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बढ़ता जा रहा है भारतीय बैंकों का डूबा कर्ज

ओएसजे/एमजे (एएफपी)२९ जून २०१६

कर्ज न चुकाने वालों की वजह से भारत के बैंकों की कमर झुकती जा रही है. कर्ज के चलते डूबी रकम में इजाफा होने के बाद रिजर्व बैंक ने एक बार फिर खतरे की घंटी बजाई है.

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तस्वीर: Reuters

भारतीय बैंकों का डूबा कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है. मंगलवार को रिजर्व बैंक ने चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसे हालात देश को कड़ी चुनौती देंगे. फेडरल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में आरबीआई ने कहा कि सितंबर 2015 तक भारतीय बैंकों की 5.1 फीसदी संपत्ति डूबी हुई थी. मार्च 2016 तक यह बढ़कर 7.1 फीसदी हो गई.

अक्टूबर में विदा होने वाले रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने फंसे या डूबे कर्ज से मुक्ति पाने पर खास ध्यान दिया है. राजन डूबे कर्ज खातों को या तो बंद करना चाहते थे या फिर पैसा डकारने वालों को डिफॉल्टर की सूची में डालना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने 2017 की समयसीमा रखी थी.

Indien Straßenverkäufer mit Geldscheine Archiv 2013
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/B. Rout

अपनी रिपोर्ट में आरबीआई ने कहा है, "भारत का वित्तीय तंत्र टिकाऊ बना हुआ है, हालांकि बैंकिंग सेक्टर अहम चुनौतियां झेल रहा है." रिजर्व बैंक ने 2015 में बैंकों से अपनी संपत्ति की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने को कहा था. उसमें चौंकाने वाली बातें सामने आईं. वित्त मंत्री अरुण जेटली भी इससे वाकिफ है. जेटली के मुताबिक सरकार डूबे कर्ज से बाहर निकलने के लिए बैंकों को 25 अरब रुपये पूंजी के तौर पर देगी. जरूरत पड़ी और रकम बैंकों को दी जाएगी.

भारत में कई नामी डिफॉल्टर हैं. देश से फरार हुए विजय माल्या का नाम सबसे ऊपर है. माल्या पर 1.34 अरब डॉलर का बकाया है.

रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय दोनों इस बात को जानते हैं कि अगर खराब कर्ज के चलते बैंकों का पूंजी प्रवाह गड़बड़ाया तो आर्थिक भूकंप आ सकता है. फिर उसे रोकना अच्छे अच्छों के बस के बाहर होगा. 2008 की विश्वव्यापी मंदी भी कुछ ऐसी ही परिस्थितियों से शुरू हुई. सस्ते कर्ज के चलते अमेरिका में खूब हाउस लोन लिया गया. और फिर धीरे धीरे कर्ज डूबता गया. डूबे कर्ज ने बैंकों को धराशायी करना शुरू किया और पूरी दुनिया मंदी की चपेट में आ गई.