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बीजेपी ने सोरेन सरकार से समर्थन खींचा

२४ मई २०१०

झारखंड में सत्ता साझेदारी समझौते पर जेएमएम की वादाखिलाफी से निराश बीजेपी ने शिबू सोरेन सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता रघुवर दास ने समर्थन वापसी का पत्र राज्यपाल को सौंप दिया है.

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गुरुजी के नए दाव का इंतजारतस्वीर: AP

राजभवन के बाहर दास ने कहा, "मैंने सरकार से समर्थन वापसी का पत्र राज्यपाल को सौंप दिया है. जब राज्यपाल ने मुझसे विधायकों के हस्ताक्षर के बारे में पूछा तो मैंने कह दिया कि वे कल तक उन्हें सौंप दिए जाएंगे." राज्यपाल एमओएच फारूख ने कहा है कि वह मामले का "अध्ययन" करेंगे.

इससे पहले रविवार को बीजेपी के प्रवक्ता संजय सेठ ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाली शिबू सोरेन सरकार से समर्थन वापस लेने के फैसले की जानकारी दी. दरअसल बीजेपी और जेएमएम के बीच सत्ता की साझेदारी के लिए हुई सहमति के बावजूद शिबू सोरेन मुख्यमंत्री पद छोड़ने को तैयार नहीं हैं. 

संसद में कटौती प्रस्ताव पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने यूपीए सरकार का समर्थन किया था. इस क़दम से बीजेपी का नाराज होना स्वाभाविक था. इसीलिए बीजेपी संसदीय दल ने 28 अप्रैल को बैठक कर जेएमएम से समर्थन वापसी का फैसला लिया था. लेकिन राजनीतिक मान मनव्वल के बाद स्थिति संभलती दिखाई दी. शिबू सोरेन के बेटे हेमंत सोरेन के साथ बीजेपी की बातचीत के बाद इस निर्णय को टाल दिया गया. हेमंत सोरेन ने बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी को एक खत लिखकर बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन देने का वादा किया.

लेकिन कुछ ही समय बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा ने फिर पलटी मारी और सत्ता के बंटवारे के लिए नए समझौते की मांग की जिसमें हर पार्टी को 28 महीने के लिए बारी बारी से सरकार बनाने का अवसर मिले. बीजेपी नए प्रस्ताव पर यह सोचकर सहमत हो गई थी कि इसके तहत शिबू सोरेन 25 मई को मुख्यमंत्री पद से हट जाएंगे और फिर अर्जुन मुंडा नई गठबंधन सरकार का नेतृत्व करते.

लेकिन बीजेपी के सपनों को तब झटका लगा, जब शिबू सोरेन ने बयान दिया कि वह झारखंड के मुख्यमंत्री हैं और कांग्रेस से भी उनकी बातचीत चल रही है. इससे तिलमिलाई बीजेपी ने जेएमएम से समर्थन वापसी का फिर फैसला लिया है और राज्य एक बार राजनीतिक संकट की ओर जाता दिखाई दे रहा है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ ए कुमार/एस गौड़

संपादनः उज्ज्वल भट्टाचार्य