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बाघों को बचाने की एक और कोशिश

१७ सितम्बर २०१४

दुनिया भर में बाघों की घटती संख्या से निपटने के लिए बाघों की आबादी वाले 13 देश उनकी वैश्विक गिनती के लिए सहमत हुए हैं. गिनती का मकसद बाघों की संख्या जानना और उनकी रक्षा के लिए बेहतर नीतियां बनाना है.

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तस्वीर: picture-alliance/AP

एक सदी पहले बाघों की संख्या एक लाख के करीब थी, 2010 में इनकी संख्या बस 3200 के पास रह गई. प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ ने बाघों को गंभीर रूप से लुप्तप्राय जानवरों की सूची में डाल रखा है. बाघों की घटती संख्या के लिए शिकार, जंगलों में इंसानी दखल और गैरकानूनी वन्यजीव व्यापार जिम्मेदार ठहराए जाते हैं.

जानकारों का कहना है कि ऐसा समझा जाता है कि बाघों की आबादी पिछले चार सालों से स्थिर है लेकिन सटीक संख्या की कमी प्रभावी नीतियों के लिए बाधा बनी हुई है. बांग्लादेश की राजधानी ढाका में बाघों को बचाने के लिए तीन दिवसीय वैश्विक सम्मेलन का आयोजन हुआ जिसमें 140 प्रतिनिधियों ने बाघों को बचाने के लिए कार्रवाई पर विचार विमर्श किया. वॉशिंगटन की एक संरक्षण संस्था के जॉन जाइडेनस्टिकर के मुताबिक, "हमें वास्तव में बाघों की संख्या पर विज्ञान आधारित डाटा की जरूरत हैं." अगले दो सालों में गिनती पूरी हो जाएगी और अटकलबाजी पर आधारित संख्या को इससे बदल दिया जाएगा.

अवैध शिकार सबसे बड़ी समस्या

साल 2010 में बाघों की आबादी वाले 13 देश बांग्लादेश, भूटान, चीन, कंबोडिया, भारत, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, रूस, थाइलैंड और विएतनाम ने एक योजना की शुरूआत की जिसके तहत बाघों की आबादी दोगुनी की जा सके. अधिकारियों ने ढाका के इस सम्मेलन में बताया कि प्रमुख टाइगर रेंज देश जैसे भारत, नेपाल और रूस में बाघों की संख्या बढ़ी है. लेकिन अवैध शिकार अब भी बड़ी समस्या बना हुआ है. तस्करी के कारोबार पर नजर रखने वाली संस्था ट्रैफिक के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2000 से अप्रैल 2014 तक 1590 बाघ जब्त किए गए.

वन्य जीवों के लिए काम करने वाली संस्था डब्ल्यूडब्ल्यूएफ से जुड़े माइक बाल्टजर कहते हैं, "अवैध शिकार अब भी बाघों के लिए सबसे बड़ा खतरा है. सभी टाइगर रेंजों में यह सब हो रहा है. लेकिन सरकार द्वारा शिकार रोकने के लिए मजबूत प्रतिबद्धता को हम अब तक नहीं देख पा रहे हैं."

सुंदरबन के मैनग्रोव जंगलों के पास कोयला द्वारा संचालित बिजली संयंत्र लगाने पर बांग्लादेश की कड़ी आलोचना हो चुकी है. सुंदरबन के जंगलों में बड़ी संख्या में बाघ रहते हैं. जानकारों का कहना है कि 1320 मेगावॉट बिजली प्लांट के कारण दुनिया के सबसे बड़े मैनग्रोव के जंगल का पानी दूषित हो जाएगा, जिससे नाजुक जैव विविधता खतरे में पड़ेगी और यह बाघों की आबादी के लिए जोखिम भरा होगा. यह बिजली संयंत्र जंगल से 14 किलोमीटर की दूरी पर बनाया जा रहा है.

एए/आईबी (एएफपी)