बहुलता की झांकी
९ जुलाई २०१०फ़्रैंकफ़र्ट नगर में 170 से अधिक देशों के लोग रहते हैं, और इस बीच शहर की 40 फ़ीसदी आबादी की आप्रवासी पृष्ठभूमि है. कोई अचरज नहीं कि यहां विभिन्न संस्कृतियों के बीच आपस में हेलमेल देखा जा सकता है, लेकिन एकसाथ नहीं. इन सबको एकसाथ मंच पर पेश करने के लिए सातवीं बार संस्कृतियों का परेड के नाम से एक आयोजन किया जा रहा है, जिसमें ख़ासकर नौजवान लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. इस वर्ष के परेड का नारा है फ़्रैंकफ़र्ट - बहुलता का नगर. संस्कृतियों के परेड के संरक्षकों में से एक, डा. नर्गेस एस्कंदरी ग्रुएनबैर्ग का कहना है कि बहुलता के बिना आधुनिक शहरी जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती. फ़्रैंकफ़र्ट में ऐसी बहुलता है, और डा. नर्गेस एस्कंदरी की राय में इसे पेश करना फ़्रैंकफ़र्ट के सभी नागरिकों के लिए एक चुनौती है.
इस आयोजन को सफल बनाने की ज़िम्मेदारी भी नौजवानों के कंधों पर है. फ़्रैंकफ़र्ट युथ रिंग, या जर्मन आद्यक्षरों के अनुसार एफ़जेआर ने इसका बीड़ा उठाया है. इस रिंग में शहर के 29 युवा संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल हैं. इसके अलावा गिरजों, ट्रेड युनियनों और आप्रवासियों के संगठनों की ओर से उनकी मदद की जा रही है.
बेशक संस्कृतियों के परेड में विभिन्न संस्कृतियों की झांकियां निकाली जाएंगी, उनकी ख़ासियत को पेश करने वाले कार्यक्रम होंगे. साथ ही संस्कृतियों की समरसता के लिए चुनौतियों पर विचार करने की ख़ातिर संगोष्ठियों का आयोजन किया गया है, नस्लवाद, यहूदी विरोध और भेदभाव के ख़िलाफ़ कार्यक्रम होने वाले हैं. सामाजिक समस्याओं को भी इस बहुसांस्कृतिक मेले के केंद्र में स्थान दिया गया है - बच्चों और नौजवानों की ग़रीबी के ख़िलाफ़ एक हफ़्ते का एक विशेष अभियान छेड़ा गया है.
जर्मनी में सांस्कृतिक बहुलता की चर्चा हो, और बॉलीवूड वहां न रहे, यह कैसे हो सकता है. संस्कृतियों के इस परेड में बॉलीवूड को समर्पित कई कार्यक्रम हैं, और डिस्को पागल नौजवानों के लिए एक कार्यक्रम ख़ास मायने रखता है. डांस टीचर शिबानी देशमुख अपना कार्यक्रम पेश करने के साथ-साथ उत्सुक नौजवानों को बॉलीवूड डांस के टिप्स भी देने वाली हैं.
रिपोर्ट: उज्ज्वल भट्टाचार्य
संपादन: अशोक कुमार