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बीमारी की चपेट में झींगा बाजार

२ सितम्बर २०१३

चीन और दक्षिण पूर्व एशिया में बीमारी की वजह से झींगों के कारोबार पर जबरदस्त मार पड़ी है. इसका असर यूरोप और अमेरिका के बाजारों में दिख रहा है, जहां झींगों की कीमत कई गुना बढ़ गई है.

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तस्वीर: AP

दक्षिण पूर्व एशिया के झींगा बाजार के बारे में एक दशक से ज्यादा का तजुर्बा रखने वाले रिडली एक्वाफीड के सलाहकार मैथ्यू ब्रिग्स का कहना है, "यह स्थिति कम से कम एक दो साल तक रहेगी, ज्यादा भी रह सकती है."

झींगों पर अर्ली मोर्टालिटी सिंड्रोम (ईएमएस) का खतरा मंडरा रहा है. पहली बार इसका पता 2009 में चला था, जब चीन का झींगा उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ. यह बाद में मलेशिया, वियतनाम और थाइलैंड जैसे देशों में फैल गया. दुनिया भर में झींगे की खपत का 70 फीसदी हिस्सा इन्हीं चार देशों से आता है. थाइलैंड दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है, जहां पिछले साल यह बीमारी सामने आई.

अचानक आई बर्बादी

पूर्वी थाइलैंड के चंताबुरी प्रांत में सूरीरथ फार्म चलाने वाले प्रयून होनग्रात का कहना है, "पिछले साल अगस्त में मेरा फार्म प्रभावित हुआ और हमारा 80 फीसदी स्टॉक बेकार हो गया." उनका कहना है कि झींगों को पालने के लिए पानी बाहर से लाना पड़ता है और बर्बादी की शायद यही वजह थी. उनके फार्म में पर्यावरण के अनुकूल झींगों को पाला जाता है.

ईएमएस के बारे में वैज्ञानिकों को अब भी ज्यादा पता नहीं है. पिछले दो तीन दशकों में झींगों में एक दूसरी तरह की बीमारी का पता चला था. बैंकॉक की खाद्य और कृषि संस्था एफएओ मुख्यालय में वरिष्ठ मत्स्य अधिकारी सीमोन फुंगा-स्मिथ का कहना है, "यह अलग है. पहले की बीमारियां एक वाइरस से हो रही थीं. लेकिन ईएमएस ऐसे वाइरस से हो रहा है, जो झींगों के बैक्टीरिया को संक्रमित कर रहा है. इससे जहरीला पदार्थ बन रहा है और उनकी जान जा रही है." उनका कहना है कि फिलहाल लेबोरेट्री में इतना ही पता चला है और यह पहला कदम भर है.

Shrimps Krabben Garnelen
बढ़ रहा है बाजारतस्वीर: Getty Images

हम लालची हो गए

पिछले लगभग 10 साल में एशिया में झींगों का कारोबार तेजी से बढ़ा है. इस दौरान उन्हें पालने वाली जगहों की स्थिति में बहुत बदलाव नहीं हुआ है. थाई फ्रोजन फूड एसोसिएशन के अध्यक्ष पोज अरामवत्तानोंत का कहना है, "यह बीमारी भगवान के तरफ से आई है क्योंकि हम बहुत लालची बन गए."

पिछले साल थाइलैंड में 4,85,000 टन झींगों का उत्पादन हुआ, जिनमें से 80 फीसदी निर्यात कर दिए गए. आशंका है कि इस साल उत्पादन सिर्फ 2,70,000 टन ही होगा. इसकी एक वजह ईएमएस है और दूसरी यह कि ईएमएस की वजह से कई लोग झींगों के कारोबार से डर रहे हैं. अरामवत्तानोंत का कहना है, "भविष्य में थाइलैंड सहित सभी देशों को तय करना होगा कि उन्हें कितना उत्पादन करना है, ताकि वे इसका सही रख रखाव कर पाएं."

चीन में करीब 15 लाख टन झींगों का उत्पादन होता था, जिनमें दो लाख टन निर्यात किया जाता था. ईएमएस के फैलने के बाद चीन में उत्पादन घटा है और घरेलू मांग को पूरा करने के लिए उसे इक्वाडोर और भारत से झींगों का आयात करना पड़ रहा है. इसी तरह वियतनाम को भी झींगे आयात करने पड़ रहे हैं.

एजेए/एएम (डीपीए)

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