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बच्चों के साथ जिंदगी कितनी बेहतर

१४ जनवरी २०१४

क्या बच्चों के साथ रहने वाले लोगों का जीवन उन लोगों से ज्यादा खुशहाल होता है जो बच्चों के बिना रहते हैं.

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तस्वीर: Fotolia/GordonGrand

माना जाता है कि बच्चे खुशी का कारण होते हैं. लेकिन ताजा सर्वे कुछ और ही बताता है. बच्चों का होना जीवन को तनावपूर्ण भी बना सकता है. अमेरिका में दो बड़े सर्वे करने के बाद ये नतीजे हासिल किए गए हैं. दुनियाभर से तीस लाख लोग इनमें शामिल हुए. पहला सर्वे 2008 से 2012 के बीच हुआ और इसमें 18 लाख अमेरिकियों को शामिल किया गया, जबकि दूसरे में 161 देशों के 10 लाख 70 हजार लोग शामिल हुए. यह 2006 से 2012 के बीच हुआ.

सर्वे में हिस्सा लेने वालों से पूछा गया कि वे आदर्श जीवन के कितने करीब हैं, और एक दिन पहले उन्होंने किस तरह की भावनाएं महसूस की. संभावित प्रतिक्रियाओं में खुश, उदास, नाराज, चिंतित या थकान शामिल थे. बिना बच्चों के पति-पत्नी के मुकाबले माता पिता ने ज्यादा उतार चढ़ाव दर्ज कराए. जिन घरों में बच्चे थे, माता पिता ने उच्च स्तर की भावनात्मक प्रतिक्रिया दर्ज कराई. इनमें खुशी, तनाव, मुस्कराना और गुस्सा शामिल हैं.

लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि जो माता पिता पढ़े लिखे होते हैं, जिनकी आमदनी अच्छी होती है, जो स्वस्थ रहते हैं और किसी धर्म को मानते हैं, वे अपने जीवन से उतने ही संतुष्ट हैं जितना कि बिना बच्चों के दंपति. कुल मिलाकर दोनों अमेरिकी समूहों ने अपने जीवन को 10 में से 7 अंक दिए. घर पर बच्चों के साथ रहने वाले सभी उम्र के वयस्कों ने अपने जीवन को 6.82 अंक दिए जबकि गैर माता पिता ने 6.84 अंक दिए.

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तस्वीर: Maximilian Metzler

किसकी जिंदगी बेहतर?

कुल मिला कर बच्चों के साथ और बिना बच्चों के रहने वाले अमेरिकी लोग अपने जीवन का एक ही तरह मूल्याकंन करते हैं. लेकिन दुनिया के बाकी हिस्सों में सर्वे के नतीजे कुछ और ही कहानी बयान कर रहे हैं. ये लोग अपने जीवन में कम समृद्ध नजर आए. शोध के मुताबिक, "कुल मिलाकर हमारे नतीजे पूरी दुनिया के लिए एक जैसे ही हैं. इसमें अफ्रीका, लातिन अमेरिका, मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया शामिल हैं और हमने पाया है कि जो माता पिता बच्चों के साथ हैं, वे जीवन का मूल्यांकन कम करते हैं. प्रजनन दर जितनी ज्यादा होगी उतना ही लोग अपने जीवन का मूल्यांकन कम करेंगे." शोध कहता है कि गरीब देशों में व्यक्तिगत खुशी आवश्यकता के आगे कोई जगह नहीं ले सकती है. क्योंकि वहां खेतों में काम करने वालों की ज्यादा जरूरत है जो परिवार का हाथ बंटा सके.

सर्वे में लोगों से अपने जीवन को आकने को कहा गया. उसके बाद उन लोगों से कई सवाल किए गए जैसे कि आमदनी, घर में बच्चे हैं या नहीं. उनसे सीधा सवाल नहीं किया गया कि क्या बच्चे उन्हें खुश कर पाते हैं, या फिर बच्चे होना या ना होना उनके जीवन के विचार को प्रभावित करता है या नहीं. शोध के लेखक अंगुस डिटोन कहते हैं, "इस नतीजे से यह संदेश मिलता है कि वही करो जो करना चाहते हो, अगर आपको लगता है कि बच्चे आपको खुश कर पाएंगे, यह शायद सच है, और अगर आपको लगता है कि वे ऐसा नहीं कर पाएंगे तो यह भी शायद सच ही है.''

एए/आईबी (एएफपी)

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