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ब्लड टेस्ट देगा हार्ट अटैक की चेतावनी

७ अप्रैल २०१७

इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम जैसी मशीन भी हार्ट अटैक का खतरा पूरी तरह नहीं भांप पाती है. लेकिन भविष्य में ब्लड टेस्ट, दिल के दौरे की पहले ही सटीक चेतावनी देगा. कैसा होगा यह टेस्ट.

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Lesotho Mobile Gesundheitsversorgung: Bluttests
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/D. Farrell

हार्ट अटैक का सटीक पूर्वानुमान लगाना अब तक मेडिकल साइंस के लिए एक चुनौती है. अब तक हार्ट अटैक का अनुमान लगाने के लिए ईसीजी और फिर खून में कार्डिएक ट्रोपोनिन की मात्रा जांची जाती है. ट्रोपोनिन, हृदय की कोशिकाओं का प्रोटीन है. हार्ट की कोशिकाओं के घायल होने या हार्ट की मसल्स के संक्रमित होने पर खून में ट्रोपोनिन का रिसाव होता है. ट्रोपोनिन का स्तर बहुत कम होने पर माना जाता है कि हार्ट अटैक की संभावना बहुत कम है. लेकिन नई रिसर्च में पता चला है कि यह भी बहुत सटीक तरीका नहीं है.

लंदन के सेंट थोमास हॉस्पिटल में 4,000 रोगियों के खून की कई तरह से जांच की गई. इन जांचों में पता चला कि 47 फीसदी रोगियों को हार्ट अटैक का बहुत ज्यादा खतरा है. फिर वैज्ञानिकों ने दान किये गए हृदय के ऊतकों की जांच की. प्रयोग में पता चला कि हार्ट की 0.001 फीसदी कोशिकाओं की मृत्यु होने पर ही उनका पता ब्लड टेस्ट में चलता है. 

लेकिन अगर खून में माइयोसिन बाइडिंग प्रोटीन सी की जांच की जाए तो ज्यादा सटीक तस्वीर सामने आती है. प्रति 0.00002 फीसदी क्षतिग्रस्त हार्ट कोशिकाओं में 0.007 मिलीग्राम मायोसिन बाइडिंग प्रोटीन सी होता है. खून की जांच में इसका पता ट्रोपोनिन की तुलना में कहीं ज्यादा आसानी और तेजी से चलता है.

ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन के मेडिकल डायरेक्टर प्रोफेसर नीलेश समानी टेस्ट को सफल मानते हैं, "यह नया टेस्ट हार्ट अटैक का पता लगाने के हमारे तरीके में क्रांतिकारी बदलाव करेगा, इससे संवेदनशीलता बढ़ेगी और यह तय होगा कि खून में ट्रोपोनिन का स्तर नीचे होने पर भी हार्ट अटैक लापता नहीं रहेगा."

किंग्स कॉलेज लंदन के कार्डियोलॉजी एक्सपर्ट टॉम कायनर भी इसे डायग्नोस की बड़ी कामयाबी मान रहे हैं. रिसर्च पेपर मेडिकल सांइस के जनरल क्लीनिकल में भी प्रकाशित हुआ है.

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ओएसजे/आरपी (पीटीआई)