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तंबाकू खाने और थूकने दोनों पर होगी सजा

१५ जनवरी २०१६

नाबालिगों को धूम्रपान, तंबाकू और गुटखे के नुकसान से बचाने के लिए भारत सरकार ने 18 साल से कम उम्र के लोगों को इन्हें बेचने को गंभीर अपराध घोषित कर दिया है. अब तक जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में शराब और नशीले पदार्थों पर रोक थी.

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तस्वीर: Colourbox/A. Armyagov

दिसंबर 2015 में भारतीय संसद में पास हुए नए जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में किसी नाबालिग को सिगरेट या तंबाकू के उत्पाद बेचने या पेश करने की सख्त मनाही है. 15 जनवरी 2016 से देश भर में लागू हुए इस कानून में ऐसा करना दण्डनीय अपराध माना जाएगा और दोषी को 7 साल तक की जेल और अधिकतम एक लाख रुपए का जुर्माना होगा. इस एक्ट में किसी गंभीर अपराध में आरोपी 16 से 18 साल के लोगों पर भी एक वयस्क की ही तरह मुकदमा चलाए जाने का प्रावधान है.

सरकार के फैसले का स्वागत तो हो रहा है लेकिन बहुत से लोगों को शंका है कि कानून पर अमल हो पाएगा. डॉयचे वेले हिन्दी के एक पाठक ने ट्विटर पर अपनी ये टिप्पणी भेजी है.

दक्षिण भारतीय शहर चेन्नई से डॉयचे वेले हिन्दी के एक पाठक जीबन रॉक ने फेसबुक पर लिखा है, "बंद करना है तो फैक्ट्री बंद करो, बेचारे दो पैसा कमाने वाले दुकान वालों के पेट पर लात नहीं मारो."

अक्टूबर में एक संसदीय पैनल ने भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय से पूछा था कि क्या सिगरेट के डिब्बों पर बड़ी बड़ी स्वास्थ्य चेतावनियां छपवाने से तंबाकू की खपत में कमी आने का कोई साक्ष्य है. इस पैनल में शामिल एक सदस्य का खुद का तंबाकू का कारोबार है. इस तथ्य के कारण कई तंबाकू नियंत्रण कार्यकर्ता पैनल में हितों के टकराव का मुद्दा उठाते रहे हैं.

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फेफड़ों के ट्यूमर का संबंध धूम्रपान से पाया गया हैतस्वीर: Imago/Science Photo Library

सरकारी आंकड़े दिखाते हैं कि भारत में तंबाकू के उपयोग के कारण हर साल करीब 900,000 लोगों की जान चली जाती है. भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तंबाकू उत्पादक देश है.

अक्टूबर 2014 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रस्ताव दिया था कि सिगरेट पैक के 85 फीसदी हिस्से में स्वास्थ्य चेतावनियां होनी चाहिए. पहले यह 20 फीसदी होता था. तंबाकू उद्योग के कड़े विरोध के कारण संसदीय पैनल ने प्रस्ताव की फिर से समीक्षा करने का निर्णय लिया था. वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय का मानना है कि तंबाकू का किसी भी रूप में सेवन हानिकारक और लत लगाने वाला है. दुनिया भर में हुई तमाम स्टडीज का हवाला देते हुए मंत्रालय ने बताया है कि तंबाकू का किसी भी मात्रा में इस्तेमाल सुरक्षित नहीं माना जा सकता.

हाल ही में महाराष्ट्र के मुंबई में सार्वजनिक जगहों पर थूकने वालों पर 1,000 से 5,000 तक का जुर्माना लगाए जाने का आदेश आया है. इस पर भी कई लोगों ने ये सवाल उठाए हैं कि क्या सिगरेट, पान जैसी समस्याएं देश के लिए इतनी बड़ी हैं.

जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में लाए गए बदलावों में बच्चों को खरीदे या बेचे जाने, भीख मंगवाने या दूसरे संगठित अपराधों में इस्तेमाल किए जाने का दोषी पाए जाने पर और सख्त सजा का प्रवधान किया गया है. खतरनाक पेशों में बच्चों का इस्तेमाल रोकने के लिए भी इस कानून के उपयोगी होने की उम्मीद की जा रही है. वहीं कुछ बाल अधिकार संगठन बलात्कार या किसी अन्य गंभीर अपराध के दोषी 16 से 18 साल के व्यक्तियों से सख्ती से पेश आने के निर्णय की आलोचना भी कर रहे हैं. हालांकि इस आयु वर्ग वालों को वयस्कों की जेल नहीं बल्कि विशेष केयर होम्स में ही सुधार के मकसद से भेजा जाएगा.

आरआर/एमजे (पीटीआई,रॉयटर्स,एएफपी)