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बॉबी फिशर का शव कब्र से निकाला गया

६ जुलाई २०१०

बीते जमाने के शतरंज के महारथी बॉबी फिशर का शव डीएनए टेस्ट के लिए आइसलैंड में उनकी कब्र से निकाला गया. फिशर का डीएनए नमूना लिया जा रहा है क्योंकि फिलीपीन्स की एक महिला का दावा है कि वह उसकी नौ साल की बेटी के पिता हैं.

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तस्वीर: AP

फिलीपीन्स की महिला के दावे के बाद आइसलैंड की सर्वोच्च अदालत ने आदेश दिया कि डीएन जांच के लिए फिशर के शव को कब्र से निकाला जाए. दो साल पहले 2008 में बॉबी फिशर की आइसलैंड में मौत हो गई थी, जिसके बाद उन्हें वहीं दफनाया गया था.

लेकिन फिलीपीन्स की महिला मैरलिन यंग का दावा है कि उनकी नौ साल की बेटी जिंकी के पिता बॉबी फिशर हैं और वह फिशर की जायदाद में हिस्सा मांग रही है. फिशर का 64 साल की उम्र में जनवरी, 2008 में निधन हो गया था.

आइसलैंड में सेलफॉस शहर के पुलिस प्रमुख ओलाफर हेल्गी करतानसन ने बताया, “मैं इस बात की पुष्टि करता हूं कि बॉबी फिशर के शव को सोमवार को निकाला गया.” प्रशासन ने शव के साथ सम्मानजनक रवैया बरतने के लिए एहतियाती कदम उठाए थे और जिस वक्त फिशर के शव को उनकी कब्र से निकाला जा रहा था, उस वक्त एक पादरी और एक डॉक्टर भी वहां मौजूद था.

Island USA Der frühere Schach-Weltmeister Bobby Fischer gestorben
तस्वीर: AP

फिलीपीन्स की महिला के अलावा फिशर के दो भतीजे और एक जापानी महिला भी उनकी जायदाद में हिस्से का दावा कर रहे हैं. जापानी महिला का दावा है कि बॉबी फिशर ने उससे शादी की थी.

मौत से कुछ समय पहले फिशर ने आइसलैंड की नागरिकता ले ली थी. वह अमेरिका में टैक्स अधिकारियों से बचना चाहते थे. शतरंज खेलते हुए फिशर ने कई बार अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल तोड़ा था और इस वजह से वह काफी चर्चा में रहे थे.

मूल रूप से अमेरिकी नागरिक फिशर सिर्फ साढ़े 15 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बन गए थे. उन्होंने आइसलैंड की राजधानी रिक्यावेक में 1972 में उस वक्त के सोवियत संघ के शतरंज के बादशाह बोरिस स्पैस्की को वर्ल्ड चैंपियनशिप में हरा कर तहलका मचा दिया था. इसके बाद से आइसलैंड से उनका गहरा लगाव हो गया था.

बाद में कुछ मतभेदों की वजह से वह शतरंज से कट गए. लेकिन 1992 में वह पूर्व यूगोस्लाविया में जाकर खेले, जिस पर प्रतिबंध लगा था. अमेरिका ने इसका खासा विरोध किया. इस मुकाबले के बाद वह कभी अमेरिका नहीं लौटे. बाद में वह फिलीपीन्स, जापान, हंगरी, जर्मनी और आइसलैंड में रहे. आइसलैंड ने उन्हें नागरिकता दे दी थी और वहीं राजधानी रिक्यावेक में उनका निधन हुआ.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः ओ सिंह