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बच्चों के लिए ग्रैनी नैनी

१६ सितम्बर २०१०

बच्चों की देखभाल के लिए नैनी का चलन तो बहुत पुराना है. भारत में इन्हें आया कहा जाता है. जर्मनी में शुरु हे गया है ग्रैनी नैनी का चलन.

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आम तौर पर जवान लडकियां बनती हैं ओ पेयरतस्वीर: Elena Abraduschkina

नब्बे के दशक में एक कॉमेडी शो 'द नैनी' बहुत मशहूर हुआ. इसमें एक जवान सुन्दर सी लड़की तीन बच्चों की देख भाल करती है. इसी तर्ज पर पश्चिम में नैनी का चलन बेहद लोकप्रिय रहा है. कई बार तो ख़ास तौर से दूसरे देशों से भी लड़कियों को बुलाया जाता है जिन्हें ओ पेयर का नाम दिया जाता है. कई देश ओ पेयर वीजा भी देते हैं. नैनी बनने वाली इन लड़कियों की उम्र आम तौर पर 18 से 25 वर्ष के बीच होती है. ज्यादातर लडकियां इसे दूसरे देशों में जा कर वहां की संस्कृति को जानने का एक अच्छा मौका मानती हैं, तो कुछ उन देशों में पढाई भी कर पाती हैं. ब्रिटेन की राजकुमारी डायना ने भी शादी से पहले ओ पेयर के तौर पर काम किया था.

लेकिन जर्मनी में अब शुरू हो गया है ग्रैनी ओ पेयर का चलन. यानी अब सिर्फ जवान लडकियां ही नहीं बल्कि बूढ़ी महिलाएं भी यह काम कर पा रही हैं. मिशाएला हांसन पचास वर्ष की हैं और ग्रैनी ओ पेयर का ख्याल सबसे पहले उन्हीं को आया. जब उन्होंने अपने दोस्तों के सामने अपना यह विचार रखा तो किसी ने उनका यकीन ही नहीं किया. सबने यही कहा कि इस उम्र में भला ऐसे काम में किसकी दिलचस्पी होगी. लेकिन कुछ ही दिनों में हांसन को पूरी दुनिया से महिलाएं संपर्क करने लगीं.

Michaela Hansen, Organisatorin von Granny-Aupair
मिशाएला हांसन ने बदली ओ पेयर की तस्वीरतस्वीर: Granny-Aupair

"मुझे हवाई, ऑस्ट्रेलिया, मेक्सिको, स्पेन और इंग्लैंड से कई ई-मेल आए. अब मैं देख रही हूं कि मेरा यह आइडिया एक से दूसरे देश पहुंच रहा है और बहुत लोकप्रिय हो रहा है. यह सब औरतें पैंतालीस साल से ज्यादा उम्र की हैं. इन में सब से ज्यादा एक महिला 76 वर्ष की है. जितना मैंने देखा है, ज्यादातर या तो अकेली हैं, या विधवा है, या फिर तलाकशुदा हैं. इनमें से ज्यादातर महिलाओं ने अपने बच्चों को बिना किसी की मदद के खुद ही पाला है. कई टीचर, कई गवर्नेस या नर्स रह चुकी हैं. ये सब ज्यादातर रिटायर हो चुकी हैं और खुले विचारों की हैं."

इन महिलायों ने या तो इंटरनेट में ग्रैनी ओ पेयर के बारे में पढ़ा या फिर टीवी और अखबार से उन्हें इसकी जानकारी मिली. इन्ही में से एक हैं आंके ब्रांड. 62 वर्षीय आंके ओ पेयर बन कर लंदन जा रही हैं और इसे लेकर बहुत उत्साहित हैं. आंके की कम उम्र में शादी हो गई थी और फिर बच्चे भी. तलाक के बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और फिर बीस साल तक एक वृद्धाश्रम में काम किया. पर उन्होंने कभी नैनी का काम नहीं किया और ना ही कभी लंबे समय के लिए विदेश में रहीं. पर अब वो लंदन में एक दो साल की बच्ची की देखभाल करेंगी. तो औ पेयर का ख्याल उनके मन में कैसे आया:

Anke Brand, Granny-Aupair
62 वर्षीय आंके ब्रांड नैनी के तौर पर लन्दन जा रही हैंतस्वीर: privat

"मैंने रिटायर्मेंट ले ली थी, उस एक साल मैंने कुछ नहीं किया. मैं तो यह कहूंगी कि मैं एक साल के लिए सो गई थी, और फिर जब मैं नींद से जागी तो मैंने सोचा कि अब मैं क्या करूं. मैं बूढी तो नहीं हूं और मेरी सेहत भी ठीक ठाक है. बस फिर संयोग से मैंने इसके बारे में कहीं पढ़ा और हांसन को फोन कर दिया और मुझे यह बेहद दिलचस्प लगा."

आंके इस बीच एक बार लंदन जा कर उस बच्ची और उसकी मां से मिल भी आई हैं और काफी खुश हैं. जब वह वहां रहने लगेंगी तो उनके पास अपना खुद का कमरा होगा. बच्ची की देख भाल के बाद भी उनके पास इतना समय होगा कि वो एक भाषा कोर्स कर सकें. इसके लिए उन्हें पैसे भी नहीं देने पड़ेंगे.

आम तौर पर ओ पेयर लडकियां की उम्र काफी कम होती हैं. इसीलिए कई बार उन्हें समझ ही नहीं आता कि बच्चे की देखभाल कैसे करें. ऐसे में कोई ज्यादा उम्र की महिला बच्चे की देख भाल करे, तो मां बाप को भी तसल्ली रहती है. मिशाएला हांसन इस बात का भी पूरा ध्यान रख रही हैं कि इन महिलाओं को कोई दिक्कत ना हो. तो फिलहाल तो ऐसा लगता है कि ग्रैनी नैनी के इस आइडिया से सभी काफी खुश हैं.

रिपोर्ट - ईशा भाटिया

संपादन - अशोक कुमार