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बजट में गांवों का खयाल

आरजे/पीटीआई२९ फ़रवरी २०१६

भारत के 2016-17 ​बजट में गांवों की ओर खासा ध्यान दिया गया है. लेकिन विपक्ष का कहना है कि बजट में कोई नई बात नहीं है.

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Indien Finanzminister Arun Jaitley
तस्वीर: picture-alliance/dpa/R. Gupta

वित्तमंत्री अरूण जेटली ने सोमवार को लोकसभा में 2016-17 का बजट पेश किया. रविवार को आकाशवाणी में प्रसारित अपने कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बजट को अपनी 'परीक्षा' का बजट बताया था. प्रधानमंत्री मोदी की 'परीक्षा' के ​इस बजट में ग्रामीण भारत का खासा ध्यान रखा गया है. इस बजट में ग्रामीण विकास के लिए 87,000 करोड़, मनरेगा के लिए 38,500 करोड़, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए 19,000 करोड़, किसानों के ऋण का बोझ कम करने के लिए 15,000 करोड़, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए 5,500 करोड़ और सरकारी बैंकों के लिए 25000 करोड़ रुपये के आबंटन का प्रावधान किया है. इसके अलावा बीपीएल परिवारों को एलपीजी कनेक्शन देने के लिए 2 हजार करोड़ की व्यवस्था है.

साथ ही जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए भी प्रावधान किए गए हैं. इसके तहत 5 लाख एकड़ जमीन में जैविक खेती की जाएगी. दालों की पैदावार बढ़ाने के लिए 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. वहीं सरकार ने दावा किया है कि 1 मई 2018 तक हर एक गांव में बिजली पहुंच जाएगी. उसके अलावा ग्रामीण इलाकों में एक नया डिजिटल साक्षरता अभियान चलाने की भी बात की गई है. वहीं 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया है.

देश भर में यातायात को सुगम बनाने के लिए सड़कों और हाइवे का जाल बिछाने के लिए 97 हजार करोड़ रुपये का इंतजा​म किया गया है. इसके तहत राष्ट्रीय राजमार्गों को 10 हजार किलोमीटर और प्रांतीय राजमार्गों को 50 हजार किलोमीटर तक बढ़ाने की योजना है.

बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने आधार कार्ड को अनिवार्य करने के लिए जल्द ही एक कानून लेकर आने की बात कही है. उन्होंने कहा ''ये विधेयक संसद के इसी चल रहे बजट सत्र में पेश किया जाएगा.'' वित्तमंत्री ने बताया कि आधार नंबर का सरकारी मदद को गरीबों तक सीधे पहुंचाने में ​इस्तेमाल किया जाएगा. उन्होंने कहा ''ये कानून एक ऐसा परिवर्तन लेकर आएगा जिससे गरीबों और जरूरतमंदों की मदद की जाएगी.'' गौरतलब है कि भारत में 'आधार' को अनिवार्य बनाने के खिलाफ आवाजें उठती रही हैं और विकसित देशों में इसे खत्म किए जाने के उदाहरण लगातार दिए जाते रहे हैं.

इस बजट में आयकर को पिछले बजट की तरह ही जस का तस रखा गया है. वहीं 5 लाख से कम आय वालों को 3000 रुपए की राहत दी गई है. छोटे उद्यमियों के लिए कारपोरेट टैक्स 29 प्रतिशत रहेगा. इसे साथ ही बीड़ी को छोड़कर अन्य तंबाकू उत्पादों पर अब 15 प्रतिशत उत्पाद टैक्स लगा दिया गया है. वहीं डीजल और महंगी गाड़ियों के दामों में बढ़ोत्तरी होगी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बजट को समयबद्ध तरीके से गरीबी के खात्मे की दिशा में महत्वपूर्ण बताया है.

वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल इस बजट की यह कहकर आलोचना कर रहे हैं कि इस बजट में कुछ भी नया नहीं है. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि इस बजट में कोई 'बड़ा आइडिया' नहीं है. उन्होंने कहा, ''प्रधानमंत्री मोदी ने खुद ही कहा है कि सरकार अगले पांच सालों में किसानों की आमदनी दो गुना करने की योजना बनाई है लेकिन मैं सोचता हूं कि ये एक असंभव सपना है. इसमें ये बिल्कुल नहीं बताया गया है कि इस सपने को कैसे पूरा किया जाएगा.''

इस बीच वित्तमंत्री के बजट भाषण के दौरान ग्रामीण भारत की ओर ज्यादा ध्यान दिए जाने से बाजार में कुछ निराशा देखने में आई और उठा पटक जारी रही. भाषण के दौरान सेंसेक्स 650 अंक तक लुढ़क गया. हालांकि कुछ देर बाद सेंसेक्स में 61 अंक की बढ़ोत्तरी देखी गई और ये चढ़कर 23,215 के स्तर पर आ गया. वहीं निफ्टी 25 अंक चढ़कर 7,055 के स्तर पर देखा गया.