1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

बेरोजगारी को ठेंगा दिखाता ऑस्ट्रिया

२७ जून २०१३

यूरोपीय संघ के देशों में जहां बेरोजगारी पर हाहाकार मचा है वहीं ऑस्ट्रिया बड़ी कुशलता से इस स्थिति का सामना कर रहा है. यहां का रोजगार मॉडल पूरे यूरोप के लिए इस वक्त नजीर बन गया है.

https://p.dw.com/p/18wzr
तस्वीर: Picture-Factory/Fotolia

17 साल के सेबास्टियन लिड्ल अगले छह महीने में ऑस्ट्रियाई स्टील कंपनी वोएस्टआल्पाइन में कुशल कामगार होंगे जहां उनकी हर महीने तनख्वाह 2000 यूरो यानी करीब डेढ़ लाख रुपए होगी. ग्रीस, स्पेन, पुर्तगाल जैसे देशों में रह रहे अपनी उम्र के लोगों से उलट लिड्ल को कभी बेरोजगारी का डर नहीं रहा. फिलहाल वह वोएस्ट के एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं. वह 15 साल की उम्र से ही इस स्टील कंपनी के दफ्तर में काम कर रहे हैं. शुरूआत में उन्हें 530 यूरो हर महीने मिलते थे. 

ऑस्ट्रिया में कर्मचारी और नौकरी देनेवालों के बीच सहयोग की पुरानी परंपरा का फायदा लिड्ल को भी मिल रहा है. यह देश जानता है कि बड़ी संख्या में बेरोजगारी किस तरह तानाशाही को बढ़ावा देती है, इसलिए लोगों को नौकरी देने और उन्हें वहां बनाए रखने को काफी महत्व दिया जाता है. ऑस्ट्रिया के पूर्व चांसलर ब्रूनो क्राइस्की ने कहा था, "कुछ अरब का कर्ज मुझे उतनी रातों को नहीं जगाता जितनी कि कुछ हजार लोगों की बेरोजगारी जगाती है." ऑस्ट्रिया की इस परंपरा में ज्यादा बदलाव नहीं आया है.

Junge Frauen beim gemeinsamen Lernen
तस्वीर: Fotolia

यूरोपीय संघ के नेता जब इस हफ्ते इलाके में बेरोजगारी दूर करने के उपायों पर चर्चा के लिए मिलेंगे तो उनके सामने यही मॉडल होगा. नेताओं को तय करना है कि युवाओं की बेरोजगारी से निपटने के लिए अलग निकाले गए 6 अरब यूरो को कैसे खर्च किया जाए.(यूरोप में बढ़ती गरीबी)

अप्रैल में यूरोपीय संघ की बेरोजगारी की दर 8.0 फीसदी थी जबकि ऑस्ट्रिया में यह सबसे कम 4.9 फीसदी. यूरोपीय सांख्यिकी एजेंसी यूरोस्टैट के मुताबिक ग्रीस में युवा बेरोजगारी 63 फीसदी है जबकि स्पेन में 56 फीसदी.

 नौकरियों पर निवेश

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन, ओईसीडी के वरिष्ठ अर्थशास्त्री आंद्रेयास वोएर्गोएटर का कहना है, "ऑस्ट्रिया में बेरोजगारी हमेशा कम रही है. यह राजनीति और समाज में इस पर व्यापक सहमति से जुड़ी है." सरकारी खर्चे से होने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों में अंतरराष्ट्रीय हस्तियां अकसर यह देखने आती हैं कि ऑस्ट्रिया नौकरियों के मामले में कैसे यह करिश्मा कर रहा है. इन कार्यक्रमों में वैसे युवा शामिल होते हैं जिन्हें निजी कंपनियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में जगह नहीं मिल पाती. विदेशी हस्तियां यह देख कर हैरान होती हैं कि सरकार एक शख्स के प्रशिक्षण पर सालाना 14-16 हजार यूरो तक खर्च करती है.

Deutschland Max-Planck-Institut für Molekulare Pflanzenphysoiologie
तस्वीर: picture-alliance/dpa

किसी भी युवा को बेरोजगार के रूप में अपना नाम दर्ज कराने के छह महीने के भीतर उसके मनमाफिक नौकरी, प्रशिक्षण कार्यक्रम या सरकारी अनुदान वाली नौकरी मिल जाती है. निजी कंपनियां तो और ज्यादा खर्च कर रही हैं. वोएस्टआल्पाइन 1940 से ही युवाओं को प्रशिक्षण दे रही है. चार साल के कार्यक्रम में एक युवा पर कंपनी करीब 70 हजार यूरो खर्च करती है. इसका फायदा भी है. प्रशिक्षण लेने वाले 90 फीसदी कर्मचारी प्रशिक्षण पूरा करने के पांच साल बाद भी कंपनी के साथ हैं.

ऑस्ट्रिया को यूरोपीय आर्थिक ताकत जर्मनी से करीबी संबंध रखने का भी बड़ा फायदा मिला है. इसके साथ ही यहां का संघीय ढांचा भी रोजगार की नीतियों को पूरे देश के लिए लागू करने में मदद करता है. जानकारों का मानना है कि 1970 के दशक में ऑस्ट्रिया ने जर्मन इंजीनियरिंग और कारों की सप्लाई पर ध्यान दे कर बहुत अहम कदम उठाया था. उसने खुद के कार उद्योग के विकास के बारे में नहीं सोचा और जर्मन कारों के निर्यात से अपने खजाने भरता रहा. उसने जर्मनी के साथ भौगोलिक और ऐतिहासिक संबंधों को खूब भुनाया और विकसित हो रहे बाजारों में पैठ बनाई.

जर्मनी की तरह ही आर्थिक क्षेत्र में ठहराव के दौर में ऑस्ट्रिया कंपनियों को मजबूर करता है कि वो नौकरियां बनाए रखें, भले ही काम के घंटों में कटौती कर दें. जर्मनी की तुलना में यहां कंपनियों के लिए लोगों को निकालना आसान है. हालांकि ऐसा भी नहीं कि ऑस्ट्रियाई रोजगार बाजार में कमियां नहीं हैं. बहुत कम ही ऑस्ट्रियाई ऐसे हैं जो रिटायरमेंट की पूरी उम्र तक काम करते हों. पुरुषों के लिए यह 65 और महिलाओं के लिए 60 वर्ष है. औसत रिटायरमेंट की उम्र यहां 57.6 साल है, हालांकि ऑस्ट्रिया के लोग जरा जल्दी काम करना शुरू कर देते हैं. 70 फीसदी से ज्यादा महिलाएं काम करती हैं लेकिन तीन साल से कम उम्र के बच्चों के लिए डे केयर सेंटर न होने के कारण आधी से ज्यादा महिलाएं पार्ट टाइम नौकरियां ही कर पाती हैं.(महिलाओं का सहारा सरकारी मदद)

एनआर/एमजे (रॉयटर्स)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें