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ब्रिटेन का चुनाव यानी यूरोपीय संघ का चुनाव

७ मई २०१५

ब्रिटेन का मतदान अप्रत्यक्ष रूप से यूरोपीय नीति पर भी असर डालेगा, डॉयचे वेले के क्रिस्टॉफ हाजेलबाख इसके दूरगामी परिणाम बता रहे हैं.

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तस्वीर: Reuters

ब्रिटेन के लोगों ने अगर नई लोक सभा चुनी तो इसका ज्यादातर लेना देना भविष्य की हेल्थ पॉलिसी, टैक्स या अप्रवासन नीति से होगा. यह यूरोप के लिए प्राथमिक नतीजा हो सकता है. प्रधानमंत्री डैविड कैमरन पहले ही वादा कर चुके है कि अगर वह सत्ता में लौटे तो 2017 के अंत तक यूनाइटेड किंगडम (यूके) के यूरोपीय संघ छोड़ने पर जनमत संग्रह कराएंगे. वह इस वादे से मुकर नहीं सकते हैं. हालांकि कैमरन खुद कह चुके हैं कि वह यूके को यूरोपीय संघ में देखना चाहते हैं, लेकिन जनमत संग्रह के जरिए. इसका मतलब यह है कि कैमरन सदस्य देशों के राष्ट्रीय हितों में ईयू का कम से कम दखल चाहते हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो ऐसी स्थिति में ब्रसेल्स का मुख्यालय सदस्य देशों के सामने हारेगा.

लेकिन कैमरन के पास कोई पुख्ता प्रस्ताव नहीं है. ब्रसेल्स में वह पहले ही यह सुन चुके हैं कि ईयू के साथ वह अपने करार बदल नहीं सकते. यूरोप के ज्यादातर नेता कैमरन का जिक्र आते ही आंखें चुराने लगते हैं. आप यह महसूस कर सकते हैं कि ब्रसेल्स में उनकी मौजूदगी चुभन पैदा करती है. कैमरन ने यूरोप में अपना और अपने देश का प्रभाव नाटकीय रूप से कुतर दिया है.

अब वह फंस चुके हैं: उनके कई देशवासियों को उम्मीद है कि वह लंदन के लिए एक "बेहतर डील" करेंगे, जिसे वह पूरा नहीं कर सकते. यूके इंडिपेंडेंस पार्टी अलग से उनकी गर्दन पर सवार है, जो खुलकर ईयू से ब्रिटेन के बाहर निकालने की वकालत कर रही है और किसी भी तरह के समझौते को निंदनीय बता रही है. आंकड़े भी बता रहे हैं कि कैमरन के कार्यकाल के दौरान ब्रिटिश समाज को एंटी ईयू भावना ने जकड़ा. अगर ऐसी परिस्थितियों में ईयू जनमत संग्रह होता है तो वर्तमान माहौल को देखकर ब्रिटेन का बाहर होना काफी मुमकिन लगता है.

ईयू से अलग होने का असर

इसके क्या परिणाम होंगे; देश को शायद आर्थिक नुकसान होगा, लेकिन फिलहाल इसे आंकना मुश्किल है. लेकिन दूसरे मामलों में इसके नतीजे ब्रिटेन के लिए ज्यादा विस्फोटक होंगे, राजनीतिक और संवैधानिक लिहाज से. स्कॉट जनता पिछले साल ही डराने वाली आजादी का जिक्र छेड़ चुकी है. स्कॉटलैंड बाकी के यूनाइटेड किंगडम के बजाए ईयू के प्रति ज्यादा झुकाव रखता है. अगर ईयू से बाहर निकलने के पक्ष में ज्यादा वोट गए तो स्कॉटलैंड पक्के तौर पर यूके से अलग हो सकता है. हाड्रियंस वॉल पर एक नई सीमा, यूके की पूरी अर्थव्यवस्था पर इसका नकारात्मक नतीजे पड़ेंगे.

लेकिन इसके आर्थिक और राजनीतिक परिणाम सिर्फ यूनाइटेड किंगडम तक ही सीमित नहीं रहेंगे. यूरोपीय संघ में कई लोग कह रहे है कि ब्रिटेन की रोज की झिकझिक से बेहतर है कि उनके बिना रहा जाए. लेकिन ऐसा सोचना खतरनाक है. यूनाइटेड किंगडम के अलग होने का अर्थ होगा कि यूरोपीय संघ के ढांचे से एक मजबूत अर्थव्यवस्था और वित्तीय दुनिया के एक महत्वपूर्ण केंद्र अलग हो जाएगा. प्रतिस्पर्द्धा, कॉस्मोपॉलिटन समाज, सुधारवादी साझेदार, एक जी7 देश, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का एक स्थायी सदस्य और एक नाभिकीय शक्ति भी अलग हो जाएगी.

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क्रिस्टॉफ हाजेलबाख

खतरनाक मिसाल

इससे भी ज्यादा बुरा यह है कि यूरोपीय संघ से पहली बार कोई देश बाहर निकलेगा. पहले सबको लगता था कि यह सैद्धांतिक तौर पर ही मुमकिन है लेकिन अब व्यवहारिक रूप से ऐसा होगा तो नतीजे अलग होंगे. यह यूरोपीय एकीकरण की बिल्कुल उल्टी प्रक्रिया होगी, शायद विभाजन की शुरूआत. हो सकता है कि दूसरे देश भी ऐसा ही करें या फिर सदस्य बने रहने के लिए खास सहूलियतें मांगने लगें. इसका मतलब यूरोप के लिए अभी की तुलना में एक ज्यादा मुश्किल वक्त होगा. पूर्व में रूस के आक्रामक रुख के खिलाफ, इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ या चीन के व्यवासायिक साम्राज्यवाद के खिलाफ ऐसी स्थिति में यूरोप एक एकजुट समूह नहीं रहेगा बल्कि छोटे छोटे देशों का बिखरा झुंड होगा, जिसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा प्रभाव नहीं होगा. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईयू का हर देश सिर्फ एक छोटा सा देश बनकर रह जाएगा.

लेकिन ऐसी चिंताएं आम चुनावों के दौरान मतदाताओं को नजर नहीं आती हैं. यूनाइटेड किंगडम के चुनावों में यूरोपीय नीति का सवाल बहुत अहम नहीं है. लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से इसके दूरगामी परिणाम होंगे. कैमरन को टक्कर दे रहे विपक्षी लेबर पार्टी के उम्मीदवार एड मिलीबैंड ईयू जनमत संग्रह को खारिज करते हैं. अगर वह प्रधानमंत्री बने तो यह समस्या कुछ समय के लिए ठंडी पड़ जाएगी. अगर ऐसा हो भी जाए तो भी नई सरकार के लिए देश में यूरोपीय संघ के खिलाफ बनी आम भावना से बाहर निकलना आसान नहीं होगा. कैमरन फिर चुने गए तो यूरोपीय प्रोजेक्ट और उसके साझेदारों के सामने खुला खेल फिर सक्रिय होने लगेगा.