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बैंगलोर में दो धमाके, 15 घायल

१७ अप्रैल २०१०

बैंगलोर में आईपीएल मैच से महज 45 मिनट पहले चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर धमाका हुआ जिसमें पांच सुरक्षाकर्मियों समेत 15 लोग घायल हुए. दूसरा धमाका स्टेडियम से आधा किलोमीटर की दूरी पर हुआ. दोनों ही धमाके कम तीव्रता वाले थे.

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तस्वीर: AP

स्टेडियम के बाहर धमाका भारतीय समय के अनुसार सवा तीन बजे हुआ. उस वक्त रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और मुंबई इंडियंस के बीच होने वाले मुकाबले को देखने के लिए स्टेडियम में 30 हजार दर्शक मौजूद थे. यह धमाका कम तीव्रता वाला था लेकिन इससे खासी अफरातफरी मच गई.

शहर के पुलिस कमिश्नर शंकर बिदारी ने पत्रकारों को बताया कि विस्फोटक सामग्री एक प्लास्टिक के थैले में रखी गई थी और यह थैला स्टेडियम के गेट नंबर 12 के पास रखा था. उन्होंने इसे एक मामूली धमाका बताया. इस धमाके में चार पुलिसकर्मी और एक प्राइवेट सुरक्षा गार्ड समेत 15 लोग घायल हुए हैं.

पुलिस कमिश्नर के मुताबिक विस्फोटक शक्तिशाली नहीं थे और उनकी जांच पड़ताल के लिए फॉरेंसिक विशेषज्ञों को बुलाया गया है. उनकी रिपोर्ट आने के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जाएगा. धमाके के कारण गेट की दीवार को नुकसान हुआ है. बिदारी ने बताया, "अफरातफरी की कोई जरूरत नहीं है. मैच चलता रहेगा."

उधर कर्नाटक के गृह मंत्री वीएस आचार्य ने कहा, "एक टीम विस्फोट के कारणों का पता लगा रही है. स्थिति नियंत्रण में है." धमाके के कारण रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और मुंबई इंडियंस का मैच एक घंटे की देरी के साथ पांच बजे शुरू करना पडा.

दूसरा धमाका लगभग तीन बजे स्टेडियम से आधा किलोमीटर की दूरी पर हुआ. डिप्टी पुलिस कमिश्नर ने बताया कि इस विस्फोट में किसी को चोट नहीं आई. विस्फोटक एक झाड़ी में रखा गया था

शुक्रवार को ही अमेरिका ने अपनी एक एडवाइज़री में कहा कि हो सकता है, आतंकवादी भारत में हमले की योजना बना रहे हों. उसे आतंकवादी मंसूबों के बारे में बराबर जानकारी मिल रही है. अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है, "आतंकवादी और उनसे हमदर्दी रखने वालों ने दिखा दिया है कि वे उन जगहों को निशाना बनाने की इच्छा और क्षमता, दोनों ही रखते हैं जहां अमेरिकी या पश्चिमी देशों के नागरिक जाते हैं."

अमेरिकी एडवाइज़री में कहा गया है कि इस साल फरवरी में पुणे में और उससे पहले मुंबई में नवंबर 2008 में हुए आतंकवादी हमलों से पता चलता है कि भारत में होटल, बाजार, ट्रेनें और अन्य सार्वजनिक स्थल अकसर आतंकवादियों के निशाने पर होते हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एम गोपालकृष्णन