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ब्रिटिश इतिहासकारों ने बदनाम किया औरंगजेब को

मारिया जॉन सांचेज
२४ मार्च २०१७

भारत में मुगल साम्राज्य का एक बादशाह सबसे ज्यादा विवादों में रहा है. इतना कि राजधानी दिल्ली में औरंगजेब रोड का नाम ही बदल दिया गया. कितना पता है दुनिया को मुगलिया सल्तनत के अंतिम बड़े राजा के बारे में?

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Neues Grünes Gewölbe Figur des Großmoguls Aureng-Zeb
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Hiekel

छठे मुगल सम्राट औरंगजेब का जन्म 3 नवंबर, 1618 को दोहद में हुआ था जो गुजरात में है. वे मुगल सम्राट शाहजहां के तीसरे पुत्र थे. आज जनसामान्य के बीच उनकी छवि एक कट्टर और क्रूर मुस्लिम शासक की है जिसने बहुत बड़ी संख्या में मंदिर तुड़वाए, गैर-मुस्लिमों पर जजिया कर लगाया और लाखों हिंदुओं को जबरदस्ती मुसलमान बनने पर मजबूर किया. यह भी माना जाता है कि कट्टर मुसलमान होने के कारण औरंगजेब संगीत विरोधी थे और उनके इस रवैये के प्रति विरोध व्यक्त करने के लिए जब संगीतकारों ने संगीत की अर्थी सजा कर उसकी शवयात्रा निकाली तो औरंगजेब ने कहा कि उनसे कहो कि संगीत को इतना गहरा गाड़ें कि उसकी आवाज हमेशा के लिए दब जाए. लेकिन क्या यह छवि वास्तविकता पर आधारित है?

यह छवि वास्तविकता पर आधारित हो या न हो, इसका प्रभाव बहुत व्यापक है और इसका इस्तेमाल औरंगजेब को हिन्दू-विरोधी, जिसका अर्थ हिन्दू राष्ट्रवादियों की निगाह में राष्ट्रविरोधी होना भी है, सिद्ध करने के लिए आज भी किया जा रहा है. यही कारण है कि अगस्त 2015 में नई दिल्ली स्थित औरंगजेब मार्ग का नाम बदल कर पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रख दिया गया.

Buchcover Aurangzeb: The Man and the Myth Audrey Truschke

इतिहासकारों द्वारा किए गए नवीन शोध बताते हैं कि औरंगजेब की यह छवि ब्रिटिश औपनिवेशिक इतिहासकारों और लेखकों द्वारा गढ़ी गई थी क्योंकि वे भारतीय इतिहास को हिन्दू-मुस्लिम के धार्मिक चश्मे से देखना चाहते थे. इसीलिए उन्होंने भारतीय इतिहास के प्राचीनकाल और मध्यकाल को हिन्दू एवं मुस्लिम काल कहा लेकिन अपने ब्रिटिश काल को ईसाई काल कहने के बजाय ब्रिटिश काल ही कहा. इसी तर्ज पर हिन्दू राष्ट्रवाद और मराठी क्षेत्रीयतावाद ने छत्रपति शिवाजी को एक हिन्दू शासक के रूप में पेश किया और औरंगजेब के साथ उनके लंबे समय तक चले संघर्ष को हिन्दू बनाम मुस्लिम संघर्ष बना दिया जबकि शिवाजी की सेना में मुसलमान और औरंगजेब की सेना में हिन्दू बहुत बड़ी संख्या में थे और दोनों के बीच संघर्ष का आधार सत्ता और अधिकार थे, धर्म नहीं.

