतिनिधियों ने पारे का इस्तेमाल खत्म करने के लिए पहली बार संयुक्त राष्ट्र के एक समझौते पर दस्तखत किया है. जापान ने तो गरीब देशों को प्रदूषण से लड़ने के लिए के लिए 2 अरब डॉलर की सहायता देने की भी शपथ ली है.

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तस्वीर: Fotolia/marcel

जापान के मिनामाता शहर में ये प्रतिनिधि जमा हुए और बेहद जहरीली धातु पारे के लिए पहली बार दुनिया में कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौते पर दस्तखत हुए. मिनामाता कन्वेंशन ऑन मरकरी को यह नाम जापान के उस शहर से मिला है जहां दसियों हजार लोग इस जहरीली धातु की चपेट में आए. एक स्थानीय फैक्ट्री से निकलने वाले कचरे से प्रदूषित पानी की मछलियां और घोंघे खाने के कारण इनमें से अब तक 2000 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है.

यह समझौता तब लागू होगा जब 50 देश इसकी पुष्टि कर देंगे. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के आयोजकों को उम्मीद है कि इस काम में 3-4 साल लगेंगे. कांफ्रेंस के चेयरमैन और जापान के पर्यावरण मंत्री नोबुतेरु इशिहारा ने पत्रकारों से कहा, "पारे के खतरे को कम करने की दिशा में मानव जाति का यह पहला कदम है. हम कड़ी मेहनत करेंगे जिससे कि ज्यादा से ज्यादा देश इसकी तुरंत पुष्टि कर दें."

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जहरीला पारातस्वीर: picture-alliance/dpa

बुधवार को शुरू हुए सम्मेलन के लिए भेजे अपने वीडियो संदेश में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने गरीब विकासशील देशों को प्रदूषण की समस्या से निबटने के लिए अगले 3 सालों में 2 अरब डॉलर की सहायता देने की शपथ ली है. आबे ने कहा, "हमने पारे का नुकसान झेला है और उससे उबरे हैं, ऐसे में जापान की यह जिम्मेदारी है कि दुनिया से इसे मिटाने की कोशिशों में आगे बढ़ कर हिस्सा ले." हालांकि प्रधानमंत्री के इस बयान की मिनामाता में काफी आलोचना भी हुई. पीड़ितों में एक 55 साल के मासामा ओगाटा ने कहा, "सरकार पर इसकी जिम्मेदारी है और उसे यह नहीं कहना चाहिए कि हम इससे उबर गए हैं. हम अभी मिनामाता नाम की बीमारी से उबरने के रास्ते पर हैं."

जापान में धीमे सरकारी कामकाज और हर कीमत पर विकास का पर्याय है मिनामाता जो दूसरे विश्व युद्ध के बाद के दशकों का चरित्र रहा है. 1950 के दशक के मध्य में एक डॉक्टर ने इसकी तरफ ध्यान दिलाया. डॉक्टर के अनुसार मरीजों की रोग से लड़ने की क्षमता को नुकसान पहुंच रहा था या फिर उनके दिमाग या तंत्रिका तंत्र में समस्या उभर रही थी. इसके कुछ ही दिनों बाद औद्योगिक प्रदूषण को इसका संभावित कारण बताया गया. हालांकि फैक्ट्री से मरकरी भरे कचरे को बाहर निकलने पर रोक 1968 में लगी.

North Mara Gold Mine in Tansania
सोने के खनन में पारातस्वीर: DW/J. Hahn

समझौते में 2020 तक बहुत सी चीजों को धीरे धीरे खत्म करने की बात कही गई है. इसमें पारे वाला थर्मामीटर भी है. सरकारों को पारे का खनन रोकने के लिए 15 साल का समय दिया गया है. हालांकि पर्यावरण के लिए काम करने वाले संगठनों का कहना है कि इसमें छोटे स्तर पर सोने के खनन में और इसी तरह की कुछ दूसरी चीजों में पारे के इस्तेमाल पर रोक के बारे में नहीं सोचा गया है. विकासशील देशों में खनन के काम में लगे बाल मजदूरों की सेहत पर इसका सीधा असर होता है. इन संगठनों ने पारे से प्रदूषित व्हेल और डॉल्फिन मछलियों के मांस खाने की वजह से होने वाले खतरों की भी चेतावनी दी है. जापान और कुछ दूसरे तटीय इलाकों में रहने वाले लोग कभी कभार यह मांस खाते हैं. भोजन चक्र में शीर्ष पर मौजूद रहने के कारण डॉल्फिन और व्हेल अकसर सागर के पानी में बह रहे पारे का बड़ा हिस्सा अपनी पेट में डाल लेती हैं.

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की पिछले साल की रिपोर्ट में बताया गया कि रसायनों के बढ़ते इस्तेमाल के कारण खासतौर से विकासशील देशों में लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा है.

एनआर/एमजे (एएफपी)

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