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ब्राजील में रंग बिरंगे खेलों का मेला

१९ नवम्बर २०१३

धूल के गुबार छोड़ते हट्टे कट्टे योद्धा अपनी पीठ पर विशाल तना उठाए तेजी से भागते नजर आते हैं. चेहरे पर जो रंग पुता है उसमें उनकी कोशिशों की बानगी है. सब ऐसे भाग रहे हैं जैसे यह जिंदगी की दौड़ हो.

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तस्वीर: Getty Images

ब्राजील के देसी खेलों में हिस्सा ले रहे धावकों का जोश देखते बनता है. मैदान में मौजूद दर्शकों के जोश का तूफान भी अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों जैसा है. वो पूरी मस्ती में पारंपरिक गाजे बाजे के साथ अपने प्रिय खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाते हैं.

करीरी जोको कबीले के तवारा और उसके साथी अपने खिलाड़ी तानावी के तीरंदाजी के मुकाबले में हिस्सा लेने पर उसके चारों ओर घेरा बना कर जश्न मना रहे हैं. उन्हें इस बात से कोई लेना देना नहीं कि उनका साथी हार गया है. तनावी खुद उनके बीच स्तब्ध खड़ा है और उसके समर्थक नाच रहे हैं. उनका कहना है कि वो उसे ताकत देना चाहते हैं साथ ही अपने साथ उसके जुड़ाव को और मजबूत करना चाहते हैं. इस तरह का उत्साह और प्रेम देसी लोगों के 12वें अंतरराष्ट्रीय खेलों में हर जगह नजर आता है जो कुइयाबा शहर में हुए. ब्राजील के 49 कबीलों और 15 दूसरे देशों के 1500 एथलीटों ने खेलों के इस रंगीन मेले में हिस्सा लिया और इसके साथ ही इसकी भी झलक मिल गई कि करीब 1000 दिनों के अंदर होने वाले रियो ओलंपिक मे नजारा कैसा रहेगा.

ब्राजील अगले साल देसी खेलों की विश्व प्रतियोगिता का भी आयोजन कर रहा है. तीरंदाजी के अलावा खिलाड़ियों ने भाला फेंक और 100 किलो से ज्यादा वजनी पेड़ का तना पीठ पर लेकर भागने वाली रेस में हिस्सा लिया. खेलों में हिस्सा लेने के लिए जारुको तनाओ बोट और बस की यात्रा कर चार दिन में यहां पहुंचे. वह कहते हैं, "हम दिखाना चाहते हैं कि हमारे पास वास्तविकता और भारी विविधता है और इसे ब्राजीली संस्कृति में सबके समेकन के साथ देखा जाना चाहिए." 24 साल के तवारा भी तीन दिन की यात्रा के बाद खेलों के मेले में पहुंचे जहां उनकी मुलाकात पेरू से आए जुरी दुआर्ते से हुई. दोनों पहली बार इन खेलों में शामिल हुए हैं और उन्हें इस बात की खुशी है कि दूसरी जगहों से आए प्रतिभागियों और लोगों से उन्हें संस्कृति के नए रंग देखने को मिले. लोग ब्राजीलियाई कबीलों को उनके वास्तविक रंगों में देख कर अभिभूत हो रहे हैं.

20 करोड़ की आबादी वाले ब्राजील में आधी फीसदी हिस्सेदारी मूल निवासियों की है. तवारा एक गोरी महिला और देसी पिता की संतान हैं लेकिन वो जोर देकर कहते हैं, "मैं खुद को मूल निवासी महसूस करता हूं." उनका कबीला उनमें शामिल है जो जमीन पर पैतृक अधिकार को लागू करने और खेती की जमीनों पर अतिक्रमण हटाने की मांग कर रहे हैं. पारेसी नाम का कबीला इस बार इन खेलों की मेजबानी कर रहा है. ये लोग गेंद को केवल सिर से मारने वाला एक खेल खेलते हैं. हेड फुटबॉल देशी खेलों के बीच अकेला ऐसा खेल है जिसमें खिलाड़ी गेंद के पीछे भागते हैं. पांच बार वर्ल्ड कप जीतने वाले देश में ऐसा देखना थोड़ा हैरान करता है. ब्राजील अगले साल मई में फुटबॉल वर्ल्ड कप की मेजबानी कर रहा है.

देसी खेलों में मुकाबले बहुत सख्त होते हैं लेकिन भावनाओँ की आंधी उससे कहीं ज्यादा तेज होती है. आंसू छलकते दिखे भी तो सिर्फ उस छोटी बच्ची की आंख से जिसकी मां मुकाबले में शामिल होने के लिए उसे छोड़ गई थी.

एनआर/एजेए (एएफपी)