1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

बढ़ रही है चावल की पैदावार

१२ मई २०१०

पिछले दशकों के दौरान उन देशों में भी चावल मुख्य खाद्य बन गया है, जहां पहले आलू और रोटी का ज़्यादा प्रचलन था. उसकी पैदावार बढ़ाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया जाता रहा है, और विश्व खाद्य संगठन के अनुसार पैदावार अब बढ़ने वाला है

https://p.dw.com/p/NL9A
तस्वीर: AP

सोमवार को संयुक्त राष्ट्र के खाद्य व कृषि संगठन एफ़एओ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वर्ष सारे विश्व में चावल के उत्पादन में चार प्रतिशत की वृद्धि होने वाली है. यह वृद्धि ख़ासकर एशिया में देखी जाएगी. वहां इस वर्ष 64 करोड़ 30 लाख टन चावल के उत्पादन की उम्मीद है, जो सन 2009 से लगभग तीन करोड़ टन अधिक है.

Steigende Preise für Reis, Geschäft in Indien
तस्वीर: AP

इसके बावजूद कुछ एशियाई देशों को चावल का आयात बढ़ाना पड़ेगा, क्योंकि बाढ़ या सूखे के कारण घरेलू उत्पादन कम हुआ है. एफ़एओ के अनुसार बांग्लादेश, इराक, नेपाल, श्रीलंका और फ़िलिपीन इस वर्ष अधिक चावल ख़रीदने वाले हैं. यूरोप व लातिन अमेरिका के देश भी अपना आयात बढ़ाएंगे, जबकि अफ़्रीकी देशों के आयात में मामूली सी कमी आएगी.

पाकिस्तान द्वारा चावल के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि होने वाली है. इसके अलावा सारे विश्व में बढ़ती मांग को पूरा करने में चीन, म्यांमार, थाईलैंड और अमेरिका की ओर से निर्यात बढ़ाया जाएगा. पिछले कई दशकों से थाइलैंड चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश बना हुआ है.

Lebensmittel Krise Verteilung von Reis in Bangladesch
तस्वीर: AP

एफ़एओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि सन 2010 में सारे विश्व में चावल की खपत में 2.1 प्रतिशत की वृद्धि होगी, और वह 45 करोड़ 40 लाख टन तक पहुंच जाएगी. साथ ही कहा गया है कि जनवरी के महीने से चावल की कीमत गिरती जा रही है.

सन 2009 में चावल का उत्पादन 68 करोड़ टन के बराबर रहा, जो सन 2008 की तुलना में एक प्रतिशत कम था. एशियाई देशों में अनियमित वर्षा और एल निनो के प्रभाव को इसका कारण बताया गया है. अफ़्रीका में भी उत्पादन औसत से कम था, जबकि लातिन अमेरिका, कैरिबियन क्षेत्र, यूरोप व उत्तरी अमेरिका में उत्पादन में वृद्धि दर्ज की गई थी.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: महेश झा