अपने जीवनकाल में ही औरंगजेब को दुनिया भर में इतनी ख्याति मिल गई थी कि 1675 में इंग्लैंड के तत्कालीन राजकवि जॉन ड्राइडेन ने उन पर एक हिरोइक ट्रेजेडी लिखी थी. लेकिन अब ऑड्रे ट्रुश्के जैसे इतिहासकारों के शोध के फलस्वरूप औरंगजेब को एक भिन्न परिप्रेक्ष्य में देखने का काम शुरू हो गया है. ट्रुश्के की पुस्तक "औरंगजेब: द मैन एंड द मिथ” कुछ ही दिन पहले प्रकाशित हुई है और उसके प्रकाशन से इस मुगल सम्राट के जीवन और राज्यकाल पर नितांत नई दृष्टि से देखे जाने की प्रक्रिया शुरू हुई है. एक अन्य इतिहासकर कैथरीन बटलर स्कोफील्ड ने इस तथ्य को उजागर किया है कि औरंगजेब संगीत के भारी मर्मज्ञ थे और अपने जीवन के अंतिम दशकों में उन्होंने संगीत को केवल अपने दरबार के भीतर वर्जित किया था, दरबार के बाहर नहीं. औरंगजेब के शासनकाल में संगीत पर फारसी में जितने ग्रंथ लिखे गए, उतने उनके पहले के पांच सौ साल में भी नहीं लिखे गए थे. औरंगजेब का साम्राज्य अकबर के साम्राज्य से भी बड़ा था और पहली बार उसके काल में ही लगभग पूरा भारतीय उपमहाद्वीप एक सम्राट के अधीन हुआ था.

Symbolbild Neues Grünes Gewölbe Dresden
ड्रेसडेन के म्यूजियम में योहान्न मेल्चियोर डिंगलिंगर(1664-1731) का बनाया 18वीं सदी का औरंगजेब के दरबार का मिनियेचरतस्वीर: picture alliance/dpa/M. Hiekel

औरंगजेब ने 15 करोड़ आबादी वाले साम्राज्य पर उनचास वर्ष तक शासन किया और मुगल साम्राज्य की सीमाएं इतनी बढ़ा लीं जितनी उनके पहले के किसी भी मुगल सम्राट ने नहीं बढ़ाई थीं. अपना अधिकांश जीवन औरंगजेब ने दकन के मुस्लिम शासकों के खिलाफ युद्धों में बिताया. उनके शासनकाल में हिंदुओं या किसी अन्य धार्मिक समुदाय के लोगों को सामूहिक रूप से मुसलमान बनाने का कोई भी अभियान नहीं छेड़ा गया. यदि उन्होंने होली के हुड़दंग पर नियंत्रण लगाने की कोशिश की तो मुहर्रम और ईद के मनाने पर भी कई किस्म की पाबंदियां लगाईं. दक्षिण भारत मंदिरों से भरा पड़ा है, लेकिन कुछेक अपवादों को छोडकर औरंगजेब ने किसी भी मंदिर को हाथ नहीं लगाया. औरंगजेब ने अपने साम्राज्य के प्रशासन में हिंदुओं को ऊंचे-से-ऊंचे पद पर नियुक्त किया. किसी भी मुगल सम्राट के प्रशासन में इतने अधिक हिन्दू अधिकारी नहीं थे जितने औरंगजेब के प्रशासन में थे. फिर उन पर हिन्दूविरोधी होने का आरोप किस तरह से लगाया जा सकता है? अधिकांश लोगों को यह पता नहीं कि स्वास्थ्य के संबंध में औरंगजेब हिन्दू साधु-संतों और ज्योतिषियों से सलाह लिया करते थे. उन्होंने अनेक मंदिरों को वित्तीय सहायता और जागीरें भी प्रदान कीं और इनके ऐतिहासिक प्रमाण उनके फरमानों के रूप में मौजूद हैं.

औरंगजेब मध्ययुगीन मूल्यों को मानने वाले मुस्लिम शासक थे. न्याय की उनकी अवधारणा इस्लाम और भारतीय परिवेश- दोनों से प्रभावित थी. इसलिए उनका मूल्यांकन आधुनिक आधार पर करने के बजाय उनके समय और समाज में प्रचलित मूल्यों के आधार पर करने की जरूरत है.